-ललित गर्ग –
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार
शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पारी शुरु करने जा रहे हैं। भले ही
उनकी यह पारी अनेक चुनौतियों का ताज हो, लेकिन उनके कद एवं राजनीतिक कौशल से संभावनाएं की
जा रही है कि वे इस पारी में भी सफल होंगे और एक नया इतिहास रचेंगे। उन्होंने अपने
चौथे कार्यकाल के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा में
सर्वसम्मति से विश्वास प्रस्ताव हासिल कर अपने हौसलों की उड़ान को पंख दिये हैं।
उनकी यह उड़ान न केवल मध्यप्रदेश में भाजपा की स्थिति को मजबूत करेंगी बल्कि
राष्ट्रव्यापी स्तर पर इसके सकारात्मक परिदृश्य निर्मित होंगे।
शिवराज सिंह चौहान लंबी पारी, विलक्षण पारी
खेलने वाले मुख्यमंत्रियों में से हैं। वे शांत एवं शालीन होकर भी आक्रामक राजनीति
करने में माहिर हैं। जिस तरह येदियुरप्पा ने सवा साल में ही कांग्रेस-जेडीएस की
सरकार के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को कुर्सी से बेदखल कर दिया, चौहान
को भी करीब-करीब वैसा ही श्रेय एवं अवसर हासिल हुआ है। भले ही येदियुरप्पा के
ऑपरेशन लोटस की तरह शिवराज सिंह ने कुछ न किया हो। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया
के कांग्रेस छोड़ने एवं भाजपा में शामिल होने की राजनीतिक स्थितियों का लाभ मिला
हो। भाजपा की जरूरत और मजबूरी रही कि शिवराज को ही यह अवसर देना पड़ा, वरना बीजेपी
नेतृत्व ने तो उनको दिल्ली अटैच कर ही लिया था। चूंकि बीजेपी के पास शिवराज सिंह
जैसे कद का कोई नेता नहीं है, इसलिए वो आसानी से फिट हो गये। भाजपा के प्रमुख
नेताओं के बारे में बात करें तो शिवराज सिंह चौहान
एक स्तंभ के रूप में नजर आते हैं। वे एक ऐसे नेता हंै जिन्होंने बीजेपी के लिए
मुश्किल से मुश्किल हालात में न केवल खुद को आगे रखा, बल्कि पार्टी
को मजबूती देने में अपनी प्रतिभा एवं राजनीतिक क्षमताओं का लोहा मनवाया। चाहे फिर
संगठन में भूमिका निभानी हो या फिर सत्ता चलानी हो, शिवराज सिंह
ने अपनी योग्यता प्रमाणित की।
शिवराज सिंह चौहान के अंदर
राजनीति के प्रति रुझान बचपन से ही था। वे 13 साल की उम्र में ही संघ से जुड़ गए थे और
निष्ठावान प्रचारक के रूप में काम किया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश
की सत्ता से लगभग डेढ़ दशक तक दूर रखा। मध्यप्रदेश में उनके रहते पार्टी ने लोकसभा
चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। 2014 की लोकसभा चुनावों में राज्य की कुल 29 से 27 सीटों पर
भाजपा ने जीत हासिल की थी। वह लगातार पांच बार सासंद रहे और 13 साल तक
लगातार मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे। मध्यप्रदेश में वह मामाजी के नाम से जाने
जाते हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश को बीजेपी के लिए एक मजबूत गढ़ बनाने में अहम
भूमिका निभाई है। शिवराज सिंह 2003-2004 में भारतीय
जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1990 में पहली बार
बुधनी विधानसभा से विधायक बने। अगले ही साल वह पहली बार लोकसभा चुनाव भी जीते। वह
पांच बार लगातार विधानसभा-लोकसभा सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वह 2005 से 2018 तक तीन बार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे। पिछले चुनाव में बीजेपी बहुमत से दूर
रह गई, इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना
