पाकिस्तान पर अभी और दबाव की ज़रूरत

पाकिस्तान के पेशावर में सैनिक स्कूल में पाकिस्तानी तालिबानियों के नंगे नाच के बाद अचानक से शरीफ सरकार और सेना के बीच आतंकियों के सफाए को लेकर रणनीति बनती नज़र आ रही थी| ऐसे भी कयास लगाए जा रहे थे कि मासूम अबोध बच्चों की निर्दयतापूर्ण कार्रवाई के बाद पाकिस्तान भारत विरोधी आतंकवाद के मुद्दे पर सकारात्मक रुख अख्तियार करेगा किन्तु सीमा पार आतंकी वारदातों में कोई कमी न होने के संकेत मिलते ही इस कयास पर विराम लग गया| वैश्विक समुदाय यह अच्छी तरह जानता है कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी पर लगाम लगा दे तो उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा, लिहाजा पाकिस्तान से आतंकवाद के संदर्भ में किसी प्रकार की नरमी रखना बेवकूफी भरा कदम होगा| मोदी सरकार के लिए ऐसी संभावित स्थिति ठीक उसी तरह हो जाएगी जैसी 1962 के चीन-भारत युद्ध में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अदूरदर्शिता एवं हठ से पैदा हुई थी| वैसे इस आभासी स्थिति का उत्पन्न होना फिलहाल दूर की कौड़ी नज़र आता है क्योंकि हाल ही में पाकिस्तानी आतंकी घुसपैठियों की कोशिश और पाक समर्थित आतंकियों की गोलीबारी का भारतीय सेना द्वारा माकूल जवाब दिया जा रहा है| पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि उसने एक ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है तो दूसरी ओर पीठ में खंजर भौंकने में भी गुरेज नहीं किया है। मोदी सरकार के गठन और सरकार की कड़ी हिदायत के बाद भी पाकिस्तान पोषित आतंकवाद में कोई कमी नहीं आई है| उलटे पाकिस्तान में होने वाली तमाम आतंकी घटनाओं को शरीफ सरकार द्वारा ऐसे पेश किया जा रहा है, मानो पाकिस्तान खुद आतंकवाद से पीड़ित हो| स्वयं को आतंकवाद से पीड़ित होने के मगरमच्छी आंसुओं ने पाकिस्तान सरकार को पूर्व में भी अंतरराष्ट्रीय जांचों में बरी किया है और सारा दोष आतंकी संगठनों पर मढ़ दिए जाने से वह अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालने की पूर्व नियोजित रणनीति भी तैयार करती रही है| अतः आतंकियों को ताबड़तोड़ फांसी देने की कार्रवाई का शायद ही कोई सकारात्मक परिणाम निकले? हालांकि चौतरफा विरोध के चलते पाक सरकार ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर आतंकी जकीउर रहमान लखवी पर शिकंजा ज़रूर कसा है| पाकिस्तान यदि सच में आतंकवाद से लड़ना चाहता है तो उसे इससे कहीं अधिक इच्छाशक्ति दिखाना होगी| भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम कराची में आईएसआई की गोद में बैठा देश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है| हाफ़िज़ सईद खुलेआम सरकारी सुविधाओं और सुरक्षा का उपभोग कर रहा है| तालिबानी पाकिस्तान बर्बर घटनाओं को बिना किसी डर के अंजाम दे रहा है| ऐसे में पाकिस्तान मात्र लखवी को जेल में डाल भी दे, तो यह उसकी इच्छाशक्ति नहीं वरन दबाव की रणनीति है|

तारीफ़ करना होगी मोदी सरकार की जिसने पाक सरकार को कड़े और स्पष्ट शब्दों में आतंकवाद पर लगाम लगाने पर बाध्य किया है| रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को यह कहना कि पाक आतंकियों की कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दो, सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है| वैसे भी भारत में सत्ता परिवर्तन के बाद सुरक्षा का जो सकारात्मक माहौल बना है, वह पाकिस्तान और उसके द्वारा पोषित आतंकवाद के लिए खतरे की घंटी है| हां, इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि भारत सरकार को पाकिस्तान के संबंध में और कठोरता दिखानी पड़ेगी वरना दिखावे को तो पाक सरकार भारत से मैत्री संबंधों की खातिर आतंकवाद पर लगाम कसने की दिखावटी कोशिश करती रहेगी मगर अंदरखाने वहां मौजूद आतंकी संगठन भारत विरोध की अपनी रणनीति पर चलते रहेंगे|
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सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

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  1. एक कहावत है ‘shtam शाठ्यम समाचरेत ”/जैसे को तैसा/पाकिस्तान उस बुद्धिं हीन की तरह है जो अपने देश के लोगों का भला नहीं चाहता। जिस देश मैं उत्तम लेखक। साइन कलाकार,अला दर्जे के गायक माने हुए खिलाडी हों वहां के शासक ऐसे. इस shat को तो फिर से पाठ पढ़ाने की जरूरत है. आतंकवाद के खिलाफ यह कारवाही नहीं कर रहा बल्कि ढोंग कर रहा है. और दुनिआ का चौधरी अमेरिका बार बार उसकी पीठ थपथपाकर अरबों डॉलर सहायता दे देता है. अमेरिका एक तरफ तो आतंकवाद की बुराई करता है दूसरी और सीरिया मैं बशर के विरुद्ध विद्रोहियों को हथियारब देता है. जो आगे जाकर संगठन खड़े कर लेते हैं. परमाणु हथियारों के नाम पर इराक मैं तभाई मचाता है ,परमाणु हथियार मिलते ही नही. असल मैं सभी देश मिलकर इस समस्या को सोचें तो ही यह आतंकवाद दूर होगा

  2. पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्यवाही की उम्मीद व्यर्थ है ,लखवी को भी कुछ दबाव में एक बार जेल में डाल दिया है पर वह वहांभी स्वछंद ही घूमता है उसे सजा देना वहां की न्यायपालिका के वाश की बात नहीं क्योंकि वह भी दबाव में हैं ,अन्यथा इतने सबूत भी उन्हें पर्याप्त नहीं लगे जो भारत ने सौंपे हैं ,सरकार भी उसके खिलाफ पूरे सबूत न जूता कर व प्रेषित न कर बुरा बनने से बचती है , हाफिज के साथ भी है सेना व आतंकवादियों की सांठगांठ के कारण सरकार तो केवल मुखोटा है। पाकिस्तान ऐसा सरदर्द है जो कभी मिटने वाला नहीं, अमेरिका भी अभी तक दोगला पन करता रहा है ,औयर कितना भी भारत सहयोग कर ले वह पाक को नहीं छोड़ेगा ,इसलिए उस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी पूरा नहीं पड़ता और वह पुरे विश्व को आतंकवादी निर्यात करता है लेकिन कोई भी देश कुछ नहीं कर पा रहा ,यधपि चीन भी उस से परेशान है पर भारत को ज्यादा परेशान देख वह भी उसके विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय गलबहियां बढ़ा रहा है

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