पाकिस्तान जब तक रहेगा उसकी हरकतें जारी रहंेगी

pakमृत्युंजय दीक्षित

यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान का जन्म भारत विरोध और धार्मिक आधार पर हआ था। पाकिस्तान के जन्म से ही भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों की लम्बीचौड़ी की सूची लगातार चली आ रही है जोकि लगातार बढ़ रही है। विगत दिनों उफा में भारत- पाक के प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता बहाली को लेकर बातचीत हुई थी और उसी सिलसिले में आगामी 23-24 अगसत को दो दिवसीय वार्ता का पहला चरण होने जा रहा है। यह वार्ता एनएसए स्तर की होने जा रही है। इस वार्ता में भारत पाकिस्तान को एक बार फिर 1400 पृष्ठों का डोजियर सौंपने जा रहा है इस वार्ता में  आतंकवाद के मुददे पर पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत ने पूरी तैयारी कर ली है।इसमे पाकिस्तान में चल रहे आतंकी कैम्पों से लेकर दाऊद के ठिकानों व हाफिज सईद के कारनामों  के बारे में नई जानकारियां दी जाने वाली हैं। इसके साथ ही गुरूदासपुर हमले गिरफ्तार आतंकी नावेद के कबूलनामें को भी पाकिस्तानी एनएसए सरताज अजीज के सामने रख जायेगा।

लेकिन अभी यह वार्ता हो भी पायेगी या नहीं इसमें संदेह हैं क्योंकि पाकिस्तान सरकार व खुफिया एजेंसी आईएसआई व वहां की सेना की ओर से इस बात की पूरी ताकत के साथ कोशिश की जा रही है कि यह वार्ता हो नही पाये लेकिन इस बार अभी तक भाारत सरकार व पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस बात पर अभी तक एकमत हैं कि वार्ता की मेज पर तो आना ही होगा चाहे जितना ही दबाव व विरोध क्यूँ न हो।  वैसे भी युद्ध कोई अंतिम विकल्प कभी हो नहीं सकता। यह तभी संभव होता है जब  सभी प्रकार के लोकतांत्रिक और कूटनीतिक रास्ते बंद हो जाते हैं . हालांकि भारत में भी वार्ता के नये दौर को लेकर राजनीति शुरू हो चुकी है। पता नही कांग्रेस को क्या हो गया है कि वह आज हर काम की आलोचना और विरोध पर ही उतर आयी है। जबकि यह सबकुछ कांग्रेस की पुरानी सरकारों का ही किया धरा है और पीएम मोदी तो केवल समस्याओं के समाधान का प्रयास करते दिखलायी पड़ रहे हैं  एक प्रकार से कांग्रेस व सेकुलर दल कभी- कभी पाकिस्तानी समर्थक की भूमिका में दिखलायी पड़ने लग जाते हैं। वैसे भी जब पीएम मोदी को लगेगा तो वार्ता अपने आप ही ठप हो जायेगी।

अभी तो पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान व उसके हुक्मरानों का चाल, चेहरा और चरित्र सामने आ रहा है। विगत 14 अगस्त को पाकिसतान ने अपने स्वाधीनता दिवस पर कश्मीर का राग पूरे जोर- शोर से अलापा। वाधा बार्डर पर पाकिस्तान को न मिठाई दी गयी और ली गयी। यहीं नहीं पाकिस्तान विगत 14 अगस्त से लगातार जम्मू कश्मीर के नियंत्रण रेखा व अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर फायरिंग कर रहा है । जिसके कारण सीमा के लगभग 30 गांवों में दहशत का वातावरण पैदा हो गया तथा  छह लोगों सहित दो दर्जन से अधिक लोग घायल भी हो गये हैं। भारत की ओर से इस विषय पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में तलब करके फटकार भी लगायी जा चुकी है। सोपोर सहित कई स्थानों पर आतंकी हमलों की वारदातें लगातार हो रही हैं।सीमा पर एक प्रकार से  अघोषित युद्ध जैसी स्थिति चल रही है इस परिस्थिति में एक चंगारी कुछ भी करवा सकती है। यहां पर यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि अब सीमा पर स्थिति काफी कुछ बदली हुई है पहले भारतीय सेना के जवान मार खा जाते थे लेकिन अब उन्हें दुश्मनों के छक्के छुड़ाने की पूरी छूट मिली हुई है। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना अब सीमार पर तनाव के लिये नये तरीके अपना रही है। दूसरी तरफ भारत की खुफिया एजेंसियां व सेना पूरी मुस्तैदी के साथ जमू काश्मीर की आंतरिक सुरक्षा पर कड़ी नजर रख रही है व भारत के अन्य हिस्सो को समय समय पर एलर्ट जारी कर रही है। इसी दबाव के कारण इस बार कह अमरनाथ यात्रा अभी तक पूरी तरह से शांत और सफलतापूर्वक संपनन हो रही है। जिसके कारण आतंकी संगठन बौखलाये हुये हैं तथा जरा सी चूक का बड़ा फायदा उठाने की फिराक में लगातार बैठे है।

