राजनीति

मुख्यमंत्रियों को नहीं मुसलमानों को दें सलाह

sushil shindeप्रवीण दुबे
आखिर इस देश के मुसलमानों पर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा कि देश के गृहमंत्री को उनके बचाव में आगे आना पड़ा। गृहमंत्री शिन्दे ने सोमवार को पत्र लिखकर सभी मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि  कोई भी बेकसूर मुस्लिम युवा आतंक के नाम पर हिरासत में न लिया जाए। सच पूछा जाए तो शिन्दे के इस पत्र से मुस्लिम तुष्टीकरण की बू आ रही है। यह वही शिन्दे हैं जिन्होंने हिन्दुओं के लिए त्याग और बलिदान परम्परा के प्रतीक ‘भगवा’ को आतंकवाद से जोड़कर भगवा-आतंकवाद जैसा शब्द थोपा था। यह बात अलग है कि बाद में शिन्दे को इस पर माफी मांगना पड़ी थी। शिन्दे उसी कांग्रेस के नेता हैं जो पार्टी आजादी के बाद से लेकर आज तक देशवासियों को धर्म, जाति और सम्प्रदाय के आधार पर लड़ाती रही और अपना उल्लू सीधा करती रही। वास्तव में यदि कांग्रेस को मुसलमानों की इतनी चिंता होती तो वह गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी का शिकार न होते। कांग्रेस ने सदैव मुसलमानों का वोट बैंक के रूप में उपयोग किया और फिर उन्हें उनके अपने भाग्य के सहारे छोड़ दिया। चुनाव नजदीक देख कांग्रेस अब इस बात को लेकर घबराई हुई है कि उसका परम्परागत मुस्लिम वोट अब उससे दूर होता जा रहा है। उत्तरप्रदेश हो या बिहार, गुजरात हो या मध्यप्रदेश जहां कभी कांग्रेस का परचम लहराया करता था, वहां आज स्थिति यह है कि कांग्रेस अस्तित्व के लिए संघर्ष करती दिखाई दे रही है। यही वजह है कि कांग्रेस अपनी  वही पुरानी सांप्रदायिक राजनीति का खेल खेल रही है। मुसलमान कैसे खुश किए जाएं? इस पर कांग्रेस में चिंतन जारी है। इसी का परिणाम है गृहमंत्री शिंदे का सोमवार को मुख्यमंत्रियों को लिखा गया पत्र। आखिर शिन्दे चाहते क्या हैं? किस आधार पर उन्होंने यह पत्र जारी कर दिया। यदि इस तरह के कोई मामले सामने आए हैं तो उसे देशवासियों के सामने उजागर किया जाना चाहिए। केवल यह कह देना कि बेकसूर मुस्लिम युवकों को फंसाया जा रहा है, इससे काम नहीं चलने वाला। पूरा देश अब कांग्रेस का चरित्र भली प्रकार जान चुका है। गुजरात हो या मुजफ्फरनगर, गोधरा कांड हो या अयोध्या का राम जन्मभूमि आंदोलन इन सबको लेकर भी कांग्रेस वोटों की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण करती आई है और यह कहती रही कि यहां मुसलमानों पर  अत्याचार हुए, दंगों में उन्हें बर्बाद किया गया। बड़े अफसोस की बात है कि कांग्रेस कभी यह नहीं कहती कि गुजरात दंगों की शुरुआत गोधरा से हुई जहां अयोध्या से कारसेवा कर रेल से लौट रहे रामभक्तों को मुसलमानों ने जिंदा जला डाला। अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने को मुसलमानों पर अत्याचार बताने वाली कांग्रेस कभी यह नहीं बताती कि बाबर ने किस प्रकार हजारों रामभक्तों का कत्लेआम कराकर रामजन्म भूमि को तोड़ा और वहां विवादित ढांचा खड़ा किया। कांग्रेस ने भी अपने शासनकाल में इस मामले में हिन्दुओं को ही दबाने की कोशिश की और मुस्लिम तुष्टीकरण में मामले को लटकाए रखा। आज कश्मीर समस्या को लेकर भी कांग्रेस की केन्द्र सरकार गंभीर नहीं है। मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण अलगाववादियों, आतंकवादियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में किश्तवाड़ में जो कुछ हुआ वह सीधे-सीधे मुस्लिम गुंडों द्वारा ईद की नमाज के बाद हिन्दुओं पर हमले की कार्रवाई थी। इसमें राज्य सरकार का गृहमंत्री तमाशबीन बना रहा। इसी प्रकार मुजफ्फरनगर में दंगों की शुरूआत मुस्लिम युवकों द्वारा हिन्दू लड़की से की गई छेड़छाड़ के बाद हुई। बावजूद इसके केन्द्र सरकार हो या उ.प्र. की अखिलेश  सरकार मुस्लिमों का पक्ष लेते ही दिखाई दी। अब तो मुस्लिम तुष्टीकरण की हद ही हो गई। गृहमंत्री पत्र लिखकर मुस्लिम युवकों को फसाए जाने की बात कह रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि गृहमंत्री मुसलमानों के नाम पत्र जारी करके यह आग्रह करते कि वह देश के विभिन्न स्थानों पर जुम्मे की नमाज के बाद होने वाले सामूहिक हिंसाचार पर लगाम लगाएं, लव जेहाद बंद करें, कश्मीर में आतंकवादी व अलगाववादी गतिविधियां समाप्त करें, युवकों को जेहाद के नाम पर आतंकवादी बनाना बंद करें और भारतभूमि को मातृभूमि मानकर इसका सम्मान करना सीखें।