राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2016

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह

डा. राधेश्याम द्विवेदी
सप्ताह का इतिहास:-पोषण शिक्षा के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1982 में केन्द्रीय सरकार द्वारा पहली बार इस अभियान की शुरुआत की गयी क्योंकि राष्ट्रीय विकास के लिये मुख्य रुकावट के रुप में कुपोषण है। इसी लक्ष्य के लिये लोगों को बढ़ावा देने के लिये, खाद्य और पोषण बोर्ड की 43 ईकाई (महिला और बाल विभाग, स्वास्थ्य और एनजीओ) पूरे देश में कुशलता से कार्य कर रही है।पैदा हुए नवजात शिशु को एक बड़े स्तर की प्रतिरक्षा और स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराने के लिये 6 महीनों तक माँ का दूध या नवदुग्ध के रुप में जाना जाने वाला पहला दूध अपने नवजात को पिलाने के लिये दूध पिलाने वाली माँ को बहुत प्रोत्साहित किया जाता है। बैंगलोर, मिलर रोड के भगवान महावीर जैन अस्पताल में पोषण और आहार के लिये एक जागरुकता कार्यक्रम रखने के लिये बैंगलोर से भारतीय आहार समीति ने फैसला लिया जिसमें हृदय संबंधी बीमारी, डॉयबिटीज़, तथा बच्चों और महिलाओं के आहार को भी शामिल किया जायेगा।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2016 :- पोषण आहार तथा शिशु के आहार को लेकर जागरूकता बढ़ाने व लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और भलाई के बारे में उनको जागरुक करने के लिये प्रति वर्ष 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। 1 सितंबर से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। सप्ताह का समापन 7 सितंबर को होता है। इस दौरान गतिविधियों के माध्यम से पोषाहार से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी जनसाधारण को दी जाएगी। साथ ही शिशु एवं बाल आहार से प्रेरित व्यवहार से भी अवगत कराया जाएगा। अच्छा दिखने और महसूस कराने के लिये पूरे विश्व को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के द्वारा शिक्षित किया जा सकता है। लोग अपने खाने की थाली और संतुलित आहार को लेकर लोग जागरुक हो सकते हैं जिससे वो अच्छा पोषण प्राप्त कर सकते हैं। एक अच्छे स्वास्थ्य के लिये भरपूर अनाज, फल, हरी सब्जी, चिकनाई रहित दूध या दूध के उत्पाद, मीट, मछली, बादाम आदि खाना चाहिये। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का लक्ष्य एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने का है जिसके लिये दूसरे अभियानों के साथ स्वीकृत प्रशिक्षण, समय से शिक्षा, सेमिनार, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, रोड शो आदि के द्वारा समुदायों के लोगों के बीच पोषण संबंधी परंपरा की जागरुकता को फैलाने की जरुरत है। । सप्ताह की गतिविधियों व कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग को दी गई है। आगामी 1 से 7 सितंबर तक मनाए जाने वाले राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की तैयारियां की जा रही हैं। इस सप्ताह के तहत पोषण आहार तथा शिशुओं के आहार को लेकर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में पहल की जाएगी। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मनाए जाने वाले इस सप्ताह के अंतर्गत विविधतापूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन प्रस्तावित है। सभी कार्यक्रमों का मकसद आम जनजीवन को सुपोषण और सेहत के लिए संतुलित व पोषणयुक्त आहार की महत्ता व आवश्यकता से अवगत कराया जाना है। पोषण आहार से जुडे विभिन्न पहलु और शिशु एवं बाल्य आहार व्यवहार पर जन-समान्य को जानकारी देने के लिये 1 से 7 सितम्बर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। सप्ताह में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के लिए आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
