
—विनय कुमार विनायक
हे मानव! जड़ व चेतन देवता की आराधना करो,
सूर्य चन्द्र धरती जल वायु आकाश जड़ देवता हैं,
जड़ देवता सृष्टि की रक्षा करते उनको शुद्ध रखो,
इन जड़ देवताओं की शुद्धि हेतु यज्ञ-यजन करो!
जड़ देवता के संयोग से हीं सृष्टि विकसित होती,
सृष्टि संवर्धन हेतु सनातन पथ का संवरण करो!
माता-पिता परम पूज्य चेतन देवी देवता हैं भूमि पर,
उनको वृद्धाश्रम वास ना दो,सेवा सुश्रुषा करो घर पर,
माता पिता है ईश्वर का प्रतिनिधि इस धरातल पर!
माता पिता की बराबरी करनेवाला नहीं कोई जग में,
माता पृथ्वी से भारी व पिता आकाश से ऊंचे जग में!
तृतीय चेतन देवता सद्गुरु व चतुर्थ देव अतिथि हैं,
सद्गुरु व अतिथि भी अति पूजनीय देवतुल्य होते,
सद्गुरु का पुण्य स्मरण व अतिथि का सम्मान हो!
हे आर्यपुत्र इन सभी मरणधर्मा देवों की अर्चना करो,
मूर्ति व पाहन को भी देवताओं का प्रतीक रूप समझो!
परमेश्वर का सर्वाधिक पूजनीय नाम है ॐ का,
ॐ की उपासना करने से सबकी उपासना होती!
जड़ देवता सूर्य हरक्षण सूर्यनाद करता ॐ का!
प्रकृति वनस्पति और वन पर्यावरण है जड़ देवता,
प्रकृति पर्यावरण रक्षण भी है ईश्वर की अराधना,
ईश्वर अराधना रीति है वैदिक सनातन धर्म की!
—विनय कुमार विनायक