अनिल अनूप
लुधियाना, 9 सितंबर .मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), उच्च शिक्षा विभाग, ने स्कूल शिक्षा विभाग को सलाह दी है कि ऑनलाइन गेम ‘मोमो चैलेंज’ के बारे में स्कूल और कॉलेज के प्रमुखों को सतर्क करने के लिए कहा है।
मंत्रालय ने कहा है कि ‘मोमो चैलेंज’ नामक एक नए खतरनाक खेल के बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से एक पत्र प्राप्त हुआ था।![](https://www.pravakta.com/wp-content/uploads/2018/09/01-1-450x253.jpg)
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राजेश सोलंकी, अवर सचिव, एमएचआरडी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उन्हें खेल के बारे में सलाह दी है।
खेल में, सदस्यों को अज्ञात लोगों के साथ संवाद करने के लिए चुनौती दी जाती है। इस खेल में विभिन्न प्रकार की आत्म-हानिकारक डर होती है जो खेल की प्रगति के रूप में तेजी से जोखिम भरा हो जाती है और अंततः आत्महत्या चुनौती के साथ समाप्त होती है। इसमें ऐसी चुनौतियां शामिल हैं जो किशोरों या किसी अन्य उपयोगकर्ता को खेल की चुनौतियों के रूप में हिंसक कृत्यों की श्रृंखला में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
यह किशोरों को ‘मोमो’ के नाम से व्हाट्सएप पर अज्ञात संपर्क जोड़ने और प्रेरित होने के बाद, एक भयानक जापानी मोमो गुड़िया की छवि संपर्क में दिखाई देती है। खेल प्रतिभागियों को हिंसक छवियों, ऑडियो या वीडियो के साथ धमकी दी जाती है, अगर वे निर्देशों का पालन नहीं करते हैं।
एमएचआरडी ने विभाग से छात्रों को खेल के खतरों पर शिक्षित करने और उन्हें खेलने से रोकने के लिए कहा है।
स्थानीय कॉलेज से स्नातक छात्र भारती खन्ना ने कहा, “छात्रावास में कुछ लड़कियां Google पर चुनौती के बारे में पढ़ रही थीं। यह वास्तव में डरावना है। ऐसे खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। “
शहर के नैदानिक मनोवैज्ञानिक हरकीरत कौर ने कहा कि बच्चों के दिमाग नाजुक हैं और उन्हें देखभाल के साथ संभालने की जरूरत है। “इंटरनेट पर गेम और कुछ भी माता-पिता की देखरेख में सख्ती से देखा जाना चाहिए। सबसे पहले, बच्चों को अपने फोन पर गेम खेलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और यदि उन्हें अनुमति है, तो माता-पिता को जो कुछ भी खेल रहे हैं उस पर सख्त नजर रखना चाहिए। कभी-कभी, ऐसे खेल बच्चों के दिमाग पर गहरा प्रभाव डालते हैं, “उसने कहा।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक कॉलेज छात्रा ने मोमो चैलेंज के सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई है। छात्रा के मुताबिक उसे एक अज्ञात कॉलर ने वर्चुअल सूइसाइड गेम मोमो चैलेंज में हिस्सा लेने के लिए उकसाने की कोशिश की। बता दें कि ब्लू वेल चैलेंज के बाद अब खतरनाक मोमो चैलेंज गेम इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है।
कई देशों में बच्चे और युवा तेजी से मोमो चैलेंज का शिकार हो रहे हैं। कॉलेज छात्रा ने अपनी शिकायत में कहा है कि अपनी मां से विवाद के बाद उसने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लिखा था कि वह जान देना चाहती है। छात्रा का कहना है, ‘इसके थोड़ी देर बाद एक अज्ञात वॉट्सऐप नंबर से मेरे मोबाइल पर मेसेज आया, जिसमें मुझे मोमो गेम चैलेंज में हिस्सा लेने का आमंत्रण दिया गया।’
जब उसने मेसेज भेजने वाले से उसकी पहचान जाननी चाही तो उस शख्स ने केवल जुबानी तौर पर अपने बारे में जानकारी दी। हालात से घबराई छात्रा ने अपने बड़े भाई को पूरी बात बताई। छात्रा के भाई ने उसे गेम में शामिल न होने के लिए सचेत किया। इसके बाद पीड़ित छात्रा ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस का इस मामले पर कहना है कि जांच की जा रही है।
राजस्थान के अजमेर में पहला मामला
इससे पहले राजस्थान के अजमेर में मोमो चैलेंज नाम के इस गेम का कथित तौर पर पहला मामला सामने आया था। दसवीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची की मौत के बाद परिवार ने इसके पीछे खेल की भूमिका की जांच करने की मांग की थी। बच्ची ने फांसी से लटककर जान दे दी थी।
बच्ची की एक दोस्त ने उसके भाई को बताया था कि वह मोमो चैलेंज के आखिरी राउंड में पहुंचने पर बेहद उत्साहित है। भाई ने बताया कि खाली वक्त में घर और स्कूल में वह मोमो चैलेंज ही खेलती रहती थी। जांच में यह भी बात सामने आई कि उसने फांसी लगाने से पहले अपनी कलाई भी काटी थी।
हालांकि, पुलिस अफसरों के मुताबिक बच्ची ने सूइसाइड नोट में लिखा था कि वह खराब मार्क्स के कारण ऐसा कदम उठा रही है। पुलिस ने बताया कि बच्ची की इंटरनेट ब्राउजिंग हिस्ट्री की जांच की जा रही है। बता दें कि मोमो चैलेंज ने अमेरिका, अर्जेंटीना, फ्रांस, मेक्सिको और जर्मनी में पैर जमा रखे हैं। इसके कारण पहली मौत अर्जेंटीना में हुई थी, जहां एक 12 साल की बच्ची ने आत्महत्या कर ली थी। खेल में किसी अज्ञात नाम से खतरनाक चैलेंज मिलते हैं।
क्या है मोमो चैलेंज?