पड़ गया था, लेकिन अल्पमत में आने के बाद कमलनाथ ने इस्तीफा
दिया और शिवराज चौथी बार
मुख्यमंत्री बने हैं।
शिवराज सिंह चौहान को हम
भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का उज्ज्वल नक्षत्र कह सकते हैं, वे चित्रता
में मित्रता के प्रतीक हैं तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, नीडर, साहसिक एवं
प्रखर राजनीतिक व्यक्तित्व हैं। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जिन्हें
भाजपा का एक यशस्वी योद्धा माना जाता हंै। उन्होंने आमजन के बीच, हर जगह अपनी
काबिलियत का लोहा मनवाया। लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई चौहान
जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति राजनीति की प्रयोगशाला मेें विभिन्न
प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजरकर महानता, कर्मठता एवं राजनीतिक कौशल का वरन करता है, राजनीति के
उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, राजनीतिक-
जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र
को अभिप्रेरित करता है। राज्य में गिरते पुरुष स्त्री अनुपात को देखते हुए
इन्होंने कई योजनाएं चलाई जिसका राज्य को फायदा भी हुआ।
शिवराज सिंह चौहान एम ए
फिलोस्फी में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। पेशे से वे किसान हैं। वे न केवल भाजपा बल्कि
भारतीय राजनीति का एक आदर्श चेहरा हैं। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण
के लिये कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की। वे
मूल्यों की राजनीति एवं समाजसेवा करने वाले जनसेवक हैं। देश और प्रदेशवासियों के
लिये कुछ खास करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हैं। माना जा रहा है कि शिवराज
सिंह चौहान ने सदन में बहुमत का आंकड़ा आसानी से पा लिया है
हालांकि भविष्य में उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। जिसमें अगले छह महीनों के
अंदर प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव प्रमुख है।
शिवराज को अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए इनमें से नौ सीटें जीतना जरूरी है। कोई
आश्चर्य नहीं कि वे इन उपचुनावों में भी कोई चमत्कार घटित कर दें।
शिवराज सिंह चौहान ने अपनी योग्यता, दूरदर्शिता
और राजनीतिक की समझ को साबित किया है और भाजपा को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका
निभाई है। वे समाज के लिये पूरी तरह समर्पित हैं और समाज के उत्थान, राष्ट्रीय-एकता
और सामाजिक समरसता के लिये अनूठे प्रयोग करते रहते हैं। वे एक ऐसे जीवन की दास्तान
हैं जिन्होंने अपने जीवन को बिन्दु से सिन्धु बनाया है। उनके जीवन की दास्तान को
पढ़ते हुए जीवन के बारे में एक नई सोच पैदा होती है। जीवन सभी जीते हैं पर सार्थक
जीवन जीने की कला बहुत कम व्यक्ति जान पाते हैं। शिवराज सिंह के जीवन कथानक की
प्रस्तुति को देखते हुए सुखद आश्चर्य होता है एवं प्रेरणा मिलती है कि किस तरह से
दूषित राजनीतिक परिवेश एवं आधुनिक युग के संकुचित दृष्टिकोण वाले समाज में जमीन से
जुड़कर आदर्श जीवन जिया जा सकता है, आदर्श स्थापित किया जा सकता है। और उन आदर्शों के
माध्यम से देश की राजनीति, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और वैयक्तिक जीवन की अनेक सार्थक
दिशाएँ उद्घाटित की जा सकती हैं। उन्होंने व्यापक संदर्भों में जीवन के सार्थक
आयामों को प्रकट किया है, वे आदर्श जीवन का एक अनुकरणीय उदाहरण हंै, मूल्यों पर
आधारित राजनीति, समाजसेवा एवं राष्ट्रीयता को समर्पित एक लोककर्मी
का जीवनवृत्त है। उनके जीवन से कुछ नया करने, कुछ मौलिक सोचने, राजनीति को
मूल्य प्रेरित बनाने, जनसेवा एवं आदर्श राजनीति का संसार रचने, सद्प्रवृत्तियों
को जागृत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी।
शिवराज सिंह चौहान वर्तमान
भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता भरी
नीतियों से प्रभावित हैं और उन नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिये तत्पर है। वे
एक राजनीतिज्ञ के रूप में सदा दूसरों से भिन्न हैं। घाल-मेल से दूर। भ्रष्ट
राजनीति में बेदाग। विचारों में निडर। टूटते मूल्यों में अडिग। घेरे तोड़कर निकलती
भीड़ में मर्यादित। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा और यथार्थपरक सोच ऐसे
शक्तिशाली हथियार हैं जिसका वार कभी खाली नहीं गया। वे जितने उच्च नैतिक-चारित्रिक
राजनेता एवं कुशल नेतृत्व है, उससे अधिक मानवीय एवं सामाजिक है। शपथ लेते ही
सामने खड़ी कोरोना वायरस से प्रदेश को मुक्ति दिलाने का उनका संकल्प एवं उसकी
तैयारी इस बात का द्योतक हैं।
शिवराज सिंह चौहान को एक सुलझा
हुआ और कद्दावर नेता, जनसेवक एवं समाज-निर्माता माना जाता हंै। उनका चौथी
बार मुख्यमंत्री के रूप अभिषेक एक आदर्श एवं बेबाक राजनीतिक सोच का राज्याभिषेक
हंै। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की शंृखला के प्रतीक हैं।
उनका मुख्यमंत्री के रूप में पदस्थापन राजनैतिक जीवन में शुद्धता का, मूल्यों का, मूल्यपरक
राजनीति का, आदर्श के सामने राजसत्ता को छोटा गिनने का या
सिद्धांतों पर अडिग रहकर न झुकने, न समझौता करने का पदस्थापन है। शिवराज सिंह के
सामने कमलनाथ रूपी बड़ी चुनौती है -राजनीति में एक दूसरे से बदला लेने की
प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है ऐसी स्थितियों में भी चौहान
नये मूल्य एवं मानक गढ़ते हुए राजनीतिक वातावरण को धुंधलका भरा नहीं बनने देंगे।
जबकि हमने देखा कि राजनीति और राजनीतिक विरोध की स्थितियों के बीच भी शिवराज सिंह चौहान
की लोकप्रियता में कोई खास कमी नहीं आयी थी, सत्ता जरूर चली गयी लेकिन मामा का दरबार पहले की
ही तरह लगता रहा। लोग उनके घर पर इंतजार कर रहे होते और वे आते ही लोगों के बीच
बैठ जाते और लोग अपनी समस्याएं सुनाने लगते – लोगों की शिकायतें सुनने के बाद
शिवराज सिंह चौहान पॉकेट से मोबाइल निकालते और अधिकारियों को उनकी
शिकायतों के निवारण के लिए बात भी कर लिया करते।
शिवराज सिंह चौहान का
व्यक्तित्व एवं कृतित्व अनूठा है, प्रेरक हैं, सफल राजनेता, संवेदनशील
व्यक्तित्व, कुशल प्रशासक के रूप में उनकी अनेक छवि, अनेक रंग, अनेक रूप में
उभरकर सामने आते रहे हंै। वे समर्पित-भाव से राजनीतिक-धर्म के लिये प्रतिबद्ध हैं।
आपके जीवन की दिशाएं विविध एवं बहुआयामी हैं। आपके जीवन की धारा एक दिशा में
प्रवाहित नहीं हुई, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया। यही
कारण है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र आपके जीवन से अछूता रहा हो, संभव नहीं
लगता। आपके जीवन की खिड़कियाँ समाज एवं राष्ट्र को नई दृष्टि देने के लिए सदैव
खुली रही। उनकी सहजता और सरलता में गोता लगाने से ज्ञात होता है कि वे गहरे मानवीय
सरोकार से ओतप्रोत एक अल्हड़ राजनीतिक व्यक्तित्व हैं जिनसे आती ताजी हवाएं
राजनीति की शुभता को उजागर करती है।