राजनीति

मुस्लिम तृष्टिकरण आखिर कब तक?

-यशवीर राघव

लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक ऐसा स्तंभ है जिसे सत्य का अन्वेषण करने वाला, किसी भी कीमत पर बिकने न वाला, निष्पक्ष एवं निरपेक्ष होना चाहिए। वह स्तंभ है मीडिया! हमारे देश में लोकतंत्र के सभी स्तंभों की दशा दयनीय ही है। चौथा स्तंभ भी उसका अपवाद नही है। इसी दयनीय स्थिति का उदाहरण है कि आज मीडिया कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों के इशारे पर पूरे हिन्दु समाज को ‘हिन्दु आतंकवाद’ के नाम पर कठघरे में खड़ा कर रहा है। यह वही हिन्दु है जो कश्मीर से लेकर केरल तक इस्लामी आतंकवाद का आक्रमण झेल रहा है।

मीडिया की क्या मजबूरी है कि वह ‘हिन्दु आतंकवाद’ का शब्द तो प्रमुखता से पेश कर रहा है पर वह इस्लामी आतंकवाद के नाम पर मौन धारण कर मानव अधिकार आयोंग व तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ खड़ा दिखाई देता है। मीडिया को ‘प्रज्ञा ठाकुर’ तो आतंकवादी नजर आती है जिनके खिलाफ ना तो कोई सबूत ही है और ना कोई गवाह और जिसका नारको टेस्ट कर मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न किया गया पर वह महिला जिसे गुजरात पुलिस ने रंगे हाथों आतंकवादी गतितिधियों में लिप्त होने के कारण मुठभेड़ में मार गिराया और 2611 का मुख्य आरोपी ‘हेडली’ जिसे अलकायदा की सदस्या बता चुका है, वो मीडिया को आंतकवादी अब भी नजर नहीं आती।

मेरा आरोप केवल मीडिया पर ही नहीं है क्योकि मीडिया यह तय नहीं करती कि किसको आतंकवादी करार देना है या किसको नहीं, परन्तु तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों व मानवाधिकार आयोग की आड़ में अपनी राजनीति की रोटियाँ सेक रही पार्टीयों को अपरोक्ष रूप से तो मीडिया सहयोग ही करता है।

इस देश की विडम्बना देखिए, जिस काल खण्ड में पूरा विश्व इस्लामी आंतकवाद का दंश झेल रहा है उस समय इस हिन्दु राष्ट्र में ही इस देश के राजनेताओं व तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों द्वारा मीडिया के सहयोग से हिन्दु आतंकवाद का बीज पनपाया जा रहा है।

मीडिया क्यों नहीं समझ रहा हैं कि कुछ राजनैतिक ताकतें अपने वर्ग विशेष के वोट बैंक के लिए उसका प्रयोग कर रहीं है? मीडिया क्यों नहीं समझ रहा है कि उसका प्रयोग करके बाटला मुठभेड-इशरत जहां मुठभेड जैसे अदम्य साहस वाले कार्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाकर मानवाधिकार आयोग हमारे देश के सुरक्षा बलों का आत्मविश्वास कम कर रहे है?

मीडिया को यह जानने की आवश्यकता हैं कि सर्वोच्य न्यायालय के आदेश के बावजूद भारत की संसद पर हमला कर राष्ट्र के स्वाभिमान को चुनौती देने वाले अफ जल की फांसी को क्यों टाला जा रहा है? क्यों सच्चर आयोग से लेकर समान अवसर आयोग व रंगनाथ मिश्र आयोग तक कितने ही उपक्रम किये जा रहे हैं? क्यों इस देश के कर्णधार घोषणा करते है कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है? क्यों धर्मनिरपेक्ष कहलाये जाने वाले नेता आतंकवाद की नर्सरी बन गये आजमगढ़ के गांवों में जाकर कट्टर उन्मादियों की मस्कागिरी करते है?

इन सबके पीछे एकमात्र कारण है मुस्लिम वोट बैंक, जो केवल हिन्दुत्व विरोधी मानसिकता को खुलकर दिखाने व मुस्लिम हितैषी दिखते हुए इस्लामी आतंकवाद का कंलक धोकर उसके समानांतर ”हिन्दु आतंकवाद” का पौधा उगा कर ही हासिल किया जा सकता है। इसी कारण हज यात्रा पर तो सब्सिडी दी जा रही है परन्तु अमरनाथ यात्रा पर टैक्स लगाया जा रहा है। मुस्लिम वोट बैंक के लिए ही इस देश के बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं से बार-बार खिलवाड़ हो रहा है।

अब समय आ चुका है कि भारतीय लोकतंत्र का चौथा एवं महत्वपूर्ण स्तम्भ ‘मीडिया’ स्वार्थ को त्याग कर सत्य की पहचान कर इस देश के अरबों हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए समाज को बताये कि हिन्दु कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता क्यों कि हिन्दु ही है जो कहता है

” सर्वे भवन्तु सुखिन:. . . . . . .”

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