व्यंग्य

मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो


राम कृष्ण खुराना

मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो !

विपक्षी दल सब बैर पडे हैं, बरबस मुख लिपटायो !

चिट्ठी-विट्ठी इन बैरिन ने लिखी, मोहे विदेस पठायो !

मैं बालक बुद्धि को छोटो, मोहें सुबोध कांत फसायो !

हम तो कुछ बोलत ही नाहीं, सदा मौन रह जायो !

इसीलिए मनमोहन सिंह से मौन सिंह कहलायो !

लूट विपक्षी बैंक भर दीने, कालिख हमरे माथे लगायो !

हम तो कठपुतली हैं तुम्हरी, अंडर एचीवर कहलायो !

मैडम भोली बातें सुन मुस्काई, मनमोहन खींच गले लगायो !

मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो !