—विनय कुमार विनायक
भारत कभी नहीं हारा है, अरि की सेना से,
भारत सर्वदा ही हारा है जातिवादी घृणा से!
जबसे हमने जातीय श्रेष्ठता पर दंभ किया,
दूसरों को तुच्छ और खुद को महंत किया!
दूरियां बढ़ती ही गई भाईयों का भाईयों से,
राम ने कहा सद्गुण सीखो अताताईयों से!
अग्रज का धर्म नहीं है बड़प्पन पर इतराना,
अग्रज का धर्म अनुज को अवसर दे उठाना!
राम वही जो परशुराम को राम बना देते हैं,
राम वही जो रावण के ज्ञान को मान देते हैं!
छोड़ो जातीय श्रेष्ठता की विरुदावली को गाना,
सीखो निषाद को भाई,भीलनी को मां बनाया!
जाति कोई श्रेष्ठ नहीं, गुण सर्वदा श्रेष्ठ होता है,
पर से सद्गुण सीखो,अपना दुर्गुण नष्ट होता है!
जय श्रीराम कहकर उनको सीता से जुदा ना कर,
शिव से शक्ति को हटाकर शिव को शव ना कर!
ब्राह्मण वही जो ब्रह्मज्ञान को जाने, ज्ञानदान दे,
अज्ञ को विज्ञ बना, उन्हें ब्राह्मण सा सम्मान दे!
ब्रह्मणत्व एक अलंकरण रहा ज्ञानी ऋषिजन का,
ऋषियों को दिया गया तमग़ा ये समाजी जन का!
बिना तप, ज्ञान,ध्यान,पूजन,मनन, अनुसंधान का,
स्वयं को ब्राह्मण कहलाना अपमान ऋषिजन का!
ब्राह्मण एक उपाधि ज्ञानियों का भारत रत्न जैसा,
जिसे अपात्रता का ग्रहण करना हास्यास्पद लगता!
ब्राह्मण होना शील गुण, दया निधान होना होता है,
विप्र धेनु सुर संत हित में भगवान का जन्म होता!
ब्राह्मण का मतलब परशुराम जयंती मनाना नहीं,
ब्राह्मण ऋषियों से चारों वर्ण की जातियां निकली!
आज ब्राह्मण का दायित्व है जातिवाद मिटाने का,
वाल्मीकि, व्यास की जाति को ब्राह्मण बनाने का!
हिन्दुत्व ही विश्ववंधुत्व है, हिन्दुत्व के मरते ही
ब्रह्मणत्व मर जाएगा, मानवता भी नहीं बचेगी!
बहुत सुंदर ! साधुवाद |