जन्म दिवस 01 जुलाई पर विशेष
शादाब जफर ”शादाब”
पाकिस्तानी पैटन टैंकों के एक एक कर अपने गोलों से परखच्चे उड़ाने वाले वीर अब्दुल हमीद की बेवा और उनके वंशज आज दर-दर की ठोकरे खा रहे है। सरकारी मदद या सरकारी नौकरी पाने के लिये सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है। आज तमाम भारत माता के वीर सपूतों की तरह देश ने इस वीर सपूत को भी भूला दिया। वीर अब्दुल हमीद की बात तो बहुत पुरानी है हाल ही में कारगिल व दंतेवाड़ा में हुए शहीदों के परिवारो की जिस प्रकार सरकार द्वारा द्रुतगति की जा रही है वो हम सब लोगों के सामने है। देश की ये कैसी विडंबना है कि आज एक ओर जहां देश में साधु महात्माओं और राजनेताओं के पास करोड़ों अरबो रूपया है वही देश पर मर मिटने वाले जवानों और उन के परिवार वालों के पास इतना पैसा भी नहीं कि ये लोग देश पर मर मिटने वाले अपने लाल का अंतिम सस्कार भी कर सकें। छत्तीसगढ़ रायपुर गरियाबाद की नक्सली हिंसा में शहीद हुए जवान होमंश्वर ठाकुर का अंतिम संस्कार करने के लिये उस के परिवार को 30 हजार रूपये उधार लेने पड़े। सरकार द्वारा सहायता राशि का ऐलान तो कर दिया गया किन्तु संबंधित अफसर नक्सली हिंसा में शहीद हुए जवान के परिवार तक सरकारी सहायता राषि नही पहुंचा पाये। सहायता राशि पहुचने में इतनी देर हुई की शहीद के परिवार ने कर्ज लेकर भारत मां की रक्षा करते हुए देश पर अपनी जान लुटाने वाले अपने लाल का अंतिम संस्कार कर्ज के पैसे से किया।
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मगई नदी के किनारे बसे छोटे से गांव धामपुर के एक बहुत ही गरीब परिवार में 1 जुलाई सन् 1933 को अब्दुल हमीद का जन्म हुआ था। हमीद बचपन से ही परोपकारी और दूसरो की मदद करने वाले थे। हमीद के घर में सिलाई का काम होता था। पर इस काम में हमीद का बन बिल्कुल नही लगता था। अब्दुल हमीद को बचपन से ही लाठी, काठी और कुश्ती का बहुत शौक था अपने सुडौल शरीर के कारण वो आसपास के गांवों में भी मशहूर थे। रात को जब पूरा गांव सो जाता तब अब्दुल हमीद लाठी चलाने की शिक्षा लेते थे। पेड पर चढना, गुलेल का अच्छा निशाना लगाना व मगई नदी में बाढ आने पर अंधेरे में ही पार कर जाना अब्दुल हमीद की विषेशताए थी। एक बार उनके गांव के ही एक व्यक्ति की फसल काटने के लिये गांव के जमींदार के 50 लोग लाठी डन्डों-गडासों से लैस होकर जब खेत में पहुंचे तो निडर अब्दुल हमीद ने उन्हें ललकारा। अब्दुल हमीद की चेतावनी सुनकर 50 के पचास लोग भाग खडे हुए। उस वक्त हमीद के साथ केवल तीन लोग और थे। एक बार मगई नदी में बाढ आई हुई थी हमीद ने देखा नदी पार करते हुए पडोस के गांव की दो औरतें नदी में डूब गई लोगों के मना करने के बावजूद अब्दुल हमीद ने नदी में छलांग लगा दी। अज्ञेर महिलाओं को नदी से जिन्दा निकाल कर नाव में बैठाकर उन्हें उनके गांव तक छोड आये।
हमीद का मन सदैव दूसरों की मदद और देश सेवा के लिये बेचैन रहता था वो मन नही मन तड़प रहे थे। बात सन् 1954 की है एक दिन घर से रेलवे में भर्ती होने की बात कह कर सेना में भर्ती हो गये। और 1960 तक वो जम्मू-कश्मीर में ही रहे। उस समय जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर पाकिस्तानी घुसपैठिये वेश बदल कर कश्मीर के रास्ते भारत में घुस कर उत्पात मचाते थे। एक बार अब्दुल हमीद ने भारत में प्रवेश करते हुए कुख्यात डाकू इनायत नामक आतंकी को पकडकर अपने उच्च अधिकारियों को सौपा। इस बहादुरी भरे काम के लिये हमीद की तरक्की हुई और वो लांसनायक बना दिये गये। 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो हमीद नेफा की सीमा पर तैनात थे। जहां उन्हें पहली बार प्रत्यक्ष रूप से युद्व में भाग लेने का अवसर मिला। पर इस युद्ध में हमीद की मन की चाह पूरी न हो सकी वो तो दिल में देश पर मर मिटकर कोई न छोटा चक्र या पदक प्राप्त करने की दिल में मंशा रखते थे। इसी लिये पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जाने से पहले उन्होंने अपने भाई से कहा था कि ‘पल्टन में उनकी बहुत इज्जत होती ह जिन के पास कोई चक्र होता ह। देखना झुन्नन हम जंग में लडकर कोई न कोई चक्र जरूर लेकर ही लौटेंगे।
