समाजवादी पार्टी की अंधी मुस्लिम भक्ति

उत्तर प्रदेश की सपा सरकार जिस प्रकार अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में डूब चुकी है उससे तो ऐसा लगता है कि आने वाले समय में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर हम अखिलेश यादव की जगह कट्टरवादी धर्मान्ध मुसलमान भारत माता को डायन कहने वाले आजम खान को देखेगें। प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही अपनी मुस्लिम उन्मुखी राजनीति का आगाज मुस्लिम बालिका को धन वितरित करने के साथ किया। सरकार विभिन्न आतंकी अपराधों के आरोप में जेलों में बंद मुस्लिम आतंकवादियों को छोड़ने का प्रयास भी कर रही है। सरकार की ओर से कहा गया कि सपा ने मुसलमानों से वायदा किया था कि वह सत्ता में आने के बाद इन मुस्लिम अपराधियों पर दर्ज सभी मुकदमें वापिस लेगी और उन्हें रिहा करेगी। परन्तु न्यायालय ने सरकार की इस कोशिश को नाकाम कर दिया था और सरकार की इसी कोशिश के विरुद्ध प्रदेश में अधिवक्तागणों तथा सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किये थे।
सपा सरकार के लगभग 1 वर्ष के कार्यकाल में लगभग सौ साम्प्रदायिक दंगें हो चुके है जिनकी शुरूआत मुसलमानों ने किसी न किसी बहाने को लेकर की परन्तु इन दंगों में मुस्लिमों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि इन दंगों में पीडित हिन्दू जनता तथा मुस्लिम दंगाईयों और आंतकियों को गिरफ्तार करने वाले कत्र्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों के ही खिलाफ कार्यवाही की गई। यह सब आजम खां तथा वहां की मुस्लिम जनता के दबाव में आकर किया गया। दंगा करने वाले मुसलमानों को तो मुआवजे के रुप में लाखों रुपया देकर पुरस्कृत किया गया जिससे इन लोगों के हौसले दिनों दिन बढ़ते जा रहे है।
अभी कुछ माह पूर्व एक मुस्लिम डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या हो जाने के बाद पूरा मुस्लिम समाज सड़कों पर उतर आया। इस डीएसपी की हत्या के आरोप में प्रतापगढ़ कुंडा के विधायक तथा जेल मंत्री राजा भैया को आरोपी बनाया गया तथा उनके खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। जिसके कारण राजा भैया को अपना मंत्री पद गवाना पड़ा परन्तु अभी तक सीबीआई राजा भैया के खिलाफ कोई आरोप तय नहीं कर पाई है। न जाने ‘किसके इशारे’ पर राजा भैया को फंसाने की कोशिश की जा रही है कहीं इसमें भी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति तो नहीं है। डीएसपी के परिवार के दो लोगों को असंवैधानिक तौर पर सरकारी नौकरी तथा  50 लाख रुपये दिए गए।
अभी शनिवार 19 मई, 2013 को लखनऊ, फैजाबाद तथा गोरखपुर में 2007 में हुए बम विस्फोटो के आरोपी आतंकवादी खालिद मुजाहिद को फैजाबाद की कोर्ट में पेशी के बाद लखनऊ ले जाया जा रहा था रास्ते मंे अचानक उसकी तबीयत खराब हाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। कितने आश्चर्य की बात है कि एक आतंकवादी की बीमारी से हुई मृत्यु को लेकर भी पूरे प्रदेश में मुसलमानों ने जमकर उत्पात मचाया तथा राष्ट्रीय उलेमा कांउसिल द्वारा प्रदेश सरकार पर दबाव बना गया तथा प्रदेश पुलिस के 5 वरिष्ठ अधिकारियों सहित 37 अन्य अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या व हत्या की साजिश की रिपोर्ट कोतवाली नगर में दर्ज की कराई गई तथा इनके खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश भी प्रदेश सरकार ने दिए। इसके बाद आतंकवादी खालिद का पोस्टमार्टम हुआ जिसके लिए पांच डाॅक्टरों की एक टीम बनाई गई इसमें विशेष तौर पर दो मुस्लिम डाॅक्टरों को भी नियुक्त किया गया जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को अपने गैर मुस्लिम डाॅक्टरों के ऊपर भी विश्वास नहीं रहा।
सरकार के इस प्रकार से उठाये कदम से तो पुलिस तथा सुरक्षाकर्मियों का मनोबल टूटेगा ही साथ ही वे भविष्य में किसी मुस्लिम आतंकवादी तथा अन्य अपराधों मंे लिप्त मुस्लिम अपराधी को पकड़ने से डरेगें कि कही इसको पकड़ने के बाद उन्हें अपनी नौकरी से हाथ न धोना पड़ जाये। जिसका सीधा फायदा इन मुस्लिम अपराधियों को मिलेगा। ये अपराधी खुलकर अपराध करेगें तथा आतंकवादी बम विस्फोट कर जनता का खून बहायेगें और अपना सीना चैडा कर शान से घूमते फिरेंगे। समाजवादी पार्टी जो अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहती है वह इस प्रकार मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर घोर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दे रही है।
मुलायम सिंह तो बस अपने प्रधानमंत्री बनने के सपने को पूरा करना चाहते हैं क्योंकि उनकी राजनीतिक खुराक की जड़ ही एकमुश्क मुस्लिम वोट में ही है। प्रदेश सरकार को प्रदेश की जनता की सुरक्षा तथा उनके विकास से कोई सरोकार नहीं है वह तो केवल मुसलमानों को खुश रखना चाहती है। जबकि नौजवान अखिलेश यादव को तो वोट बैंक की राजनीति से बचते हुए जनहित में काम करके अपने तथा प्रदेश के भविष्य को उज्जवल करना चाहिए।

