विविधा

किस देश में है ‘कोहिमा’ ?

-अतुल तारे-
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कौन बनेगा करोड़पति की आठवीं प्रस्तुति का एक विज्ञापन इन दिनों बेहद चर्चित है और एक सटीक संदेश भी देता है। विज्ञापन में महानायक एवं शो के एंकर अमिताभ बच्चन प्रतिभागी पूर्णिमा से एक प्रश्न पूछते हैं। प्रश्न है कोहिमा किस देश में है। एक बेहद आसान से सवाल पर प्रतिभागी ऑडियंस पोल लेती है। सौ प्रतिशत जवाब आता है ‘इंडिया’ अमिताभ प्रश्न करते हैं कि इतने आसान से सवाल पर वह लाइफ लाइन क्यों लेती हैं, क्या वे भी नहीं जानती कि कोहिमा भारत में है जबकि वह स्वयं वहीं से है। जवाब बेहद मार्मिक है, वह कहती है जानते सभी हैं, मानते कितने हैं।
क्या यह देश का आज कड़वा सच नहीं है। आजादी के 67 साल बाद आज भी पूर्वोत्तर भारत के निवासी जब दिल्ली आते हैं तो क्यों कहते हैं कि वे इंडिया जा रहे हैं। या फिर क्यों शेष भारत के निवासी उन्हें कभी चीनी, कभी नेपाली समझने की अक्षम्य भूल करते हैं? जो प्रदेश देश को सबसे पहले सूरज की किरण दिखाता है, आखिर क्यों शेष भारत के आत्मीय स्पर्श से आज भी वंचित हैं? यही वजह है कि आज पूर्वोत्तर भारत का अधिकांश क्षेत्र अलगाववाद की चपेट में हैं। जनसंख्या का असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है। शरणार्थियों की शकल में घुसपैठिए पांव पसार रहे हैं। चीन, बांग्लादेश की इस क्षेत्र में हरकतें बढ़ती जा रही हैं। पर बावजूद इसके देशवासी यह जानते हैं, नेतृत्व यह जानता है कि यह क्षेत्र भारत का हिस्सा है पर व्यवहार प्रतिभागी के उत्तर की तरह है कि मानते नहीं हैं ये हमारे ही देश का हिस्सा है। ऐसा नहीं है कि राष्ट्रघाती शक्तियों के इरादों को पहचाना नहीं गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित देश की राष्ट्रवादी शक्तियों ने प्राणों की बाजी लगाकर यहां हमेशा अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई है, जिसके परिणाम सामने हैं कि आज भी यह क्षेत्र राष्ट्रघाती शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। राजनीतिक स्तर पर भी इसके प्रयास भाजपा ने प्रारंभ किए। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में नितिन गडकरी ने एक प्रकोष्ठ बनाया पूर्वोत्तर भारत सम्पर्क प्रकोष्ठ जो देश भर में (पूर्वोत्तर भारत सहित) क्षेत्र के निवासियों के हितों के लिए काम कर रहा है। देश भर में शिक्षा या व्यवसायगत कारणों से रह रहे पूर्वोत्तर भारत के निवासी भेदभाव के शिकार न हों और वे भी अपनी जड़ें भारत में ही महसूस करें, यह प्रयास यह प्रकोष्ठ करता है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रयास को और गति दी है। यह पहला मौका है कि देश का गृह राज्यमंत्री किरण रिजूजू है जो स्वयं अरूणाचल प्रदेश से आते हैं। इतना ही नहीं, गृह राज्यमंत्री वीके सिंह जो कि हरियाणा से आते हैं को पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को अतिरिक्त जवाबदारी दी गई है, यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और इसके संदेश स्पष्ट हैं।

मोदी सरकार के बजट में पूर्वोत्तर भारत के लिए अरूण प्रभा टीवी चैनल की शुरूआत करना एक और सराहनीय सांकेतिक निर्णय है। यही नहीं, बजट में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए अतिरिक्त बजटीय प्रावधान दर्शाता है कि दिल्ली में बैठी सरकार का दिल पूरे देश के लिए धड़कता है। वित्त मंत्री अरूण जेटली का बजट देश के आर्थिक विकास को तो गति देगा ही पर यह बजट देश की सामूहिक भावना का सही प्रगटीकरण भी है। इसलिए ये बजट पर जमावेशी एवं सर्वस्पर्शी जाना जा सकता है। कश्मीर से विस्थापित पंडितों के पुनर्वास के लिए 500 करोड़ है तो मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए भी 100 करोड़ है। देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में नई रेल लाइनों के लिए 100 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान दूरगामी परिणाम देने वाला है। सुदूर मणिपुर क्षेत्र में खेलों के लिए 100 करोड़ का प्रावधान केन्द्र की प्राथमिकताओं एवं संवेदनशीलता को दर्शाता है, वहीं समूचे देश की आस्था का प्रगटीकरण नमामि गंगे की योजना में 2037 करोड़ का प्रावधान भी है। यही नहीं देश के प्रधानमंत्री ने अपनी पहली विदेश यात्रा पहले भूटान और अब ब्राजील में कर अपनी कूटनीतिक क्षमता का परिचय भी दिया है। परिणाम अमेरिका आज स्वागत के लिए गलीचे बिछा रहा है। तात्पर्य अगर देश का नेतृत्व समूचे देशवासियों में देश के प्रति एक निष्ठा का भाव जाग्रत करने में सफल होता है तो उसके परिणाम सुखद आते ही हैं। प्रशंसा करना होगी। केन्द्र सरकार की उसने इस दिशा में ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में केबीसी की कोई प्रतिभागी ऐसे किसी प्रश्नों के लिए लाइफ लाइन नहीं लेगी।