जानिए भगवान् शिव को श्रावण की शिवरात्रि विशेष प्रिय क्यों है?

यूं तो सनातन धर्म में सृष्टि संहार के स्वामी श्रीरूद्र की उपासना के लिए श्रावण माह को सर्वाधिक पुण्य फलदाई माना गया है | पूरे साल सोमवार के दिन महादेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण शिवरात्रि का का शुभ मुहूर्त महादेव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है।सम्पूर्ण श्रावणमाह में शिव-शक्ति पृथ्वी पर ही निवास करते हैं इसल‌िए सभी देव-दनुज, नाग, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, शिवगण, शिव भक्त आदि ‘शिवः अभिषेक प्रियः, श्रावणे पूजयेत शिवम्’ आदि-आदि सूक्तिओं के संकेत से भगवान् रूद्र की आराधना और अभिषेक करते हैं।

 

हिंदी पंचांग के अनुसार हर माह की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, तो जानिए श्रावण की शिवरात्रि भगवान् शिव को विशेष  प्रिय क्यों है?

 

इसके पीछे की मान्यता यह है कि सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है। इसलिए महाशिवरात्रि के अलावा इस दिन भी शिव पूजा करना या शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है लेकिन साल में दो बार आने वाली विशेष शिवरात्रि का हिंदू परंपरा में बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है। फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इसके अलावा दूसरी बार सावन महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भी भगवान शंकर की आराधना के साथ शिवरात्रि मनाई जाती है। भगवान शंकर देवताओं में सबसे सरल और सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं। भगवान शिव को सावन महीना बहुत प्रिय है। इसलिए सावन माह के प्रत्येक सोमवार को शिवभक्त भगवान शंकर को जल चढ़ाकर श्रद्धा अर्पित करते हैं।

 

सावन महीने की शिवरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा का विशेष महत्व होता है। सावन महीने की शिवरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा करना ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि सावन के महीने के भगवान शिवजी का महीना माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिवजी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन के महीने में भगवान शिवजी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों के कष्ट दूर कर लेते हैं। सावन के महीने में भगवान शिवजी के व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है।

 

इसके अलावा मान्यता यह भी है कि सावन चतुर्मास के दिनों में आता है जब जगत के पालनहार माने जानेवाले भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं और उनके पीछे जगत के पालन-संरक्षण का कार्य भगवान शिव और माता पार्वती संभालते हैं। क्योंकि श्रावण का मास उन्हें विशेष प्रिय होता है इसलिए इस माह की शिवरात्रि पर उनकी पूजा-अर्जना करना उन्हें जल्दी प्रसन्न करता है।

 

इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव के तीनों नेत्र सूर्य, चंद्र तथा अग्नि का प्रतीक हैं। इनके अलावा उनके गले में विष का वास होने के कारण उनका शरीर अत्यधिक तप्त रहता है। इसलिए बारिश का मौसम उन्हें विशेष प्रिय है। यही कारण है श्रावण की शिवरात्रि में भी शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है।ऋषियों का कहना है कि ‘भावी मेट सकहिं त्रिपुरारी। अर्थात- ब्रह्मा जी द्वारा प्राणियों के भाग्य में लिखा गया त्रिबिध दुःख भी भगवान् शिव ही समाप्त कर सकते हैं। जो श्रद्धालु मंदिर नहीं जा पाते हैं, वे घर में ही रखे शिव परिवार का अभिषेक कर सकते हैं सभी गृहस्थ शिवभक्तों को इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि घर में दो शिवलिंग न हों और अभिषेक करने के समय शिव परिवार के सभी सदस्य, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और आभूषण नागदेवता सभी शिवलिंग के चारों ओर विराजमान रहें।

 

वैरागियों, साधुसंतों, बालब्रह्मचारियों, घर-पारिवार से मुक्त शिवभक्तों के लिए ऐसा करना अनिवार्य नहीं है, वे केवल शिवलिंग की ही पूजा करते हैं, उनके लिए कहा गया है कि ‘शिवलिंगेपि सर्वेषां देवानां पूजनं भवेत’ अर्थात शिवलिंग पर ही सभी देवों का भी अभिषेक करें। शुक्ल यजुर्वेद में विभिन्न द्रव्यों से भगवान शिव का अभिषेक करने का फल बताया गया है। भगवान रूद्र को भस्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक का फूल, धतूरा फल, बिल्व पत्र और भांग विशेष रूप से प्रिय हैं अतः इन्ही पदार्थों से श्रावण शिवरात्रि  को शिवपूजन करें।

 

ये रहेगा इस वर्ष श्रावण शिवरात्रि 2017 मुहूर्त–

 

इस बार श्रावण मास की यह शिवरात्रि आज 21 जुलाई 2017 (शुक्रवार) को पड़ रही है। शुक्रवार का यह दिन मां लक्ष्मी का माना जाता है जो कुछ पुराणों के अनुसार मां पार्वती की बहन भी हैं। इसलिए इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने से धन प्राप्ति की मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है।

 

इस बार यह मुहूर्त दो दिनों में पड़ रहा है त्रयोदशी और चतुर्दशी को। इस श्रावण शिवरात्रि का जलाभिषेक शुक्रवार 21 जुलाई को सुबह 6 बजे से की जा सकती है। चतुर्दशी का जलाभिषेक (शुक्रवार) 21 जुलाई 2017 की रात्रि 10 बजे से दूसरे दिन 22 जुलाई 2017 यानि कि शनिवार की संध्या 6:30 तक की जा सकती है।

 

धन प्राप्ति के लिए शिव मंदिर में सांयकाल जलाभिषेक करने का बाद घी का दिया जलाएं।

 

जानिए शिवलिंग पर कौन सी चीज नहीं चढ़ाई जाती है?
इसके अलावा शिव के सावनप्रियता को लेकर एक और मान्यता यह है कि श्रावण मास में वर्षा के आसार सबसे अधिक होते हैं। शिव के तीनों नेत्र स्वयं सूर्य, चंद्र और अग्नि के स्वरूप हैं। इसके अलावा कंठ में विष होने के कारण शिव का शरीर काफी गर्म रहता है। सावन में वर्षा ऋतु होने की वजह से शिव के शरीर को काफी ठंडक मिलती है। इस वजह से भी शिव को सावन माह अत्यधिक प्रिय है।
सावन के महीने की शिवरात्रि को सुबह जल्दी उठकर नहा लें और साफ-सुथरे वस्त्र पहने। इस दिन भगवान शिवजी की पूजा करने के लिए सामग्री तैयार कर लें। भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल, दूध, धूपबत्ती, अगरबत्ती आदि रख लें। अगर आप चाहें तो भांग, धतूरा भी पूजा में शामिल कर सकते हैं क्योंकि भगवान शिवजी ये सब बहुत पसंद है। इस दिन घर के पास के मंदिर में जाना भी शुभ माना जाता है।

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