अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी साथियों के साथ किए गए कांग्रेसी षड्यंत्र का भी हुआ पर्दाफाश

डॉ॰ राकेश कुमार आर्य

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के नाम से हमारे हृदय पर राज करने वाले सुभाष चंद्र बोस के बारे में रह-रहकर नए नए तथ्य सामने आते जा रहे हैं । जिनसे पता चलता है कि उनके साथ स्वाधीन भारत की पहली नेहरू सरकार और उसके बाद की कांग्रेसी सरकारों ने कितना बड़ा धोखा और विश्वासघात किया है ?
इसी श्रंखला में अब एक नया तथ्य जुड़ गया है । हरियाणा में सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार यह तक नहीं जानते कि उनके पूर्वजों ने भी कभी आजादी की जंग लड़ी और अपना खून बहाया था। हरियाणा के ऐसे 450 शूरवीरों के नाम सामने आए हैं जो आजाद हिंद फौज के सिपाही थे। इन सभी का रिकार्ड राज्य सरकार के अधीनस्थ हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति को भेजा है ताकि इन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाया जा सके।

इससे पता चलता है कि न केवल नेताजी सुभाष चंद्र बोस बल्कि उनके साथी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ हुई कांग्रेसी सरकारों ने अन्याय करने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी । कहने का अभिप्राय है कि किसी शूरवीर योद्धा ने देश की आजादी के लिए यदि आजाद हिंद फौज के झंडे के नीचे लड़ाई लड़ी तो उसकी ऐसी जानकारी उसके परिजनों तक को भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
हरियाणा के कई लोगों को तो सिर्फ इतना ही मालूम है कि उनके पूर्वज कभी ब्रिटिश फौज का हिस्सा थे। ब्रिटिश फौज ने उन्हें विभिन्न मोर्चों पर भेजा और उसके बाद वे कभी लौटकर नहीं आए। वे इससे अनजान हैं कि उनके पूर्वज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर अंग्रेजों से बगावत कर ब्रिटिश आर्मी छोड़कर अपने देश को आजाद करवाने के लिए आजाद हिंद फौज के सिपाही बन गए थे।
इस गौरवपूर्ण तथ्य कुछ छुपाने से जहां ब्रिटिश सरकार का है स्पष्ट हो जाता है कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके क्रांतिकारियों से भयभीत रहती थी। वहीं कांग्रेस का ब्रिटिश शासकों के साथ चल रहा संबंध भी पता चल जाता है कि कांग्रेसी नेताओं ने स्वाधीनता के पश्चात भी आजाद हिंद फौज के सैनिकों को भारतीय स्वाधीनता संग्राम का सेनानी मानने से इनकार कर दिया था।
बोस की आजाद हिंद फौज के अफसरों ने अपनी विभिन्न रेजीमेंटों को उनके इलाकों के हिसाब से नाम दिया हुआ था। इस रेजीमेंट के एक-एक सिपाही का रिकार्ड उन्होंने रखा था। सिपाहियों का ये रिकार्ड सुभाष चंद्र बोस के गोपनीय दस्तावेजों का ही हिस्सा था। आजादी के बाद कई दशकों तक ये दस्तावेज सरकार ने गोपनीय रखे। इसके पीछे कारण यही रहा कि सरकार किसी भी स्थिति में भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इन महान सेनानियों को स्वाधीनता संग्राम का दर्जा नहीं देना चाहती थी । वह इस तथ्य को भी गोपनीय रखना चाहती थी कि स्वाधीनता संग्राम के दिनों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज भारतीयों में कितनी अधिक लोकप्रिय थी ? विशेषकर हमारी सशस्त्र सेनाओं के सैनिक तो निश्चित रूप से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम के दीवाने हो गए थे।
अब बोस के तमाम दस्तावेज सार्वजनिक हो चुके हैं, इसलिए राष्ट्रीय अभिलेखागार विभाग के पास बोस के तमाम सिपाहियों का रिकार्ड भी सार्वजनिक है। इसी रिकार्ड को पिछले सात साल से चरखीदादरी के गांव दाणी फौगाट के मूल निवासी श्रीभगवान फौगाट (अभी रेवाड़ी में रहते हैं) खंगाल रहे हैं। श्रीभगवान के पिता श्रीराम सिंह फौगाट भी आजाद हिंद फौज के ही गुमनाम सिपाही थे जिन्हें लंबे संघर्ष के बाद श्रीभगवान ने पहचान दिलवाई।
श्रीभगवान फौगाट ने बताया कि वे अपने पिता के रिकार्ड के बाबत कई बार सेना भवन, रक्षा व गृह मंत्रालय भवन और राष्ट्रीय अभिलेखागार विभाग जाते रहे। वहीं उन्होंने देखा कि हरियाणा से संबंधित आजाद हिंद फौज के कई सिपाही ऐसे हैं जो आज तक गुमनाम हैं और उनके नाम फाइलों में ही दबे रह गए हैं।
उन्होंने बताया कि उन दिनों सुभाष चंद्र बोस का इतना ज्यादा प्रभाव था कि संयुक्त पंजाब के बहुत से ब्रिटिश फौज के सिपाही बगावत कर आजाद हिंद फौज में चले गए। अंग्रेजों ने इन्हे विद्रोही माना। अंग्रेजों से बगावत करने वाले कई सिपाही तो आजाद हिंद फौज के खत्म होने के बाद लौट आए, मगर कई विभिन्न मोर्चों पर अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए।
उनके अनुसार अभी तक वह 450 गुमनाम सिपाहियों का रिकार्ड ढूंढकर जिला उपायुक्त रेवाड़ी के माध्यम से हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति को भेज चुके हैं। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग की है कि वे इन गुमनाम सिपाहियों का नाम संबंधित जिला उपायुक्तों के माध्यम से उनके परिजनों तक पहुंचाएं और इन स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को पेंशन सुविधा भी दें।
किस प्रकार के प्रयासों से पता चलता है कि भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास के साथ भी कांग्रेसी सरकार ने कितना बड़ा धोखा किया है ? वर्तमान केंद्र सरकार को और राज्य सरकारों को चाहिए कि आजाद हिंद फौज सहित देश के क्रांतिकारियों के इतिहास को फिर से खंगालने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास होने चाहिए । कांग्रेस के चरखावादी आंदोलन की हवा निकालकर क्रांतिकारियों के महान त्याग, तपस्या और साधना को इतिहास में स्थान दिया जाना समय की आवश्यकता है । प्रधानमंत्री श्री मोदी को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए।

1 COMMENT

  1. HOW HINDUS ARE GETTING FOOLED IN OWN NATION IS A SAD THING. FIRST THEY ARE DEPRIVED OF THE HINDU NATION ALL DUE TO CONGRESS PARTY. THIS FACT SHOULD BE TOLD TO EACH AND EVERY HINDU .

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