बात 10 सितम्बर सन् 1965 की है जब भारत और पाकिस्तान का युद्व एक अजीबो-गरीब मोड लेना चाह रहा था। पाकिस्तान का नापाक इरादा अमृतसर पर अपना अधिकार कर लेने का था। अमृतसर से पश्चिम की ओर वीर अब्दुल हमीद कसूर क्षेत्र में तैनात थे। यही से पाकिस्तानी कमाण्डर ने आगे बढकर अमृतसर को घेरने की योजना बनाई हुई थी। अपनी योजना के अनुसार पैटन टैंकों के फौलादी लाव लश्कर के साथ फौलादी गोले बरसाते हुए दुश्मन फौज भारतीय सेना पर टूट पडी। परिस्थिति की गम्भीरता को समझने में हमीद को देर न लगी। उन्होंने देखा दुश्मन मुल्क की तैयारी बहुत अधिक है वही टैंकों के इस भीषण आक्रमण को रोकने में मृत्यु निश्चित है लेकिन हमीद को अपनी जान से ज्यादा देश प्यारा था। और वो इस क्षण की प्रतिक्षा में थे वो एक सच्चे सिपाही के रूप में अपने कर्तव्य को निभाना चाहते थे। उन्होंने मन ही मन संकल्प लिया कि वो दुश्मन को एक इंच भी आगे नहीं बढने देगे।
बिना समय गुजारे ही तोप युक्त अपनी जीप को एक टीले के सहारे रोक कर यह भारत का वीर पाकिस्तानी पैटन टैंकों पर भीषण गोलाबारी करने लगा। और देखते ही देखते हमीद ने मिट्टी के घरौंदों की तरह पाकिस्तान के तीन टैंकों को ध्वस्त कर दिया। अजय समझे जाने वाले पाकिस्तान के टैंकों पर वीर अब्दुल के गोले इतने सधे हुए पड़ रहे थे कि गोला पड़ते ही उन में आग लग जाती थी। अपने वीर नेता की बहादुरी देख भारतीय जवान दुगने जोश में भर गये और दुश्मन पर टूट पडे। अपने पैटन टैंक ध्वस्त होते देख दुश्मन सेना का कमाण्डर गुस्से से पागल हो गया। अपने टैंकों पर गोले बरसाने वाले भारतीय को उसकी निगाहें तलाशने लगी। और आखिरकार उस की निगाहों ने वीर अब्दुल हमीद को टीले के पीछे देख लिया। फिर क्या था पूरी पाकिस्तानी सेना के टैंकों का मुंह हमीद की तरफ मुड़ गया और देखते ही देखते दुश्मन के गोले अब्दुल हमीद की जीप के आगे पीछे दाय बाय सभी ओर गिरने लगे। दरअसल वो और उन की जीप ही अब दुश्मन का निशाना बन चुकी थी।
लेकिन वीर अब्दुल हमीद देश पर मर मिटने के लिये पैदा और सेना में भर्ती हुए थे मौत का डर उन्हें कभी था ही नहीं। लिहाजा वो साहस के साथ अपने मोर्चे पर डटे रहे। आग और गोले के बीच देश का ये बहादुर सिपाही अपनी तोप जीप से पाकिस्तान के चौथे टैंक पर गोला फेंक ही रहा था कि दुश्मन के गोले का एक भीषण प्रहार उन पर हुआ और भारत मां का लाडला ये सिपाही मातृभूमि की रक्षा करते हुए देश पर शहीद हो गया। परन्तु उनके बलिदान ने अपनी सेना में वो जोश भरा की दुश्मन का दिल दहल उठा। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी शहादत से ये भी साबित किया कि जंग हथियारों से नहीं बल्कि हौसलों से लड़ी जाती है। देश का ये सच्चा देशभक्त अपने भाई से इस युद्व में कोई छोटा चक्र पाने का वादा कर के आया था। पर इस वीर को अब्दुल हमीद के साथ ही वीर अब्दुल हमीद नाम मिला और प्राप्त हुआ सेना का सब से बड़ा चक्र ”परमवीर चक्र” कसूर क्षेत्र में बनी अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद की समाधि आज भी देश पर मर मिटने की लाखों करोड़ों लोगों को यूं ही प्रेरणा देती रहेगी।
शहीदों की चिताओं पर लगेगे हर बरस मेले।
वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा॥
i am proud of u sir
Ham hind ke veer sipahi Hindustan pe jaan luta denge agar Pakistan ke kutte hamari Bharat me 1inch bhi ghusega to Bharat ke Muslim apne sir pe kaphan bandh ke niklega aor Pakistan ko muh tod javab dega jai hind
Muslim ko dhokhebaj kahne wale aaj Abdul hameed ke jindagi se seekho jai hind Bharat maata ki jai
Well done my real hero…
Lot’s of love u….
