मोंटेक जी के जनाना-मर्दाना

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एल.आर.गाँधी

सदियों से लोटा हाथ में थामें जंगल पानी जाने के आदि भला क्या समझें अंग्रेजी टायलट का महत्व …. योजना भवन में मोंटेक जी ने महज़ ३५ लाख से अदद दो ‘जनाना-मरदाना’ सजा संवार क्या दिए…पत्रकारों को तो बस दस्त ही लग गए. झट से एक अगरवाल से आर.टी.आई लगवा दी और लगे सफाई मांगने. मोंटेक जी को सामने आ कर आखिर कहना ही पड़ा …कोई बड़ी बात नहीं.

प्रतिस्पर्धा के युग में हमारा मुकाबला चीन से है और चीन में एक सार्वजानिक शौचालय पर हाल ही में ४५ हज़ार डालर खर्च हुए हैं. अब जनसँख्या के मैदान में जब चीन को नीचा दिखाने के लिए हमारे ‘जन्म मृत्यु’ मंत्री आबादी बढ़ाने की योजनाओं को नए आयाम देने में जुटे हैं तो फिर २८/- में जीवन यापन को सही मानने वाले हमारे महान योजना कार ‘मोंटेक’ जी भला आम आदमी की शौच सुविधा को कैसे भूल सकते हैं. झट से घोषणा कर डाली की योजना भवन के ये आधुनिक ही और शी आम आदमी के लिए अर्थात सार्वजानिक शौचालय हैं. .. आम आदमी के लिए शौचालय के बाहर सी सी टीवी लगाये गए हैं ताकि आम आदमी के स्थान पर कोई ‘ख़ास’ न घुसने पाए. आम आदमी ही घुस पाए इसके लिए पक्का बंदोबस्त किया गया है … ५ लाख रूपए की लागत से अक्सेस कार्ड सिस्टम लगाया गया है…ताकि चोखी लामा के स्थान पर कोई चोर उच्चक्का न प्रवेश कर जाए.

योजना आयोग के इस कारनामे ने ‘बिना तथ्यों के खबर बनाने के आदि ‘खबरियों’ की बोलती बंद कर दी है…. और साथ ही सोशल मिडिया के आलोचक मीन मेखियों की भी . न जाने क्या क्या उल जलूल लिखे जाते हैं कि भारत में शौच सुविधा के अभाव में ५४ बिलियन डालर या डी जी पी का ६.४ % का नुक्सान होता है…५७५ मिलियन लोग आज भी लोटा ले कर खुले में जंगल पानी जाते हैं और ६३.८० करोड़ लोग पानी व् शौचालय से वंचित हैं. १५ सैंकड़ में एक बच्चा जलजनित रोग से मर जाता है. बहुत से गाँव में तो ‘शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं’ का नियम लागु है. … आदि आदि.

अब हमारे ‘मोंटेक’ जी ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत भी किसी से कम नहीं ..चीन से तो बिलकुल भी नहीं. हमारे यहाँ भी २८ रूपए में एक ‘खाता-पीता’ स्त्री या पुरुष योजना भवन के आधुनिक सुविधा संपन्न ‘जनाना-मरदाना’ में शौच सुविधा का आनंद ले सकता है.

शीघ्र ही ‘मोंटेक’जी के इन ‘जनाना-मर्दाना’ के बाहर एक बोर्ड चस्पा कर दिया जायेगा ….खबरी प्रवेश निषेध !!!!!!!!!

2 COMMENTS

  1. प्रिय सत्यार्थी जी …क्या लिखें मितव्ययिता पर …राजमाता मितव्ययिता का एक और आह्वान करती है और खुद ही ३ साल में विदेश यात्राओं पर १८८० करोड़ उड़ा देती है…मनमोहन की सरकार राजमाता के इन खर्चों पर मौन बैठी है. आर.टी.आई का भी जवाब नहीं देती…

  2. धन्यवाद गांधीजी
    और जो विदेश यात्राओं में मितव्ययिता का उदहारण रख दिया आम आदमी के लिए उस पर भी कुछ लिख देते तो अच्छा होता

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