कविता

चाहे जितना जलाओ विचार जलता नहीं

—विनय कुमार विनायक
चाहे जितना जलाओ विचार जलता नहीं,
विचार मरता नहीं एकबार उग आने पर!
युगों-युगों तक जीवित रहता रहेगा विचार!

विचार एक सीधी रेखा है कागज पर,
जो मिटता नहीं विचारक के मिट जाने पर!

विचार एक अनाशवान हथियार है,
जिसका होता नहीं कोई मारक प्रतिहथियार!

एक विचार प्रतिस्थापित होता नेक विचार से,
एक रेखा के समानांतर दूसरी बड़ी रेखा खींचने से!

नेक विचार एक कर सकता सारे जहां को,
लेकिन भ्रांत विचार तोड़ देता अपने ही वतन को!

‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’,
एक विचार है सार्वकालिक सुन्दर, अजर-अमर-अक्षर,
‘तराना-ए-हिन्दी’ इकबाल प्रपिता पंडित सहज राम सप्रू का!

जो प्रस्थापित हुआ नहीं उनके अगले विचार
‘तराना-ए-मिल्ली’ से, क्योंकि मिट जाती है हस्ती
साम्प्रदायिक व्यक्ति की, किन्तु हस्ती मिटती नहीं
उनकी, जिनका विचार मजहब से ऊंचा देश अपना,
कि मजहब नहीं सिखलाता है आपस में बैर रखना!

मन्वंतर दर मन्वंतर जीवित रहता विचार,
एक विचार तय करता आगामी दूसरा विचार,
विचार समस्या पैदा करता, हल निकालता विचार!

कुछ विचारक कुछ विचार को जलाना चाहते,
जबकि अक्सरा जलाए गए विचार भी काम आते!

स्मृतियों में गालियां खोज खिजलाना अच्छा नही,
धर्मग्रंथों की गालियां अतीत की स्थिति को बतलाती,
आज जो गाली लगती, वो कभी परिस्थिति रही होगी!

हो सकता है एक के हाथ में होगा हथियार!
दूसरे के हाथ में होगी सरकंडा लेखनी की धार!
एक ने तलवार चलाई, दूसरे ने कलम चला दी!

कहते हैं कलम और तलवार में इक्कीस बार
लड़ाईयां चली, कलम जीत गई, तलवार हार गई!

तलवार का जख्म तो भर गया,
मगर जख्म लेखनी का भरता नहीं कभी!
असि की धार भोंथरी हो जाती,
किन्तु लेखनी सदा से हरी की हरी होती!

हरी भरी लेखनी जीवन में हरियाली लाती!
अतीत की गालियां कबीरा की उलटबांसी जैसी!
पूर्व की श्रुति-स्मृति-कृति भविष्य को रोशनी देती!

आज का आरक्षण, अतीत की गालियों का पुरस्कार,
विचार मिटता नहीं, विचार बदलता मानव का व्यवहार!

‘तराना-ए-हिन्दी’ देश को सदा गरिमामंडित करता रहेगा,
जबकि उस विचारक के अगले विचार से देश खंडित हो गया!

विचारों का कैसा विचित्र वैचारिक अंतर्द्वंद्व है?
कि सारे विचार अपने-अपने जगह पर कायम है!

विचार आदिकाल से स्मृति में अबतक अद्यतन है!
यद्यपि सभी विचारों का जन्म परिस्थितिजन्य है!

विचारक बेचारे भौतिक शरीरी, वे आते-जाते रहेंगे,
किन्तु विचार आधिभौतिक पर ईश्वरीय सदा रहेंगे!

सहेज कर रखना होगा सारे सापेक्ष विरोधी विचार,
विचार को विचारो कि मित्र-शत्रु से परे होता विचार!

विचार हमारे तुम्हारे नहीं, ईश्वर के होते सारे विचार!
विचार जलेगा नहीं, विचार जलाने का छोड़ दो विचार!