
—विनय कुमार विनायक
गो ब्राह्मण के रक्षक राम
थे महान मर्यादावादी!
दीन-दलितों के भगवान,
थे घोर परम्परावादी!
परम्परा को छोड़ना,
ब्राह्मणी विधान को तोड़ना
राम के लिए मुश्किल था!
तब ही तो उन्होंने तप:शील,
वेदाध्यायी,निर्दोष शूद्र शम्बूक का
निशंक शिरच्छेद किया था!
कैसा न्याय या अन्याय
राम को भी पता नहीं था
सिर्फ ज्ञात था उनको
बाबा भृगु रचित मनुस्मृति
गुरु वशिष्ठ का ब्रह्मज्ञान,
‘शूद्र हेतु वर्जित
जप-तप-पूजन-यज्ञ-यजन
वेदाध्ययन और ज्ञान—‘
गो ब्राह्मण के रक्षक राम,
सती नारी सीता के पति राम
दीन दलितों के भगवान,
हारे को हरिनाम!