यूपी में दुधारी गाये बना,ईमानदार बिजली उपभोक्ता

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संजय सक्सेना,लखनऊ
उत्तर प्रदेश पाॅवर कारपोरेशन
लिमिटेड(यूपीपीसीएल)अपनी तमाम खामियों के कारण हमेशा
चर्चा बटोरता रहता है। विभागीय भ्रष्टाचार, बिजली चोरी,
लाइन लाॅस, इलेक्ट्रिक सप्लाई में लगातार जारी व्यवधान,
विभाग के अनाप-ंउचयशनाप खर्चे,मीटर रीडिंग मेें गड़बड़ी
और उलटे सीधे बिल उपभोक्ताओं को थमा देना बिजली
विभाग की कार्यशैली का हिस्सा बन गया है। इसके अलावा
मनमाने फैसलों के लिए भी यूपीपीसील जाना जाता है। बिजली
कम्पनियों से बिजली लेते समय सस्ती बिजली खरीदने पर ध्यान देने के
बजाए अन्य ‘सुविधाओं’ का ज्यादा ध्यान रखा जाता है। बिजली
विभाग के कार्यशौली से समस्या और जन आक्रोश तब पैदा
होता है, जब उक्त समस्याओं से निपटने और के बजाए पाॅवर
कारपोरेशन ईमानदारी से बिजली का बिल चुकाने वाले
उपभोक्ताओं को दूध देने वाली गाय सम-हजयना शुरू कर
देता है।
यह सब इस लिए बताया जा रहा है क्योंकि यूपीपीसीएल महंगी
बिजली की मार -हजयेल रहे उपभोक्ताओं को एक बार फिर बिजली की
दरें और फिक्स चार्ज ब-सजय़ाकर 440 वोल्ट का -हजयटका देने
वाला हैं। पावर कॉर्पोरे-रु39यान के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल
जाती है, तो -रु39याहरी घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली की
न्यूनतम दर 1.30 रुपये की ब-सजय़ोतरी के साथ 6.20 रुपये प्रति
यूनिट हो जाएगी। अभी घरेलू उपभोक्ताओं की न्यूनतम

दर 4.90 रुपये प्रति यूनिट है। कॉर्पोरे-रु39यान ने 14 जून को बिजली
दरों में 20 फीसदी तक की ब-सजय़ोतरी का प्रस्ताव राज्य विद्युत
नियामक आयोग को भेजा है। अब आयोग प्रस्ताव पर सुनवाई
कर यह फैसला करेगा कि बिजली दरें कितनी ब-सजय़ेंगी। ब-सजय़ोतरी
प्रस्ताव में कॉर्पोरे-रु39यान ने कमर्शियल और उद्योगों की श्रेणी
की दरों में भी 10 से 15 प्रति-रु39यात तक ब-सजय़ोतरी की सिफारि-रु39या
की है।
बिजली दरों में ब-सजय़ोतरी का जो प्रस्ताव पावर कॉर्पोरे-रु39यान
ने आयोग को जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें -रु39याहरी के साथ
ग्रामीण उभोक्ताओं की विधुत दरों में भी
ब-सजय़ोतरी की बात कही गई है। घरेलू -रु39याहरी
उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज 100 रुपये प्रति किलोवाट से
ब-सजय़ाकर 110 रुपये प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव दिया गया है।
वहीं, बीपीएल घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति किलोवाट 50
रुपये फिक्स चार्ज लिया जाता है। इसे ब-सजय़ाकर 75 रुपये प्रति
किलोवाट करने की बात प्रस्ताव में है। अनमीटर्ड किसानों
को 150 रुपये प्रति बीएचपी हर महीने देने पड़ते हैं। इसे
ब-सजय़ाकर 170 रुपये प्रति बीएचपी करने का प्रस्ताव दिया गया है।
वहीं, घरेलू ग्रामीण अनमीटर्ड कनेक्-रु39यान के चार्ज भी
ब-सजय़ोतरी भी प्रस्ताव है। अभी इन उपभोक्ताओं को
400 रुपये प्रति किलोवाट माह की दर से भुगतान करना होता है,
लेकिन प्रस्ताव मंजूर होता है तो उन्हें 500 रुपये का
भुगतान करना होगा।
उधर, कॉरपोरे-रु39यान के प्रस्ताव के विरोध में राज्य विद्युत
उपभोक्ता परि-ुनवजयाद समेत कई संगठनों ने आंदोलन की तैयारी
भी -रु39याुरू कर दी है। पावर कॉर्पोरे-रु39यान के प्रस्ताव पर राज्य
उपभोक्ता परि-ुनवजयाद ने सवाल उठाए हैं। परि-ुनवजयाद अध्यक्ष अवधे-रु39या
कुमार वर्मा ने कहा कि इसके खिलाफ जल्द आंदोलन -रु39याुरू किया

