कविता
August 13, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a comment
-क़ैस जौनपुरी-
हां, हम समझ गए
क़ि कयामत आएगी
हमें आग में जलाएगी
हम डर गए
अब, बस करो ना
इतना ही कब्ज़े में रखना था
तो बनाया ही न होता
किसने कहा था, हमें बनाओ
खुराफ़ात तो आप ही को सूझी थी ना
अब भुगतो!