मोदी का मिशन सीमांचल

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कुमार कृष्णन

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार का सियासी माहौल गरमाया हुआ है। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी हुई हैं। जहां एक ओर एनडीए फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन चुनावी अखाड़े में जमकर पसीना बहा रहा है। सभी सियासी दलों का सबसे ज्यादा ध्यान सूबे के सीमांचल इलाके पर दिखाई दे रहा है। चुनावी साल में प्रधानमंत्री ने बिहार में 36 हजार करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्‍यास और उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयोजित रैली में कहा कि 11 साल में हमारी सरकार ने 4 करोड़ नए घर बनाकर लोगों को दिए हैं। हम 3 करोड़ नए घर बनाने का काम कर रहे हैं। जब तक हर गरीब को पक्‍का घर नहीं मिल जाता है, मोदी रुकने और थमने वाला नहीं है। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के विकास के लिए पूर्णिया और सीमांचल का विकास जरूरी है। राजद और कांग्रेस सरकारों के कुशासन का बहुत बड़ा नुकसान इसी क्षेत्र को उठाना पड़ा है लेकिन अब एनडीए सरकार स्थिति बदल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमांचल और पूर्वी भारत में घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी के कारण कितना बड़ा संकट खड़ा हो चुका है. बिहार, बंगाल असम कई राज्‍यों के लोग अपनी बहनों बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसलिए भी मैंने डेमोग्रामी मिशन की घोषणा की है लेकिन वोट बैंक का स्‍वार्थ देखिए, कांग्रेस, आरजेडी और उसके ईको सिस्‍टम के लोग घुसपैठियों की वकालत करने में जुटे हैं उन्‍हें बचाने में लगे हैं।

हमारी सरकार ने मखाना सेक्टर के विकास के लिए हमारी सरकार ने 475 करोड रुपए की योजनाओं को मंजूर किया है। बिहार के राजगीर में हॉकी का एशिया कप जैसा बड़ा आयोजन हुआ। मेड इन बिहार रेल इंजन अफ्रीका तक एक्सपोर्ट होकर जा रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि राजद की सहयोगी पार्टी कांग्रेस अब बिहार की तुलना बीड़ी से कर रही है। इन्होंने बिहार की साख को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इन्होंने बिहार को बदनाम करने की ठान ली है। कांग्रेस और राजद पिछले दो दशकों से बिहार की सत्ता से बाहर हैं और निस्संदेह इसमें सबसे बड़ी भूमिका बिहार की मेरी माताओं और बहनों की है। मैं बिहार की माताओं और बहनों को विशेष नमन करता हूं। राजद काल में हत्या, बलात्कार और फिरौती जैसे अपराधों की सबसे बड़ी शिकार बिहार की मेरी माताएं और बहनें ही रही हैं। डबल इंजन सरकार में वही महिलाएं लखपति दीदी और ड्रोन दीदी बन रही हैं।

सीमांचल और पूर्वी भारत में घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी के कारण कितना बड़ा संकट खड़ा हो चुका है, बिहार, बंगाल, असम कई राज्‍यों के लोग अपनी बहनों बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसलिए भी मैंने डेमोग्रामी मिशन की घोषणा की है, लेकिन वोट बैंक का स्‍वार्थ देखिए कांग्रेस, आरजेडी और उसके ईको सिस्‍टम के लोग घुसपैठियों की वकालत करने में जुटे हैं, उन्‍हें बचाने में लगे हैं और बेशर्मी के साथ विदेश से आए घुसपैठियों के लिए यह नारे लगा रहे हैं। यात्राएं निकाल रहे हैं। यह बिहार और देश के संसाधन और सुरक्षा दोनों को दांव पर लगाना चाहते हैं लेकिन आज पूर्णिया की धरती से मैं इन लोगों को एक बात अच्‍छी तरह से समझाना चाहता हूं कि यह आरजेडी और कांग्रेस की जमात कान खोलकर मेरी बात सुन ले कि जो भी घुसपैठिया है, उसे बाहर जाना ही होगा।घुसपैठ पर ताला लगाना एनडीए की पक्‍की जिम्‍मेदारी है।

वहीं प्रधानमंत्री की जनसभा में मंच पर पहुंचे पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने चार मांग की है। उन्होंने पूर्णिया में हाईकोर्ट बेंच, एम्स, पूर्णिया को उप राजधानी का दर्जा, मखाना में जीएसटी कम करने की मांग की। वहीं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि एक दौड़ हमने देखा जब जंगल राज में माताओं बहनों का निकलना मुश्किल था। आज ये दौड़ है जहां विकास की सरकार केंद्र और बिहार दोनों हमारी सरकार। चिराग ने पीएम मोदी और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार का गुणगान किया।

बिहार के सीमांचल में चार जिले कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज आता है। माना जाता है कि इन जिलों की कुल 24 विधानसभा सीटें हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। सीमांचल में भाजपा की राह कभी आसान नहीं रहती है, फिर चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का। सीमांचल में भाजपा अपनी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाती है।

2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था, जिसमें राजद को 9, जेडीयू को 5 और कांग्रेस को भी 5 सीटें मिली थीं। भाजपा सीमांचल मे केवल 5 सीटों तक ही सिमट गई थी।

2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पिछली बार से तीन सीटें ज्यादा जीती थीं। भाजपा ने कुल 8 सीटें जीती थीं। इसकी एक वजह नीतीश कुमार का भाजपा का साथ होना बताया गया जबकि कांग्रेस को 5, जेडीयू को 4, और आरजेडी को 1 सीट मिली थी। एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया हालांकि बाद में उसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए।

एक साल पहले 2024 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीमांचल की 4 लोकसभा सीटों में से सिर्फ अररिया सीट पर ही जीत मिली थी। किशनगंज और कटिहार कांग्रेस के खाते में गईं, जबकि पूर्णिया की सीट निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने जीती थी।

सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों की दिशा ही चुनाव का रुख तय करती है। किशनगंज में 68 फीसदी, अररिया में 43 फीसदी, कटिहार में 45 फीसदी और पूर्णिया मे 39 प्रतिशत मुस्लिम है। इस क्षेत्र में लंबे समय से कांग्रेस और राजद की मजबूत पकड़ रही है। लेकिन, 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री ने समीकरण बदल दिए। ओवैसी की पार्टी ने मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण किया, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ भाजपा को मिला।

इस बार भी एआईएमआईएम ने अकेले लड़ने का संकेत दिया है, जिससे मुस्लिम वोटों का संभावित बंटवारा हो सकता है। यह स्थिति भाजपा और एनडीए के लिए फायदेमंद हो सकती है। वहीं, प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है, जो महागठबंधन के लिए एक नई चुनौती बन सकती है।

भाजपा जानती है कि मुस्लिम वोट बैंक उसके पक्ष में नहीं आएगा, इसलिए वह दलितों, अति पिछड़े वर्गों और प्रवासी मजदूरों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का गृह जिला किशनगंज है, जिससे पार्टी इस क्षेत्र में विशेष मेहनत कर रही है। जेडीयू भी इस रणनीति का हिस्सा है और एनडीए मिलकर सीमांचल में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।

कुमार कृष्णन

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