कमलेश पांडेय
मौजूदा नेक्स्टजेन जीएसटी सुधार केवल कर सुधार नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण को तेज रफ्तार देने का परिचायक है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थ भारत के सपनों को पंख लगाने वाला वह निर्णायक उपाय है जिसका सकारात्मक असर बहुत जल्द ही देश-दुनिया पर दिखाई पड़ेगा। बता दें कि 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक, जो गत 3 सितम्बर 2025 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित हुई, ने नेक्स्टजेन जीएसटी सुधारों की घोषणा की जिसके दृष्टिगत यह कहा जा सकता है कि यह भाजपा सरकार का एक साहसिक, ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है जिसने भारत की आधुनिक आर्थिक क्रांति के निर्माता के रूप में अपनी पहचान को और मजबूत किया है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के ऐतिहासिक लाल किले के संबोधन में घोषित और आगामी 22 सितम्बर 2025 अर्थात नवरात्रि के पहले दिन से लागू होने वाले ये सुधार वास्तव में 140 करोड़ भारतीयों के लिए राहत और समृद्धि का पर्व हैं। ऐसा इसलिए कि भाजपा नीत एनडीए के नेतृत्व वाली मोदी सरकार ने पुराने जटिल कर ढांचे को सरल बनाकर नागरिकों के अनुकूल 2-स्लैब संरचना में बदल दिया है। इसके तहत आवश्यक वस्तुओं पर 5 प्रतिशत और सामान्य वस्तुओं और सेवाओं पर 18 प्रतिशत और केवल विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है। इस प्रकार से यह वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार है।
ऐसा होने से दैनिक आवश्यक वस्तुएँ जैसे- दूध, चावल, आटा, चाय, दही, किताबें और भारतीय रोटियाँ अब या तो कर-मुक्त हैं या सिर्फ 5 प्रतिशत पर कर लग रहा है। यह पीएम मोदी जी की गरीब और मध्यम वर्ग के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है ताकि कोई भी भारतीय परिवार अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों से बोझिल न हो। यह भाजपा सरकार की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की प्रतिबद्धता का दोहराव भी है।
खास बात यह है कि अब स्वास्थ्य सेवाएँ भी सुलभ हुईं हैं क्योंकि सभी स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियाँ कर-मुक्त कर दी गई हैं और जीवनरक्षक दवाओं पर भी जीएसटी शून्य कर दिया गया है। इस प्रकार भाजपा नीत एनडीए सरकार ने आम आदमी के दुःख-दर्द के प्रति अपनी जो गहरी संवेदनशीलता दिखाई है और संकट की घड़ी में गरिमा और राहत सुनिश्चित की है, वह सराहनीय है। लगता है कि सरकार पर आरएसएस का बौद्धिक दबाव काम कर गया है।
आपको पता है कि किसान वर्ग जो भारत की रीढ़ समझे जाते हैं, सुधारों के केंद्र में हैं। उनके फायदे के लिए ही ट्रैक्टर, सिंचाई प्रणालियों, खाद और कीटनाशकों पर जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे खेती की लागत घटेगी और ग्रामीण समृद्धि बढ़ेगी। इससे स्पष्ट हो गया है कि यह लोकहितैषी सरकार वास्तव में किसानों के साथ खड़ी है।
वहीं, गृहिणियों और परिवारों को भी इस जीएसटी सुधार से सीधा लाभ मिला है। क्योंकि साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, टीवी और वॉशिंग मशीन जैसी घरेलू वस्तुएँ अब सस्ती होंगी। इस प्रकार भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने यह कर दिखाया है कि वह हर भारतीय परिवार के सरल जीवन यापन (इज ऑफ लिविंग) की परवाह करती है और टैरिफ के मामले में अमेरिकी झटका लगने के बावजूद वह जनकल्याण को समर्पित है। यह आम भारतीयों के लिए सौभाग्य की बात है। आरएसएस-भाजपा जैसे जमीनी संगठनों से ऐसे ही सकारात्मक बदलाव की उम्मीद साल 2014 से ही की जा रही थी, जो अब जाकर पूरी हुई है।
इस जीएसटी सुधार से युवा आकांक्षाओं की पूर्ति होने में भी मदद मिली है, क्योंकि छोटी कारों और मोटरसाइकिलों पर जीएसटी में कटौती से वे पहली बार खरीदारों के लिए सस्ती होंगी। वहीं, इनकी बढ़ती मांग से रोजगार भी पैदा होंगे, जो मोदी जी की युवा सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वहीं, हालिया बदलाव से तेज रफ्तार अवसंरचना विकास को भी बल मिलेगा, क्योंकि सीमेंट पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे आमलोगों के घरों की लागत कम होगी और खास लोगों को भी अतिरिक्त बचत का मौका मिलेगा। इससे निकट भविष्य में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं की गति बढ़ेगी, जिससे लाखों रोजगार सृजित होंगे। बतातें चलें कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अवसंरचनात्मक विकास सिर्फ नीति नहीं बल्कि राष्ट्र-निर्माण का मजबूत मिशन भी है।
