गजल

प्यार है लाज़िमी ज़िंदगी के लिये…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

तुमने उनको चुना रहबरी के लिये,

वो जो मशहूर हैं रहज़नी के लिये।

 

सिर्फ जज़्बातो ताक़त ही काफी नहीं,

हौंसला चाहिये दुश्मनी के लिये।

 

शर्त यह है कि तक़सीम सबमें करंे,

अपना खूं देंगे हम रोशनी के लिये।

 

भूल लम्हों की सदियां सज़ा पायेंगी,

ख़बरें ना छापिये सनसनी के लिये।

 

जिन पे पैसा है वो जो भी चाहें करें ,

सारे क़ानून हैं मुफ़लिसी के लिये।

 

दोस्ती की कसौटी पे उतरो खरे,

जान दे देंगे हम दोस्ती के लिये।

 

जंगलों से भी ज़्यादा है डर शहर में,

शर्म की बात है आदमी के लिये।

 

दौलतो शानो शौकत मिले ना मिले,

प्यार है लाज़िमी ज़िंदगी के लिये।।

 

नोट-रहज़नीः डकैती, मुफ़लिसीः ग़रीबी, कसौटीः पैमाना ,शानो शौक़तः

मान सम्मान, लाज़िमीः ज़रूरी, तक़सीमः बंटवारा।।