यति नरसिंहानन्द सरस्वती

2 COMMENTS

  1. Mulayam Singh is neither Mulayam= soft ;nor Singh= fearless/strong but Mulla + alam= Mulayam.
    He talks of secularism he does not know the meaning of secularism.
    He has been in power due to M+Y= Muslim +Yadav votes like Lalu Yadav of Bihar now end of Mulayam is near and he is surviving because he has been licking the feet of Sonia and C.B.I. is not acting as it should.
    He has no respect for constitution and has no principles in life although he quotes Lohiyajee and Jayaprakash like Lalu.
    Public must understand this truth and kick him and his son out of politics

  2. मुलायम सिंह भी उसी जमात के नेता हैं,जो हैं तो खुद सांप्रदायिक ,लेकिन दूसरों को सांप्रदायिक ,बताते हैं.वह कांग्रेस के करीबी हैं,तो वामपंथी दलों के भी.जनता दल u पर भी वे डोरे डालते रहते हैं.लालू के साथ भी उनका अपना रिश्ता इसी रिश्ते से बनता है.बाकि ये सब नेता मायावती की तरह ही सरकारी तोते से रिश्तेदारी के कारण आपस में बंधे हुए हैं.ऐसी हालत में समय समय पर मुस्लिम प्रेम व उनकी अंधभक्ति से वोटों की तिजोरी अपने पास रखना छाते हैं.जब कभी कांग्रेस उनके इस वोतेबंक में,सेंध लगाने की कोशिश करती दिखाई देती है,तो उसे भी ये सांप्रदायिक होने से नवाजने में परहेज नहीं करते.आज धरम निरपेक्ष शब्द केवल अपने अस्तित्व को बचाने,तथा दूसरों को बदनाम करने का एक माध्यम बन गया है,अखिलेश सरकार का साल भर का रिपोर्ट कार्ड,सांप्रदायिक भेदभाव को मिटाने व सौहार्द को बढ़ाने का कितना बड़ा दस्तावेज है, यह आपके द्वारा दिए आंकड़े,व उद्धरण व सबूत बता ही रहे हैं.यह न भूलें कि यही तुष्टिकरण कि नीति केवल यू .पी को ही नहीं,पुरे देश को ही ले कर डूबेगी.और कब्र में दफ़न हो जाने वाले ये नेता एक बार फिर,देश विभाजन के कारक बनेगे.जिसके लिए शायद इतिहास इन्हें माफ़ नहीं करेगा.

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