
—विनय कुमार विनायक
मां नाम है उस देवी की, जो जन्म हमें देती है,
मां सृष्टि में इकलौती है, जो सिर्फ हमें देती है!
माता की ममता ऐसी है,जिसमें मन्नत होती है,
मां ईश्वरीय सृष्टि में जीते जी जन्नत होती है!
मां का गुणगान केवल मां शारदे कर सकती है,
सारे देवी-देवता मूरत, मां देवी साक्षात होती है!
सूर्य-चंद्र-तारे-धरती प्रकृति है, मां जीवंत होती है,
मां ईश्वर का स्वरूप, नहीं कोई दौलत होती है!
मां से जन्मे भगवान राम-कृष्ण-बुद्ध-जिन-ईसा,
ईश्वर-रब-खुदा से बड़ी मां की सल्तनत होती है!
मां की गोद में खेले राम, कृष्ण की कान उमेठी
यशोदा मैया,मां गुरु-पैगम्बर की गुरुवत होती है!
बिना तपस्या भगवान कभी उपस्थित नहीं होते,
देव परीक्षा लेते, पर मां प्रत्यक्ष शाश्वत होती है!
दुनिया के हर रिश्ते में सर्वदा सियासत होती है,
मां की आंचल एक अकेली जिसमें राहत होती है!
मां अगर ना होती तो दुनिया क्या हो सकती थी?
मां के होते ईश्वर की सृष्टि में हिफाजत होती है!
मां पूजा, अर्चना, वन्दना की नहीं चाहत रखती है,
माता को जो संतति रुलाती उसकी दुर्गत होती है!
मां ही चारों धाम की तीरथ कीरत भक्ति होती है,
माता से हीं जीव-जगत में पैदा आशक्ति होती है!
ईश्वर के रुप-रंग-अस्तित्व पे धर्म एकमत नहीं है,
माता की कृति पर संदेह की नहीं जरूरत होती है!
दुनिया में आगमन पर चाहे कुछ मिले ना मिले,
एक मां ही सबको अवश्य विरासत में मिलती है!
ईश्वर-खुदा-रब-अवतार-पैगम्बर पर क्यों लड़ते हो?
पिता नहीं मां जन्म पूर्व से साथ-सलामत होती है!
मां वंदेमातरम, पूजनीय धर्म-मजहब से बड़ी होती,
मां के पैरों में झुके ना सर,खुदाई आहत होती है!
मां-पिता की सेवा-सुश्रुषा ईश्वर का पूजा-नमाज है,
मानवता धर्म है, जिसमें खुदा की रहमत होती है!