Miss u…
U r my ideal….
Every Indian salute u…
Jai hind…
CRT.
Kuch yaad unhe b kar lo jo laut ke ghar naa aye . Bharat hmara desh h aur desh ki tarraki sbse h ekta se h veer abdul hameed ko shat shat naman
Hame naaj hai ki aap ek muslim the hm khi bhi sar utha ke chalenge and desh ke lie jan bhi de denge insaallah
jai ho
mujhe fakhr hai ki mai musalman hu aur indian muslim aur ek musalman kabhi apne desh ko dhokha de hi nahi sakta mujhe fakhr hai aap par (VEER ABDUL HAMEED) HINDUSTAN ZINDABAD.ZINDABAD ZINDABAD
indian sher……..veer abdul hameed……jai hind
hindustan zindabad……
O bhart desh hai mera. Jha dal dal pr sone ke chudya karte hai bsera. Main Bhi apne desh pr Mar mitana chata Hu veer Abdul Hamed ke tarah.
Veer abdul hameed pure desh ko tum pargarv hai sarkar ko chaiye ki unki puri madad kare….
Veer putr ko salam..nalat h hamare rajnetao par jo aise veer ko bhulae baithe h
aapkao bahut dhanyvad aur es desh bhakt ko salam
naj hai hume aise veer per sarkar ko unki puri madat krni chaiye i will reqst u to all indans
i m proud of u
Naaz h hame aise veer par
hume abdul hameed par fakhr hai.hats off to abdul hameed the martye of india
mujhe bahut garav h us maa par jisne sher jaisa puttr ko janam diya jab tak suraj chaand rahega veer abdul hameed amar rahenge….Idrishi sher ko dil se salaam
hame faqr hai aaj bhi apne desh ke veer jawano par chahe woh shaheed veer abdul hamid ya bhagat singh par afsos ke aaj hum aapas me hi ladh rahe h kya yahi din dekhne ke liye hamare desh ke veero ne
apni qurbani di thi, dosto abhi bhi waqt hai ek ho jao yahi hamare sab ke liye aur hamare desh ke hit me
Jo Lada Tha Sipaahiyon Ki Tarah
Aisa Bharat Mein Koi Baadshah Na Hua
Rooh To Ho gayi Thi Tann Se Judaa
Haath Talwaar Se Judaa Na Hua
”JAI HIND”JAI BHARAT”
jab tak suraj chand rahega veer abdul hameed aapka Naam Rahega
शहीदों की चिताओं पर लगेगे हर बरस मेले।
वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा॥
Veer abdul hameed pure desh ko tum par garv hai sarkar ko chaiye ki unki puri madad kare
राष्ट्र और राष्ट्रवाद की बात करने वालों के लिए वीर अब्दुल हमीद की पीड़ा वोट बटोरने में कोई योगदान नहीं देती, अन्यथा वीर अब्दुल हमीद के बारे में भी जरूर विचार किया जाता| इस देश में किसी भी दल की सरकार हो, असली सत्ता तो कुटिल चल चलने वाली भ्रष्ट, अत्याचारी और दोगली कौम के ही हाथों में रही है, जो इस देश को आजादी से आज तक दीमक की भांति चट करती आ रही है और पूरी तरह से बर्बाद करके छोड़ेगी! उस कौम के मन में भारत के 98 फीसदी पिछड़े, दमित, दलित, आदिवासी, स्त्री, अल्पसंखयक और शोषित वर्ग के लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है!
वीर अब्दुल हमीद को शत शत नमन. धिक्कार है ऐसे समाज पर जो अपने इतिहास को भूल जाता है.
Garv hai us maa par jisne aap jaise veerputra ko janam diya jisne apne housle buland rakhte hue apni jaan gava di par maa ki shaan bacha rakhe.
शाबादजी बहुत बहुत धन्यवाद बहुत ही दिलचस्प म्रमभरा व् प्रेरणा देने वाला लेख
ऐसे वीरो की शहादत ही इस भारतभूमि का गोरव बनाये हुए है ………………..
…………………………..सलाम