बच्चों का पन्ना

खुला पुस्तकालय जंगल में

बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान|

इसी बात का हाथीजी ने ,शेर चचा का खींचा ध्यान|

देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान|

हम तो मात्र हिलाते रह गये ,अपने पूँछ गला और कान|

बाल वटिका बुलवाने का ,खुलकर किया गया एलान|

शाल ओढ़ाकर बंदरजी का, किया गोष्ठी में सम्मान|

पढ़ने लिखने से ही आता, है दुनियादारी का ग्यान|

खुला पुस्तकालय जंगल में, पढ़ते हैं सब चतुर सुजान|