छोड़ो इस कश्मीर की बातें- वह कश्मीर हमारा है

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कश्मीर
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तनवीर जाफ़री
भारतीय कश्मीर में अभी भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो सके हैं। लगभग पैंतीस दिनों से कश्मीर के हालात स्थानीय युवकों के हिंसक प्रदर्शन तथा सुरक्षाकर्मियों द्वारा की जा रही जवाबी कार्रवाई के परिणामस्वरूप इतने खराब हैं कि अब तक हिंसक झड़पों में 60 से भी अधिक लोगों के मारे जाने की खबरें हैं जबकि एक हज़ार से भी ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं। गौरतलब है कि 8 जुलाई को आतंकी संगठन हिज़बुल मुजाहिद्दीन के 21 वर्षीय कमांडर बुरहान वानी के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद वानी के समर्थन में कश्मीर के नवयुवक सडक़ों पर उतर आए थे। उधर पाकिस्तान ने आक्रोशित कश्मीरी युवाओं के गुस्से का फायदा उठाते हुए कश्मीरी प्रदर्शनकारयिों के समर्थन में खड़े होने का नाटक रचाया। प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से लेकर वहां के सैन्य अधिकारियों तक ने तथा पाक स्थित जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठन के प्रमुख हािफज़ सईद सरीखे कई आतंकी नेताओं ने कश्मीरी प्रदर्शनकारियों के पक्ष में अपने विवादित बयान जारी किए। हद तो यह है कि पाकिस्तान में इस घटना के विरोध में काला दिवस मनाया गया तथा कई स्थानों पर जुलूस व रैलियां निकालकर भारत सरकार तथा भारतीय सेना को जमकर कोसा गया।
इधर भारत में बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे थे तथा घाटी का एक बड़ा भाग प्रदर्शन,हिंसा तथा कफ्र्यू की चपेट में था कि इसी बीच पाक अधिकृत कश्मीर में लाखों लोग उस कश्मीर पर पाकिस्तान के अनाधिकृत क़ब्ज़े से मुक्त होने की मांग को लेकर सडक़ों पर उतर आए। यह लोग पाकिस्तान से आज़ादी पाने की मांग कर रहे थे। गौरतलब है कि पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर का इस्तेमाल पाकिस्तान वहां के कश्मीरियों या क्षेत्रीय उन्नति अथवा विकास के लिए हरगिज़ नहीं करता। बजाए इसके पाकिस्तानी हुक्मरानों द्वारा स्वर्गरूपी इस धरती का प्रयोग वहां की भौगोलिक सीमाओं के लिहाज़ से केवल भारत पर दबाव बनाने के उद्देश्य से किया जाता रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर के लोग इस बात को लेकर काफी नाराज़ हैं कि पाकिस्तान के संरक्षण में इस क्षेत्र का प्रयोग मुख्यत: दो ही कामों के लिए हो रहा है। या तो यहां चीन के सैनिकों की गतिविधियां बढ़ती देखी जा रही हैं या फिर इस क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर चलाए जाने के लिए किया जा रहा हैं। यह दोनों ही गतिविधियां ऐसी हैं जो किसी भी कीमत पर उन कश्मीरवासियों के हित में कतई नहीं हैं। पाकिस्तान द्वारा उस कश्मीर में चलाई जा रही इन्हीं मनमानी एवं कश्मीर विरोधी गतिविधियों के विरोध में गत् दो अगस्त को तथा 13 अगस्त अर्थात् पाकिस्तान की जश्र-ए-आज़ादी से एक दिन पूर्व ही न केवल कश्मीरी अवाम ने अब तक का सबसे विशाल पाक विरोधी प्रदर्शन किया बल्कि इनके द्वारा सरेआम बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी झंडे भी कश्मीर की सडक़ों पर जलाए गए और मक़बूज़ा कश्मीर से पाक सेना हटाने की मांग भी की गई। इन प्रदर्शनकारियों को पाक सैनिकों के अत्याचार का सामना भी करना पड़ा।
