मोदी के मतवाले
मोदी के मतवाले
गुजरात विकास दिखाते हैं,
गुजरात विकास के नारे मे,
गांवों को बिसराते हैं।
अंबानी और अदानी के बल पर,
चाय चौपाल लगाते हैं।
भाषण तो बहुत देते हैं,
इतिहास भूगोल भुलाते हैं,
नालंदा को तक्षशिला ,
तक्षशिला को नांलंदा ,
पंहुचाते हैं।
इतिहास की किताबों मे,
बापू की पुण्य तिथि तक
ग़लत बताते हैं।
स्थिरता का दावा भी,
धोखा ही है,
हम का NDA बिखरावन भूल पाते हैं।
राहुल के रखवाले
राहुल बाबा के रखवाले,
पलको पर उन्हें बिठाते हैं।
उनकी हर ज़िद के आगे,
कांग्रेसी सर झुकाते हैं।
सरकारी विज्ञापन में भी,
राजमाता की तस्वीर लगाते हैं।
मनमोहन प्रधानमंत्री हैं,
हम सोच के मन बहलाते हैं।
दामाद के काले धन को,
ये जायज़ आमदनी बताते हैं।
कलमाडी जैसों तक को,
लोकसभा भेजने का,
ये टिकट दिलाते हैं।
जनता इन्हें नकार चुकी है,
फिर भी,
मनरेगा, खाद्य सुरक्षा,
याद दिलाते हैं।
राजीव आवास योजना का,
विज्ञापन रोज़ दिखाते हैं।
अरविंद के अराजक
ये पागल दीवाने से,
झाड़ू लेकर आये हैं।
राजनीति के दांवपेच,
इन्हे नहीं कुछ आते हैं।
भ्रष्टाचार मिटाने को,
कूड़ा कचरा हटाने का
दृढसंकल्प लेकर आये हैं।
भ्रष्टाचार और महंगाई से,
त्रस्त जनता का,
ये बोझ उठाने आये हैं।
सत्ता की भूख नहीं इनको,
ये सुख और आराम का जीवन,
छोड़ के आये हैं।
बीनू भटनागर ने कविता के माध्यम से सही विचार दिया है
सुरेश माहेश्वरी
वाह शिवेन्द्र जी, मोदी के मतवालो मे आपका स्वागत है।हम तो अरविंद के अराजक ही भले!
शुक्रिया बीनू बहन, आशा करता हूँ कि हम कभी शब्दों कि अराजकता पर नहीं जाएंगे.
चोर चोर का नारा देकर लोगों को बरगलाते हैं,
३७० पेज का सबूत बोल कर खुद हर्षवर्धन से सबूत मांगते हैं
लोगों को आमंत्रण देकर ताम झाम फैलाते हैं
बढ़ती भरी भीड़ देखकर विधान सभा कि छत पे खुद चढ़ जाते हैं,
लोगों को बिलखता छोड़ खुद गायब हो जाते हैं.
झाड़ू कहाँ लगाना इनको यही बता नहीं पाते हैं.
रेल भवन पे धरना देकर अराजकता फैलाते हैं.
अन्ना कि टोपी धारण कर टोपीबाज ये बन जाते हैं.
काम धाम आता नहीं इनको, झट धरना देना आता है.
लोगों को टोपी पहनाना इनको बखूबी आता है.
ईमानदारी का तमगा देकर दोहरे मापदंड अपनाते हैं
अपने लोगों को सर्टिफिकेट देकर हरिश्चंद्र बतलाते हैं
फोर्ड से चंदा खाने वाले बच्चों कि भी झूठी कसमें खाते हैं.
सामने सी ऍम कि कुर्सी देख झट उसपर चढ़ जाते हैं.
झूठ पे झूठ बोलने वाले दूसरों को झूठा बताते हैं.
Interesting
बिनु जी की लेखनी का मैं मुरीद हूँ . उनकी ये कवितायें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा है .
उन्हें मेरी शुभ कामनाएं