जाएगा। उपभोक्ता परि-ुनवजयाद का कहना है कि एक तरफ बिजली कंपनियां
फिजूलखर्ची में जुटी हैं। इनाम बांट कर स्टोर का सामान
बेचा जा रहा है। 100 करोड़ से ज्यादा के कंसल्टेंट रखे गए
हैं। अब इसकी भरपाई आम जनता से करने के लिए उन पर बड़ी
वृद्धि प्रस्तावित की गई है। इसका हर स्तर पर विरोध होगा। राज्य
विद्युत उपभोक्ता परि-ुनवजयाद ने आरोप लगाया कि एक तरफ पहले
सौभाग्य योजना में गरीबों को फ्री कनेक्-रु39यान दिया गया। अब
उन उपभोक्ताओं पर भारी-ंउचयभरकम बो-हजय डालने की तैयारी
की जा रही है। गौरतलब है कि पावर कॉरपोरे-रु39यान ने सौभाग्य
योजना के तहत प्रदे-रु39या में लाखों की संख्या में बीपीएल
उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का कनेक्-रु39यान दिया था।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त
की है। मायावती ने ट्वीट करके बिजली की दरों में वृद्धि
करने की आलोचना की है और कहा है कि ऐसा करके सरकार बीस
करोड़ जनता को आघात पहुंचाएगी। इतना ही नहीं बीएसपी
चीफ ने लिखा कि यह प्रस्ताव सौभाग्य योजना को दुर्भाग्य
योजना में बदल देगी। राष्ट्रीय लोकदल ने भी बिजली की
कीमत ब-सजय़ने की संभावना को देखते हुए आंदोलन की
चेतावनी दी है। वहीं, केंद्र सरकार में भाजपा के सहयोगी
जनता दल युनाइटेड के प्रदे-रु39या प्रवक्ता प्रो. केके त्रिपाठी ने भी
प्रस्ताव का विरोध किया है। उन्होंने इसे सरकार के लिए
आत्मघाती कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव वापस न
हुआ तो किसानों के लिए जेडीयू राज्य सरकार के खिलाफ
प्रद-रु39र्यान करने को बाध्य होगा।
पावर कॉर्पोरे-रु39यान ने बीपीएल श्रेणी के लिए जो प्रस्ताव दिया है,
अगर वह लागू होता है, तो 50 यूनिट से ज्यादा बिजली
इस्तेमाल करने वाला उपभोक्ता -रु39याहरी घरेलू की श्रेणी में

आ जाएगा। अभी तक बीपीएल उपभोक्ता के लिए यह सीमा 100
यूनिट है।
बिजली की दरों में ब-सजय़ोत्तरी को पावर कॉरपोरे-रु39यान समय
की मांग बता रहा है। कॉरपोरे-रु39यान के चेयरमैन के मुताबिक,
उपभोक्ता तक बिजली पहुंचाने की लागत करीब 7.66 रुपये प्रति
यूनिट आती है। यही वजह है कि बिजली दरों में ब-सजय़ोतरी
करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि नवंबर, 2017 से खरीदी
जा रही बिजली की कीमत में 66 पैसे प्रति यूनिट की ब-सजय़ोतरी
हुई है। कोयले की कीमत में 12 फीसदी जबकि ट्रांसमि-रु39यान
चार्जेस में 11 प्रतिशत की ब-सजय़ोतरी हुई है। वहीं,
पर्यावरणीय मानकों को प्राप्त करने के उद्दे-रु39यय से फिक्सड कॉस्ट 9
फीसदी ब-सजय़ी है। इसके अलावा नवंबर-ंउचय2017 से बिजली दरों
में कोई ब-सजय़ोतरी नहीं की गई। इसकी वजह से बिजली खरीद
की देनदारियां 5900 करोड़ रुपये ब-सजय़ गई है। उन्होंने
कहा कि बिजली के कुल उपभोग का 59ः हिस्सा -रु39याहरी, ग्रामीण
और कृ-िुनवजया उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग किया जाता है। इस
श्रेणी के उपभोक्ताओं का टैरिफ पहले ही सब्सिडाइज्ड
है। इसलिए घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में ब-सजय़ोतरी
की जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि नया बिजली मूल्य टैरिफ तय होने में
दो महीने का समय लग सकता है। पहले राज्य विद्युत नियामक आयोग
प्रस्ताव को मंजूर करेगा। इसके बाद प्रस्ताव के हर पहलू पर
सुनवाई होगी, जिसमें उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि अपना मत
देंगे। इसके बाद आयोग बिजली दर ब-सजय़ोतरी प्रस्ताव पर अंतिम
निर्णय लेकर इसे लागू करेगा। इसमें योगी सरकार की भूमिका
भी अहम होगी।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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