पाकिस्तान से आज़ादी की मांग केवल वहां के कश्मीरी ही नहीं कर रहे बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी पाकिस्तान को इस आशय के स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि वह अपने नियंत्रण में आने वाले कश्मीरी क्षेत्र को तत्काल अपने सैनिकों से ख़ाली कराए। यूएन का मानना है कि इस क्षेत्र में पाकिस्तान का अनाधिकृत कब्ज़ा सीधेतौर पर मानव अधिकारों का उल्लंघन है। परंतु पाकिस्तान ने चीन के साथ अपने सैन्य संबंध आसान करने की खातिर तथा भारत के विरुद्ध इन संबंधों का समय आने पर लाभ उठाने की गरज़ से पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगिट तथा बाल्टीस्तान जैसे सामरिक क्षेत्रों को अपने कब्ज़े में कर रखा है। भारतीय कश्मीर में फैले अशांति के वातावरण के मध्य गत् दिनों भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पठानकोट में एक रैली के दौरान पाक अधिकृत कश्मीर के प्रति पहली बार अपनी चिंता का इज़हार किया। उन्होंने कहा कि भारतीय कश्मीर भारत व पाकिस्तान के मध्य कभी भी कोई मुद्दा नहीं था बल्कि असली मुद्दा हमेशा पाक अधिकृत कश्मीर ही था। राजनाथ सिंह द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर दिया जाने वाला यह बयान एक ऐसा बयान था जिसका भारतीय जनता दशकों से प्रतीक्षा कर रही थी। इसके पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मक़बूज़ा कश्मीर तथा ब्लोचिस्तान के प्रति अपनी चिंता जताई। बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी मुज़फ्फराबाद में तिरंगा फहराने का संकल्प जताया। निश्चित रूप से पाकिस्तान जैसे पीठ में छुरा घोंपने वाले देश के लिए भारतीय कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के दु:स्साहस का माकूल जवाब यही होगा कि भारत सरकार तथा भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर के नागरिकों की मांगों के पक्ष में खड़ी होकर पाकिस्तान सरकार व पाक सेना के ज़ुल्मो-सितम से कश्मीरियों को निजात दिलाए। इसमें कोई शक नहीं कि पाक अधिकृत कश्मीर की अवाम भारतीय कश्मीरी अवाम के साथ मिलकर रहना चाहती है। परंतु पाकिस्तान दुनिया को अंधेरे में रखकर उस कश्मीर को आज़ाद कश्मीर के नाम से संबोधित कर दुनिया को धोखा देता आ रहा है।
पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान व चीनी सैनिकों की दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही घुसपैठ तथा इस क्षेत्र में आतंकवादियों के क़ािफलों का सरेआम आना-जाना तथा इनके प्रशिक्षण शिविरों का सैकड़ों की संख्या में इस क्षेत्र में संचालित होना कश्मीर की तबाही का एक बड़ा कारण बन चुका है। बावजूद इसके कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज़ से यह इलाका भी भारतीय कश्मीर की ही तरह स्वर्ग का ही दूसरा रूप है। परंतु पाकिस्तान नेअपनी नाजायज़ तथा गलत नीतियों की वजह से स्वर्ग रूपी इस धरती को न केवल नर्क बना दिया है बल्कि इस क्षेत्र में भयवश पर्यट्कों ने भी आना-जाना बंद कर दिया है। इसकी वजह से यहां का पर्यट्न उद्योग पूरी तरह ठप्प हो गया है। बड़े-बड़े होटल बंद हो चुके हैं। बाज़ारों से रौनक गायब है। औद्योगिक विकास का कहीं कोई निशान नहीं है। स्कूल-कॉलेज,अस्पताल आदि न के बराबर हैं। पूरे क्षेत्र में केवल बंदूक़ों,बारूद तथा सैनिकों के जूतों की धमक तथा उनकी गाडिय़ों की गडग़ड़ाहट ही सुनाई देती है। ज़ाहिर है ऐसे वातावरण में आिखर कौन रहना चाहेगा?