अर्थशास्त्रियों की राय है कि मौजूदा अभूतपूर्व जीएसटी बदलाव से एमएसएमई रोजगार की रीढ़ समझे जाने वाले छोटे छोटे व्यवसायों को भी काफी लाभ मिलेगा। इससे उनको आशातीत विकास का अवसर मिला है। वहीं, जीएसटी के सरल अनुपालन, एआई आधारित निगरानी और तेज़ रिफंड से कांग्रेस के लंबे उपेक्षा काल के बाद, भाजपा सरकार ने इन्हें नवाचार, विस्तार और मजबूती दी है जो सराहनीय पहल बताई जा रही है।
कहना न होगा कि ये सभी सुधार सीधे तौर पर भाजपा की आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी प्रमुख योजनाओं का पूरक समझी जाती हैं। इसलिए लागत घटाकर और लालफीताशाही कम करके पीएम मोदी जी ने दिखाया है कि सुधार सिर्फ नारे से नहीं बल्कि वास्तविक कार्रवाई की वजह से आती हैं।
मौजूदा जीएसटी सुधार से कपड़ा और उर्वरक उद्योग जो लंबे समय से उल्टे कर ढांचे से जूझ रहे थे, को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि अब उन्हें भी जीएसटी दरों के युक्तिकरण से सीधा लाभ मिलेगा। इस प्रकार यह न सिर्फ उद्योग को बढ़ावा देता है बल्कि भाजपा की निर्णायक और उत्तरदायी शासनशैली को भी दर्शाता है।
सरकार की इस पहल से मध्यम वर्ग का भी सशक्तिकरण होगा। ऐसा इसलिए कि कांग्रेस, जिसने मध्यम वर्ग को टैक्स मशीन की तरह इस्तेमाल किया, उसके विपरीत भाजपा नीत एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उन्हें बेमिसाल राहत दी है, क्योंकि अब आवश्यक वस्तुएँ कर-मुक्त हैं और आकांक्षी वस्तुएँ सस्ती। इससे कारोबार में भी इजाफा होगा। वहीं, जीएसटी सरलीकरण से भारत की लॉजिस्टिक लागत कम हुई है जिससे भारतीय वस्तुएँ वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनी हैं। एक बार फिर, भाजपा के जीएसटी सुधारों ने भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की दृष्टि को साबित किया है।
महत्वपूर्ण बात यह कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) दिसंबर 2025 तक शुरू किया जाएगा। इसके लिए भाजपा सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि वर्षों से झेली जा रही परेशानियों का अंत हो और व्यवसायों को न्याय, पारदर्शिता और तेज़ समाधान मिले। जहां तक महिला उद्यमियों के सशक्तिकरण का सवाल है तो सरल जीएसटी और आसान क्रेडिट पहुँच से महिला नेतृत्व वाले एमएसएमई को विस्तार, रोजगार और नवाचार का अवसर मिलेगा। यह प्रधानमंत्री मोदी जी की ‘नारी शक्ति भारत की प्रगति की चालक है’ वाली सोच से जुड़ा है।
जहां तक इस सामूहिक सरकारी फैसले के सामूहिक आर्थिक प्रभाव का सवाल है तो नेक्स्टजेन जीएसटी सुधारों से जीडीपी में 1-1.2 प्रतिशत की वृद्धि और महंगाई में 1 प्रतिशत से अधिक की कमी का अनुमान है। यह भाजपा सरकार की विकास और स्थिरता के संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। सवाल है कि जब दुनिया मंदी से जूझ रही है, तब भाजपा शासन में भारत 7.8 प्रतिशत की दर से सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। यह मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की निर्णायक और दूरदर्शी शासनशैली का प्रमाण है।
ऐसे में कहना न होगा कि यूपीए बनाम एनडीए का फर्क अब साफ महसूस किया जाएगा। क्योंकि यूपीए के दौर में जहां आटा, चावल और चाय पर वैट लगाया जाता था; वहीं अब एनडीए सरकार में वे कर-मुक्त हैं। स्पष्ट है कि कांग्रेस ने केवल वादे किए, जबकि भाजपा ने वास्तविक परिवर्तन लाकर दिखाया। और अंततः यह कहना समीचीन होगा कि नेक्स्टजेन जीएसटी सुधार केवल कर सुधार नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में राष्ट्र-निर्माण की तेज रफ्तार के परिचायक बन चुके हैं। ये पहल हर नागरिक को राहत, हर उद्योग को प्रोत्साहन देते हैं और भारत को “विकसित भारत 2047′ के सपने के और करीब ले जाते हैं। इस प्रकार यह महसूस किया जा सकता है कि देश में एक ही पार्टी की डबल इंजन सरकार और ट्रिपल इंजन सरकार बनने से विकास अब धरातल पर पहुंच चुका है। यह गरीबों की झोपड़ियों में भी बहुत जल्द ही दिखाई देने वाला है।
कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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