यह चैलेंज जोखिम भरा होता है। मोमो इसे पूरा नहीं करने पर यूजर को डांटती है और सख्त सजा देने की धमकी भी देती है। इससे यूजर डरकर आदेश मानने को मजबूर हो जाता है। वह मोमो की बातों में फंसकर मानसिक अवसाद में चला जाता है और जान देने को मजबूर हो जाता है। मोमो चैलेंज लेने वालों में ज्यादातर बच्चे और नौजवान हैं।
ऐसे मिलता है चैलेंज
सबसे पहले यूजर को अज्ञात नंबर मिलता है, जिसे सेव कर Hi-Hello करने का चैलेंज दिया जाता है।
फिर उस अज्ञात नंबर पर बात करने का चैलेंज दिया जाता है।
आगे बढ़ते ही संदिग्ध नंबर से यूजर को डरावनी तस्वीरें और विडियो क्लिप्स आने लगते हैं।
यूजर को कुछ काम दिए जाते हैं, जिन्हें पूरा नहीं करने पर उसे धमकाया जाता है।
धमकी से डरकर यूजर खुदकुशी करने को मजबूर हो जाता है।
अगर आप के बच्चे व्हाट्सऐप और फेसबुक सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ज्यादा समय दे रहे हैं तो आपको सावधानी बरतनी होगी. इन दिनों सोशल साइट्स पर अलग-अलग तरह के चैलेंज सामने आ रहे हैं. सोशल साइट्स से आप कोई नंबर अपने फोन में सेव न करें. ऐसा करना आपके लिए खतरे से खाली नहीं होगा. ब्लू व्हेल गेम और कीकी चैलेंज के बाद मोमो चैलेंज आया है.मोमो चैलेंज व्हाट्सऐप मैसेज के जरिए वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि मोमो जापान से संबंधित है और इस चैलेंज के लिए डरावनी तस्वीर का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह चैलेंज खतरों से भरा है. चैलेंज पूरा न करने पर मोमो (एक फिक्शनल कैरेक्टर) डांटती है और कड़ी सजा देने की धमकी भी देती है. इसके चलते यूजर डर जाता है और मोमो के निर्देश मानने के लिए मजूबर हो जाता है. मोमो की बात में आकर यूजर डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है. इसके अधिकतर यूजर्स नौजवान और बच्चे हैं.
वायरल मोमो चैलेंग गेम के जरिए अपराधी बच्चों और युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं. निजी जानकारी चुराने के बाद वह परिजनों को धमकी देता है. इसका इस्तेमाल वह फिरौती मांगने के लिए भी करते हैं. इस गेम के जरिए बच्चों को डिप्रेशन कर वह आत्महत्या की ओर ढकेलते हैं.मोमो चैलेंज में सबसे पहले यूजर्स को अनजान नंबर दिया जाता है जिसे सेव कर हैलो-हाय करने का चैलेंज दिया जाता है. फिर उस अनजान नंबर पर बात करने का चैलेंज दिया जाता है. इसके बाद जो नंबर सेव होता है, उससे यूजर को डरावनी तस्वीरें और वीडियो क्लिप्स मैसेज किए जाने लगते हैं. यूजर को इस दौरान कुछ काम भी दिए जाते हैं जिसको पूरा न करने स्थिति में उसे धमकी दी जाती है. धमकी से डरकर यूजर आत्महत्या कर लेता है.
अगर बच्चे सोशल मीडिया, खासतौर से व्हाट्सऐप और फेसबुक पर ज्यादा समय दे रहे हैं तो उन पर नजर रखें. उनकी आदतों पर ध्यान दें और किसी भी तरह का, जैसे गुमसुम रहना, खाना छोड़ने सरीखे बदलाव हों तो किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें.