मेरा वतन है भारत

आबोहवा में जिसके जीवन हमारा गुजरा ।
बाजुओं को जिसकी हमने बनाया झूला ।।
गोदी में लोट जिसकी हमने पिया है अमृत ।
वह देश हमको प्यारा बतलाया नाम भारत ।।
मेरा वतन है भारत
मेरा वतन है भारत — – –

बलिदान देना जिसको हमने है समझा गौरव ।
जिसके हितार्थ हमने जीवन किया समर्पण ।।
सर ऊंचा करके जिसकी गायी है हमने गाथा ।
हर काल में लहू से सींची है धरती माता ।।
मेरा वतन है भारत
मेरा वतन भारत – – –

सारे जहां को जिसने रस्ता बताया हरपल ।
सर आंख पे बिठा कर पूजा है जिसको हरक्षण।। जिसकी बुलंदियों को समझा निज बुलंदी ।
रस्ते से वे हटाए बनते थे जो स्वच्छन्दी ।।
मेरा वतन है भारत
मेरा वतन है भारत – – –

विश्व को चाह है जिसकी सरताज है जहां का।
मेरा हिन्द प्यारा नेता है सदियों से जहां का ।।
‘राकेश’ यहाँ जन्मना सौभाग्य है हमारा ।
नहीं कायनात में है कोई देश इससे प्यारा।।
मेरा वतन है भारत
मेरा वतन है भारत में – – –

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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