कविता

मम्मी ने आकर…

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

-बीनू भटनागर-

poem

मम्मी ने आकर, बेटे को जगाया,

‘नींद से जागो, राहुल बाबा!

कुछ (प्रधानमंत्री) बनना है तुमको जो,

थोड़ी तो महनत करनी ही पड़ेगी।‘

‘’क्या करना होगा मम्मी?

पहले भी बहुत महनत की थी फिर भी…’

‘’जो हो गया सो हो गया,

अब आगे की सोचो…

संसद मे ऐसा कुछ करके दिखाओ,

समाचारों का हिस्सा बनके दिखाओ।‘’

‘’मम्मी! मुझे कोई बोलने ही नहीं देता।’’

‘’तो इसबात पर ही शोर मचाओ!’’

फिर संसद में कुआं, कुएं में राहुल,

ख़ूब चीख़े चिल्लाये राहुल,

और शाम को…

मीडिया में छाये रहे बस राहुल!