प्रेम ही ईश्वर है ईसा ने ऐसा क्यों कहा था?

—विनय कुमार विनायक
प्रेम ही ईश्वर है
ईसा ने ऐसा क्यों कहा था?
जबकि ईसा एक यहूदी संप्रदाय के
यहूदियों के सारे पैगम्बर ईश्वर को
मजहबी पांथिक पक्षपाती मानते थे!

ईसा ने अन्य पैगम्बरों की तरह
खुद को ईश्वर का दूत नहीं कहा
बल्कि खुद को ईश्वर का पुत्र कहा
जो भारतीय आस्था से मेल खाता
हिन्दू धर्म में ईश्वर है जगतपिता!

क्षमा-दया-करुणा-अहिंसा-प्रेम की बातें
किसी भी हजरत पैगम्बरों ने नहीं की
बल्कि ईसा पूर्व भारतीय धर्म-दर्शन में
राम कृष्ण बुद्ध जिन तीर्थंकरों ने की
ईसा उपनिषदीय ज्ञान से परिचित थे!

ईसा के संदेश पर भारतीय धर्म के
भगवान बुद्ध के धम्म का प्रभाव था
ईसा की तेरह से तीस तक की उम्र का
जिक्र ओल्ड टेस्टामेंट व बाइबल में नहीं
भारत है ईसा का ज्ञान व निर्वाण भूमि!

ईसा तीस वर्ष की उम्र में जेरुसलम में
अनायास ईश्वर के पुत्र बनकर उभरे थे
वे दयालु ईश्वर के संदेश सुनाने लगे थे
तैंतीस वर्ष की अवस्था में रोमन गवर्नर
पोंटियस पाईलेट ने सूली की सजा दी थी
सूली से उतारे गए व जीवित बच निकले!

सूली से जीवित बच निकलना कोई
ईश्वरीय चमत्कार नहीं एक साधना है
जो भारतीय योग में निहित योगी करते
माण्डव्य ऋषि भी सूली पे ऐसे जीवित थे
ईसा भी नाथ संप्रदाय में दीक्षित योगी थे!

जेरुसलम की इस त्रासदी के बाद
शेष जीवन ईसा ने कहां बिताए थे?
इसका उत्तर नहीं है धार्मिक ग्रंथों में
मगर भारतीय साक्ष्यों से ज्ञात होता
कि कश्मीर के पहलगाम में रहे ईसा!

पहलगाम का अर्थ गड़ेरिया का गांव
ईसा मसीह भी गड़ेरिया कहे जाते थे
पहलगाम में एक कब्र है ईसा के नाम
अपने यहूदी पूर्वज पैगम्बर मूसा के साथ
ईसा बौद्ध धर्म नाथ पंथी सिद्ध योगी थे
ईसा की शेष सारी जिंदगी कश्मीर में बीती!

श्रीनगर में एक स्थान है ईस मुकाम
ईसा थे यहूदी कश्मीर में है यहूदी बस्ती
यहूदी यदु से निकली कबिलाई जाति थी
महाभारत युद्ध के बाद द्वारिका छोड़ के
सुदूर एशिया मिस्र आदि भूभाग में फैली!
—विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,209 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress