काटजू का मुस्लिम प्रेम

katju
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में भारतीय प्रैस परिषद् के अध्यक्ष श्री मार्कंडेय काटजू आजकल जिस प्रकार के वक्तव्य दे रहे है उन्हें सुनकर बड़ा दुःख होता है। काटजू ने हैदराबाद में एक अखबार की ओर से ‘‘रिपोर्टिग टेररः हाउ संेसिटिव इज दी मीडिया’’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि ‘‘जब भी कोई विस्फोट या इस तरह की घटना होती है तो एक घंटे के भीतर कई टेलीविजन चैनल इंडियन मुजाहिद्दीन, जेईएम या हरकतुलजिहाद-ए-इस्लामी या किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा भेजे गए ईमेल या एसएमएस दिखाने लगते हैं, जिनमें उनके द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया जाता है। इससे स्पष्ट तौर पर मीडि़या यह संदेश देती हैं कि सभी मुसलमान आतंकवादी हैं और उनके पास बम फेंकने के अलावा और कोई काम नहीं है। मीडिया इस प्रकार से मुस्लिम समाज की छवि धूमिल करते हैं और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं। (सन्दर्भ: राष्ट्रीय सहारा, 8 अप्रैल, 2013) समझ में नहीं आता कि काटजू इस प्रकार का बयान देकर देश और समाज को क्या संदेश देना चाहते है।
श्रीमान काटजू विभिन्न आतंकी कार्यों तथा अन्य अपराधों में जेल में बंद मुसलमान कैदियों को छुडाने के लिए भी प्रयासरत है। काटजू जी शायद यह भूल गए की गुप्तचर संस्थानों द्वारा सुरक्षा एजेंसियों को दी गई जानकारी के आधार पर ही इन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर ही देश में होने वाले आतंकी कार्यों की जानकारी मिलती है। हैदराबाद में हुए भयानक बम विस्फोट के बारे में भी तिहाड़ में बंद मुस्लिम अपराधी से जानकारी मिली जोकि वहां की सरकार को दी गई, दिल्ली में होने वाली घटना को भी पुलिस की सतर्कता द्वारा इसीलिए रोका जा सका कि उसकी भी जानकारी लियाकत अली से मिली जोकि एक मुस्लिम ही है। दिल्ली में भारी मात्रा में जो गोला बारूद पकडा गया जोकि होली के अवसर पर दिल्ली के मासूम नागरिकों को मारने के लिए लाया गया था उसे लाने वाले तथा मासूमों को मारने के लिए आये आतंकवादी भी मुस्लिम ही थे।
तो काटजू किस आधार पर कह सकते है कि पकड़े गए सभी मुस्लिम अपराधी बेगुनाह है। क्या काटजू के लिए आतंकवादियों द्वारा किए जाने वाले हमलों में मारे गए तथा घायल हुए सुरक्षा कर्मीयों तथा मासूम नागरिकों के कोई मानवीय अधिकार नहीं है। इन आतंकी हमलों में न जाने कितने बच्चे अनाथ हुए, कितनी ही स्त्रीयां विधवा हुई, कितनी ही माताओं ने अपने पुत्रों को खोया। एक मुस्लिम सैनिक जब एक हिन्दू सैनिक का सिर काटकर अपने साथ ले जाता है तो काटजू की मानवीयता कहां चली जाती है? खुद कश्मीरी पंडि़त (हिन्दू) होने के बावजूद कश्मीर से मार-मार कर भगाये गए कश्मीर हिन्दू जो देश में न जाने कितने दुःखों कष्टों को सहते हुए नारकीय जीवन बिताने को विवश है के लिए कभी कुछ क्यों नहीं किया या कहा, क्या येे हिन्दू मानव नहीं है? तो फिर काटजू को सिर्फ इन नरभक्षी मुस्लिमों आतंकवादियों के मानवाधिकार ही क्यों दिखते है? क्या काटजू इस प्रकार एक विशेष वर्ग (मुस्लिम) का पक्ष लेकर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा नहीं दे रहे?

आर. के. गुप्ता

2 COMMENTS

  1. Katju is suffering from Islamophilia and this love for Muslims is due to possible secret understanding with anti Hindu congress for some governership post.
    The way he is behaving he must either resign or be expelled from the post of press trust of India.
    I demand that Katju’s record as judge be reviewed regarding his judgements while he was a supreme court judge for favouring anti national elements.

  2. काटजू साहब की सबसे उपयुक्त जगह तो कांग्रेस के महासचिव का पद है, या उसके प्रवक्ता का.दिग्गी राजा के साथ भी लगा दिया जाये तो बुरा नहीं.प्रेस कौंसिल के पद पर रह कर उनके ये भाषण पद को शर्म सार ही करतें है.यह इस बात का भी संकेत है कि वे मीडिया को किस और ले जाना चाहते हैं.यह बात दीगर है कि मीडिया उनकी बातों में नहीं आता और कभी कभी उनको ही हास्यास्पद बना देता है.

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