पाक अधिकृत कश्मीर के नागरिकों की स्थिति के विपरीत भारतीय कश्मीर में भारत सरकार यहां के स्थानीय विकास से लेकर जनसुविधाओं से संबंधित सभी क्षेत्रों में पूरी दिलचस्पी दिखाती है। इस क्षेत्र में न केवल दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रेलवे लाईन बिछा दी गई है बल्कि बड़े-बड़े बिजली घर भी बनाए गए हैं। भारत सरकार सब्सिडी की कीमत पर अनेकानेक वस्तुओं को कश्मीरवासियों के इस्तेमाल के लिए वहां प्रतिदिन बड़ी मात्रा में भेजती रहती है। अनेक उच्चस्तरीय स्कूल-कॉलेज,अस्पताल आदि यहां संचालित हो रहे हैं। भारतीय कश्मीर के लाखों बच्चे शेष भारत के विभिन्न महाविद्यालयों में सामान्य शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते-जाते रहते हैं। कश्मीरियों का कई स्थानीय उत्पाद शेष भारत में अच्छे दामों पर बिकता है। पाकिस्तान द्वारा भारतीय कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने के बावजूद यहां पर्यट्कों का आना-जाना लगा रहता है। और स्थानीय कश्मीरी लोगों की पर्यट्कों के आवागमन से अच्छी आय होती है। परंतु जो पाकिस्तान अपने नियंत्रण वाले कश्मीर के लोगों को खुश नहीं रख पाता,उनका समर्थन नहीं जुटा पाता वही पाक जब भारतीय कश्मीर की आज़ादी के नाम पर यहां के युवकों को भारत के विरुद्ध उकसाने व भडक़ाने का दु:स्साहस करता है तो निश्चित रूप से बहुत आश्चर्य होता है।
ऐसे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान भले ही देर से आया हुआ बयान क्यों न हो परंतु इसे पाकिस्तान को भारत की ओर से दिए गए मुंहतोड़ जवाब के रूप में देखा जाना चाहिए। इतना ही नहीं भारत सरकार को गृहमंत्री के बयान के साथ मज़बूती से खड़े होकर पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान के कब्ज़े से मुक्त कराए जाने की आवाज़ पूरी ताकत के साथ बुलंद करनी चाहिए। साथ-साथ गृहमंत्री को अपने ऐसे बयानों से भी परहेज़ करना चाहिए जिसमें कि कश्मीर समस्या को संबोधित करते हुए उन्होंने यह कहा था कि ‘इस्लाम हिंसा की इजाज़त नहीं देता’। क्योंकि कश्मीर समस्या अथवा कश्मीर संबंधी कोई भी विवाद एक राजनैतिक अथवा भौगोलिक विषय तो हो सकता है परंतु यह धार्मिक विषय कतई नहीं है। केवल पाकिस्तान ही ऐसा देश है जो कश्मीर विवाद को धर्म के नाम से जोडक़र दुनिया के इस्लामी देशों से इसके बदले में फायदा उठाना चाहता है तथा इसी के नाम पर कश्मीरी अवाम के प्रति अपनी हमदर्दी जताता रहता है। हाफ़िज़ सईद जैसे आतंकी भी इस विवाद को इस्लाम तथा मुसलमान से जोडक़र प्रचारित करना चाहते हैं। जबकि हक़ीक़त में वहां के विभिन्न दलों के मुस्लिम राजनीतिज्ञ भी इस विषय को एक राजनैतिक विषय के रूप में संबोधित करते हैं न कि किसी धार्मिक मुद्दे के रूप में। परंतु जहां तक पाक अधिकृत कश्मीर का विषय है निश्चित रूप से इसे लेकर भारत को अपनी आवाज़ इन शब्दों में बुलंद करनी चाहिए कि-छोड़ो इस कश्मीर की बातें-वह कश्मीर हमारा है। पूरा देश इस आवाज़ के साथ खड़ा दिखाई देगा।