इस एक सप्ताह चलने वाले अभियान में एक-दिनी प्रशिक्षण, स्वस्थ पदार्थों से पोषण युक्त भोजन को बनाना, गृह-विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा लगायी गई एक प्रदर्शनी, गेंहूँ और सोयाबीन के पौष्टिक महत्व के बारे में लोगों को समझाना, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, माताओं को पोषण संबंधि भाषण, सेमिनार और रोड शो आदि के द्वारा लोगों को जागरुक किया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के पास एक साजो-सामान है जो स्वस्थ खाना बनाने के लिये परिवार की सहायता के लिये संसाधनों से भरा होता है। इस अभियान में विश्व भोजन दिवस और वर्ष 2010 से न्यूड फूड डे भी जुड़ा है। रिपोर्टस के अनुसार ये ध्यान देने के योग्य कि लोगों ने मीठे पेय पदार्थों का उपयोग शुरु कर दिया है जो कि किशोरवस्था में ही मोटापा और वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण है। अभियान में 1 सितम्बर 2016 को आकाशवाणी के सभी केन्द्रों से सुबह 11:00 बजे लाईव फोन-इन कार्यक्रम का प्रसारण होगा। सभी जिलों के शासकीय हायर सेकण्ड्ररी और हाई स्कूल के बच्चों के लिए ‘किशोरावस्था एवं संतुलित भोजन’ विषयक निबंध प्रतियोगिता होगी। शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में ‘मेरा और मेरे परिवार का भोजन’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता होगी।एक सितम्बर को ही ‘मैं और मेरा भोजन’ एवं टेक होम राशन व्यंजन प्रतियोगिता होगी। इसमें दैनिक कार्यों और विकास के लिए संतुलित आहार और पोषक तत्वों का महत्व, कुपोषण कम करने में पोषण आहार और टेक होम राशन की भूमिका तथा टीएचआर से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करने के तरीकों पर चर्चा होगी। दो सितम्बर को ‘पोषण कार्नर’ का प्रदर्शन होगा। पोषण कार्नर में स्थानीय उपलब्ध भोज्य पदार्थ के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने पर सामूहिक चर्चा होगी। सप्ताह के तीसरे दिन रंग-बिरंगी थाली प्रतियोगिता होगी। इसमें आँगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा गर्भवती महिलाओं को भोजन में विविधता के बारे में जागरूक किया जायेगा। चौथे दिन 4 सितम्बर को ‘साँप-सीढ़ी’ खेल द्वारा पूरक पोषण आहार के लाभ, माँ के दूध का महत्व के संबंध में जागरूक किया जायेगा। सप्ताह के पाँचवें दिन ‘पूरक पोषण आहार बनाना और खिलाना’ विषय पर गर्भवती, शिशुवती, किशोरी बालिकाओं और जन-समुदाय को ऊपरी आहार की मात्रा, बारम्बरता और गाढ़ापन, गुणवत्ता और प्रतिक्रियात्मक आहार पूर्ति के संबंध में रोचक तरीकों से चर्चा तथा खेलों के माध्यम से जानकारी दी जायेगी। छठवें दिन 6 सितम्बर को मंगल दिवस का आयोजन होगा। इस दिन अन्नप्राशन होगा और छ: माह के बाद माँ के दूध के साथ-साथ पूरक आहार दिए जाने और कुपोषण से बच्चे को बचाने की जानकारी दी जायेगी। सातवें दिन 7 सितम्बर को पोषण रैली निकाली जायेगी। इसमें आयरन फौलिक ऐसिड के उपयोग की जानकारी दी जायेगी।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर क्रिया-कलाप : -राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को पूरे सप्ताह मनाने के द्वारा विभिन्न पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा लोगों को प्रोत्साहन दिया जाता है। सरकारी और गैर-सरकरी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण साजो-सामानों के वितरण के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है। फल, सब्जी और घरों के दूसरे खाद्य पदार्थों के बचाव के लिये लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जाता है। भोजन के विश्लेषण और मानकीकरण के बारे में लोगों को ठीक प्रशिक्षण दिया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय पोषण नीतियाँ चलायी जाती है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव का लक्ष्य:- समुदाय में विभिन्न पोषण और आहार की समस्या की आवृत्ति का पुनरीक्षण करना। गहन शोध के द्वारा पोषण संबंधी समस्याओं को नियंत्रित और बचाव के लिये उचित तकनीक का आँकलन करना। आहार और पोषण के लिये देश के स्थिति की निगरानी करना। राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम को लागू करने और योजना के लिये प्रक्रिया संबंधी शोध पर कार्य करना। स्वास्थ्य और पोषण के बारे में अनुकूलन प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को जागरुक करना।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का विषय-वस्तु (थीम):- 1. 2011 का विषय था “शुरुआत से ही अच्छा भोजन”। 2. 2012 का विषय था “पोषण जागरुकता- स्वस्थ राष्ट्र का समाधान”। 3. 2013 का विषय था “प्रोजेक्ट डीनरटाईम- बनाओ, खाओ और आनन्द उठाओ”। 4. 2014 का विषय था “पोषक आहार देश का आधार”। 5. 2015 का विषय था “बेहतर पोषण: विकास के लिए महत्वपूर्ण”। 6. 2016 का विषय है:” मेरा भोजन तथा टेक होम राशन” ।

1 COMMENT

  1. केवल एक प्रश्न,क्या कोई आकड़ा मौजूद है,जिससे यह पता चल सके कि १९८२ से यानि ३४ वर्षों से चलाये जाने वाले इस अभियान से लोगों में स्वस्थ भोजन के सम्बन्ध में कितनी जागरूकता आयी है?

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