उधर पाकिस्तान वार्ता को विफल करवाने के हरसम्भव प्रयास कर रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर हुरिर्यत नेताआंे के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शन करते हुए सरताज अजीज के साथ वार्ता करने के लिए दिल्ली बुला लिया है। एनएसए स्तर की वार्ता के पूर्व अलगाववादी नेताओं को पाक की ओर से वार्ता का निमंत्रण और संयुक्तराष्ट्र में कश्मीर का मुददा उठाना भड़काने वाला कदम है।पाकिस्तान ने वार्ता को रदद करवाने के लिए  विगत 25 अगस्त 2014 को भी इस्लामाबाद में  आयोजित होने वाली विदेश सचिवों की वार्ता के पूर्व दिल्ली में पाक उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं की बैठक बुला ली थी तब भी यह वार्ता पटरी पर से उतर गयी थी।उधर पूर्व अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी एक प्रकार से भारत पाक वार्ता का विरोध ही किया है ।जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी अभी तक पशोपेश में है जिसका आनंद कांग्रेसी उठा रहे हैं और तंज कस रहे हैं।

3 COMMENTS

  1. पाकिस्तान के साथ सम्बन्ध इसी तरह चलेंगे , दोनों और से गोलाबारी,भी ऐसे ही चलेगी , पाकिस्तान में सेना व कट्टरवादियों का प्रभाव व दवाव कम हो नहीं सकता , वहां की जनता की चुनी गयी सरकार केवल नाम मात्र की है , इसलिए उसके वश में कुछ नहीं है , जनता में शक्ति नहीं कि वह सरकार पर सेना पर या कटटरवादियों पर कोई नियंत्रण रख सके , इसलिए इसे तो भारत को सदैव झेलना ही पड़ेगा

  2. आज टीवी चैनल पर बहस के दौरान रा.स्व.स. के प्रवक्ता राकेश सिन्हा जी ने कहा की पाकिस्तान इस समय ISIS की गिरफ्त में है! रॉ के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान कि सरकार का मौजूदा व्यव्हार हाफिज सईद के दबाव के कारण है!मेरे विचार में ISIS मध्यपूर्व में सऊदी अरब, और अमेरिका के बढ़ते दबाव के चलते अपनी गतिविधियों को पाकिस्तान में शिफ्ट कर सकता है!ऐसे में भारत के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा हो जाएगी! अतः जितनी जल्दी हो सके अपने इस उद्दंड पडोसी देश में अधिक बड़ा खतरा पैदा होने/बढ़ने से पूर्व ही प्री-एम्पटिव कार्यवाही करके ऐसी सम्भावना को रोकने का कदम उठायें!अगर इसमें वक्त गंवाया तो हो सकता है कि बहुत देरी हो जाये या फिर कुछ करने का अवसर ही न मिल पाये!
    हो सकता है कि ऐसा कदम उठाने में भारत में वोट बैंक की लालची अराष्ट्रीय लॉबी विरोध करेगी! ऐसे विरोधियों को देशहित में तिहाड़ में सुरक्षित रखा जाये!एक बात स्पस्ट तौर पर समझ लेनी चाहिए.भारत में पिछले वर्ष जो बैलट क्रांति हुई है उसको भारत विरोधी अनेकों ताकतें केवल नापसंद ही नहीं करतीं बल्कि उसको किसी भी कीमत पर, हाँ मैं दोहराना चाहूंगा की किसी भी कीमत पर, उलटने को बेताब हैं!

  3. लेख का शीर्षक देख कर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को खत्म किये बिना सीमा पर आयेदिन पैदा होने वाली समस्याएं खत्म नहीं हो सकती
    तो फिर देर किस बात की है मोदीभक्त तो दावा करते थे कि वे शपथ लेते ही पाक के दिमाग ठिकाने लगा देंगे
    तो मोदी सरकार पाकिस्तान को जड़ से खत्म क्यों कर देती ????

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