गुमनाम राष्ट्रभक्त

-विनोद कुमार सर्वोदय-
narendra-modi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीजेपी के समस्त पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई देकर एक आवश्यक दायित्व निभाया है और भविष्य में राज्यों के होने वाले चुनावों में भी वे सब अपना-अपना उत्साह इसी प्रकार बनाये रखें उसका भी उन्होंने आह्वान किया है। आज बीजेपी की यह जीत उन 59 रामभक्तों के बलिदान का प्रतिफल है (जो 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रैस में जिंदा जला दिये गये थे), जिसके उपरांत हुये गुजरात दंगों के कारण मोदी जी पर पिछले 12-13 वर्षों से लगातार प्रहारों की जो झड़ी लगी वह शायद दुनिया के इतिहास में न कभी देखी न सुनी।

सोनिया गांधी व उनकी मंडली ने तो मोदी जी को किसी न किसी रुप में गुजरात के दंगों का हत्यारा बताकर, तो कभी इश्रत जहां, सोहराबुद्दीन आदि खूंखार आतंकवादियों की फर्जी मुठभेडों का अपराधी बताकर बंदी बनाने की कुटिल राजनीति का षड्यंत्र रचने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, परन्तु कुछ राष्ट्रभक्तों ने भी मोदी जी के समर्थन में पिछले 10 वर्षों से निरंतर अभियान चलाकर यूपीए सरकार की मोदी जी के प्रति दोषपूर्ण नीयत को उजागर करने का प्रयास जारी रखा।

केन्द्र व राज्य सरकारों की निरंतर बहुसंख्यक हिन्दुओं के प्रति दमनकारी नीतियों विशेष तौर पर प्रस्तावित साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम बिल के प्रावधान तो इतने कठोर थे कि हिन्दुओं के लिये उनकी ही मातृभूमि जेल बन जाती, इतने भयंकर षड्यंत्र से आक्रोशित कुछ जागरुक देश भक्तों ने अनेकों सभाओं व सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया द्वारा धर्म रक्षा व राष्ट्र रक्षा के लिये सोये हुए हिन्दू समाज व युवा भारत को जगाकर राजनीति के लिये सक्रिय किया यह अपने आप में अभूतपूर्व है। अतः इस जीत में हमें उन रामभक्तों के बलिदान के स्मरण के साथ-साथ गिलहरी के समान गुमनाम हजारों राष्ट्रभक्तों के वर्षों से किये गए योगदान को भी नहीं भुलाना चाहिये। बड़ा योगदान मोदी का ही है जिन्होंने मातृभूमि की सेवा व सुरक्षा के लिये अनेकों अग्नि परिक्षाओं से महामानव की तरह उभर कर युवा भारत को एकजुट करने के लिये पिछले 8 माह की सतत् धुंआधार लगभग 450 रैलियां व टीवी पर प्रभावशाली साक्षत्कारों से जनमानस में अपने हृदय की आवाज द्वारा राष्ट्र के प्रति समर्पण का स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत करके भारत के सच्चे सपूत बनकर वर्षो की तपस्या की चरितार्थ किया है।

1 COMMENT

  1. नितान्त सही कहा आपने।
    मिट्टी में जब गडता दाना;
    पौधा ऊपर तब उठता है।
    पत्थर से पत्थर जुडता जब,
    नदिया का पानी मुडता है।
    “अहंकार” का बीज गाडकर,
    राष्ट्र बट ऊपर उठेगा।
    घट घट को जोडकर ही,
    इतिहास का स्रोत मुडेगा।
    इतिहास बदलकर रहेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,797 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress