—विनय कुमार विनायक
बंद करो नफरत की सियासत,
मानवता की कर तू हिफाजत!
मानव-मानव में कुछ भेद नहीं,
मानव-मानव में क्यों अदावत?
मानव हो मानव का हितरक्षक,
हर कौम रहे भारत में मित्रवत!
मनुज से ऊपर है नहीं मजहब,
मनुज है तभी गीता व आयत!
जब चयन करना हो संत ग्रंथ,
संत में है ग्रंथ-किताब पुस्तक!
बेअदबी की आड़ में मत हतो,
सद्ग्रंथ मानवता की विरासत!
पुस्तकों के पन्ने फाड़ने वाले
होते अज्ञानी अवध्य शिशुवत्!
सद्ग्रंथ अपवित्र होता नहीं है,
सद्ग्रंथ श्रुति स्मृति संतमत!
सतगुरु के सत्य वचन सुनो,
इंसानों को समझो आत्मवत्!
इंसानों में पंथिक भेद ना हो,
इंसान होता ईश्वर का मूरत!
किसी ईश्वर रब व खुदा का
होता नहीं ईस निंदा बेअदब!
—विनय कुमार विनायक