मानहानि का मुकदमा

0
161

कल शाम शर्मा जी के घर गया, तो पता लगा कि वे किसी बड़े वकील के पास गये हैं। सज्जन व्यक्ति से मिलने थाने से कोई आ जाए या फिर उसे ही वकील के पास जाना पड़े, तो इसे भले लोगों की बिरादरी में अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए मैं चिंता में पड़ गया और वहीं बैठ गया। सोचा, अब उनसे मिलकर ही जाऊंगा। जब शर्मा जी थके-हारे लौटे, तो चाय के साथ बात शुरू हुई।

– शर्मा जी, सब ठीक तो है न ? मोहल्ले में किसी से मारपीट हुई है या किसी ने आपके मकान पर दावा कर दिया है ? आप तो अपना टैक्स भी ठीक से भरते हैं, फिर ऐसा क्या हो गया कि वकील के पास जाने की नौबत आ गयी ? गांव में तो कोई झगड़ा-झंझट नहीं हो गया ?

– तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है वर्मा। कोई विशेष बात नहीं है।

– लेकिन आप वकील के पास गये ही क्यों ?

– मैं सामने वाले सिन्हा जी पर दस करोड़ की मानहानि का दावा करना चाहता हूं। इस बारे में बात करने गया था।

– लेकिन सिन्हा जी तो बहुत भले आदमी हैं .. ?

– क्या खाक भले हैं ? कल खुलेआम उन्होंने मुझे नंगा कहा।

– नंगा…; मैं समझा नहीं शर्मा जी ?

– असल में कल कई दिन बाद धूप निकली थी। इसलिए मैं छत पर बैठकर तेल मालिश कर रहा था, तभी…।

– उन्होंने मजाक में कहा होगा।

– नहीं जी, पूरी गंभीरता से कहा। उनकी पत्नी भी छत पर थी और मेरी भी। अब तुम ही बताओ वर्मा, मेरी भी कोई इज्जत है। इसलिए मैंने भी तय कर लिया है कि उसे नाकों चने चबवा कर रहूंगा।

– धूल डालिए शर्मा जी इस पर। मैं सिन्हा जी से कह दूंगा। वे आपको घर बुलाकर चाय पिलाएंगे और अपनी पत्नी के सामने पूरी गंभीरता से खेद व्यक्त करेंगे। मामला वहीं समाप्त हो जाएगा।

– जी नहीं। मैं दस करोड़ की मानहानि का दावा करके रहूंगा। सिन्हा का बच्चा ये मोहल्ला छोड़ कर न भागे, तो मेरा भी नाम नहीं।

– लेकिन शर्मा जी, दस करोड़ तो बहुत अधिक है। इतनी तो उसकी हैसियत भी नहीं है।

– मुझे इससे कोई मतलब नहीं है।

– बुरा न मानें तो एक बात कहूं शर्मा जी, इतनी हैसियत तो आपकी भी नहीं है।

– मैं मानता हूं; पर दावा ऐसा होना चाहिए कि सामने वाला सुनते ही पानी मांगने लगे। सुना है कि अनिल अंबानी एक कांग्रेसी नेता पर पांच हजार करोड़ की मानहानि का दावा कर रहे हैं। अरुण जेतली ने भी केजरीवाल पर दस करोड़ की मानहानि का मुकदमा ठोक रखा है। इनके मुकदमों की चर्चा मीडिया में भी खूब होती है। अब मैं भी इसी श्रेणी में आना चाहता हूं। मैं किसी से कम थोड़े ही हूं ?

– लेकिन शर्मा जी, मुकदमे में तो लाखों रु. खर्च होंगे और अगर हार गये, तो ये दस करोड़ कहीं आपके मत्थे ही न पड़ जाएं।

– अच्छा, क्या ऐसा भी हो सकता है ?

– बिल्कुल..। क्या आपके वकील ने ये नहीं बताया ?

– अभी तो उनसे बात ही नहीं हुई। दो घंटे बैठा रहा; पर वे कहीं और व्यस्त थे। उनके सहयोगी ने कल दो लाख रु. लेकर आने को कहा है।

– इसे तो आप शुरुआत समझें। इसके बाद कितने लाख और लगेंगे, ये किसी को नहीं पता। मुकदमा भी लम्बा चलेगा। सिन्हा जी के मकान का तो पता नहीं; पर आपका मकान जरूर बिक जाएगा।

– अच्छा.. ? तो मुझे क्या करना चाहिए ?

– वही जो मैंने कहा है। आप सिन्हा जी के घर जाएं और उन्हें अपने घर बुलाएं। सर्दी का मौसम है। मूंगफली और गुड़ की गजक के साथ गरम चाय का आनंद लें। और हां, ये फार्मूला मेरा है। इसलिए मुझे बुलाना न भूलें।

आज सुबह शर्मा जी और सिन्हा जी हाथ में हाथ डाले, हंसते हुए एक साथ पार्क में आये। पता लगा कि मेरा फार्मूला उन्होंने मुझे बताये और बुलाये बिना रात में ही लागू कर दिया। यानि मेरी बिल्ली और मुझे ही म्याऊं।

तबसे मैं बहुत गुस्से में हूं। सोच रहा हूं कि शर्मा जी पर मानहानि का मुकदमा ठोक दूं। दस करोड़ से कम का तो मतलब ही नहीं है। आखिर मेरा भी कुछ मान-सम्मान है। कुछ प्रसिद्धि तो मुझे भी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,308 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress