पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने धार्मिक संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुंबई आतंकवादी हमलों के जिम्मेदार संगठन लश्कर-ए तैयबा के संस्थापक हाफ़िज़ सईद को पर्याप्त सबूत न होने का हवाला देते हुए मंगलवार को रिहा करने का आदेश दिया है।हाफ़िज़ की रिहाई पर भारत ने तत्काल निराशा व्यक्त की है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने कहा है कि इससे ऐसा लगाता है कि पाकिस्तान मुंबई हमलों में शामिल लोगों को सज़ा दिलवाने को लेकर गंभीर नहीं है।
गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि इससे मुंबई हमलों की भारत में चल रही जांच पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, वे इस बात से नाखु़श हैं कि पाकिस्तान को मुंबई हमलों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा दिलवाने को लेकर जो गंभीरता दिखानी चाहिए वो नहीं दिखा रहा है।
उधर हाफ़िज़ सईद के वकील ए. के. डोंगर ने पत्रकारों को बताया, ” अदालत ने कहा है कि हाफ़िज़ सईद की नज़रबंदी संविधान और क़ानून का उल्लंघन है।”
गौतरलब है कि पिछले वर्ष 26 नवंबर को मुंबई में हुए हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित कर दिया था , जिसके बाद पाकिस्तान में इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी। इसके तहत 12 दिसंबर, 2008 को सईद को एक महीने के लिए नज़रबंद कर दिया गया था। बाद में उनकी नज़रबंदी और बढ़ा दी गई थी। वह लाहौर के जौहर टाउन इलाक़े में स्थित अपने घर में नज़रबंद हैं।