4 COMMENTS

  1. छोडो इस कश्मीर की बातें।
    वह कश्मीर हमारा है
    यह शीर्षक जाफ़री साहब द्वारा ही लिखा गया अतिसुन्दर आलेख का शानदार शीर्षक है। मैं तनवीर जाफ़री साहब के आलेख गत 15 वर्षों से पढ़ रहा हूँ। इनके जैसा निष्पक्ष व निर्भीक लेखक मैं ने नहीं देखा। देश को आज ऐसे लेखकों की ही ज़रुरत है। भगवन जाफ़री जी को दीर्घायु दे।

  2. तनवीर जाफरी जी द्वारा प्रस्तुत सूचनात्मक आलेख, “छोड़ो इस कश्मीर की बातें- वह कश्मीर हमारा है” सामयिक और वहां राजनैतिक तनाव की स्थिति को समझते हुए अवश्य ही बहुत महत्वपूर्ण है| सोचता हूँ अधिकृत कश्मीर को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी का वक्तव्य पहला है से क्या अभिप्राय हो सकता है? एक, भारत की ओर से ऐसा वक्तव्य पहली बार दिया गया है, अथवा दो, केंद्र में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बीजेपी शासन द्वारा उनका पहला वक्तव्य है? बिना उत्तर मिले मैं नैतिकता-वश कहूँगा कि लेख के अंत में तनवीर जाफरी जी द्वारा प्रस्तुत तर्क-वितर्क से बीजेपी शासन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी के वक्तव्य, “इस्लाम हिंसा की इजाज़त नहीं देता” भले ही अनुपयुक्त हो लेकिन कल तक कश्मीर समस्या अथवा कश्मीर संबंधी सभी विवाद भौगोलिक होते हुए कांग्रेसी राजनीति में अवश्य ही धार्मिक विषय रहा है नहीं तो सभ्य समाज में उपयुक्त न्याय व विधि व्यवस्था के अंतर्गत बड़ी संख्या में पंडितों को किसी कारण आवासहीन होने की कोई आवश्यकता नहीं थी| संभवतः कांग्रेसी-संध्या के अवशेष उन्हें ऐसा कहने को उपकृत करते हों लेकिन मेरा विश्वास है कि आज राष्ट्रीयता की प्रभात में न्याय व विधि व्यवस्था द्वारा हिंदुत्व के आचरण का अनुसरण करते सभी भारतीय नागरिक धर्म को कभी समस्या नहीं बनाएंगे और न ही किसी को धर्म को समस्या बनाने की अनुमति देंगे|

  3. छोडो इस कश्मीर की बातें।
    वह कश्मीर हमारा है।
    कोई कवि की पंक्तियाँ लगती है। सभी बिंदुओं पर प्रकाश डालता,सुन्दर आलेख।
    लेखक श्री तनवीर जी जाफरी को शत शत धन्यवाद।

  4. तनवीर जाफ़री जी आपने हर भारतीय के मन की बात कह दी है ! बहुत-बहुत धन्यवाद !! कश्मीरी पंडितों को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाज़ा भी खटखटाना चाहिए—- राजतंत्र में राजा सम्प्रभुतासम्पन्न होता है बँटवारे के समय कश्मीर में राजतंत्र था जब तत्कालीन महाराजा हरीसिंह ने स्वेच्छा से संघ में विलय का प्रस्ताव भेजा था तो अब प्रश्नचिन्ह का कोई सवाल ही नहीं उठता है – कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है !! धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों को भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ये धारा केवल भारत में स्थित आजाद कश्मीर के लिए ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए भी है फिर क्यों कश्मीर के उन हिस्सों में कबायली-बलूची-पंजाबी तथा अक्साई चिन में बीजिंग-शंघाई-तिब्बती आ-आ करके बसते जा रहे हैं क्यों ये लोग उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं ??? मीडिया वाले भी इनसे (धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों) पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए सवाल क्यों नहीं पूँछते हैं ???हंदवाड़ाः ‘सबूत’ संग सेना की सफाई, जवान ने नहीं की छेड़छाड़
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    राजतंत्र में राजा सम्प्रभुतासम्पन्न होता है बँटवारे के समय कश्मीर में राजतंत्र था जब तत्कालीन महाराजा हरीसिंह ने स्वेच्छा से संघ में विलय का प्रस्ताव भेजा था तो अब प्रश्नचिन्ह का कोई सवाल ही नहीं उठता है —- जैसा कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कांग्रेस की नपुंसकता के कारण कश्मीर में 1948 से ही ऐसे दुष्कृत्य को अंजाम दिया है और आज तक जारी है —-???जब राजतंत्र में कश्मीर के राजा ने बिना शर्त भारत के समक्ष समर्पण कर दिया था तो फिर झूठे भाई-बाप-सौहर बने बैठे आतंकियों के लिए हम क्यों रायशुमारी करें ??1947 के बाद तो भारत शांत था पर पाकिस्तान ने ही कश्मीर पर जुल्मोसितम ढाकर आधे कश्मीर को गुलाम बनाकर बचे आधे को जीने नहीं दे रहा है काश ये बात आतंकियों की नाजायज औलादें समझ पातीं :——–राजतंत्र में राजा सम्प्रभुतासम्पन्न होता है बँटवारे के समय कश्मीर में राजतंत्र था जब तत्कालीन महाराजा हरीसिंह ने स्वेच्छा से संघ में विलय का प्रस्ताव भेजा था तो अब प्रश्नचिन्ह का कोई सवाल ही नहीं उठता है ?? कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ——

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