विश्ववार्ता

पाकिस्तान को सबक सिखाना पड़ेगा

-डॉ. सी पी राय

ऐसे नाजुक मौके पर जब भारत राष्ट्रमंडल खेल पूरी शान से कराने के संकल्प को सच साबित करने में जुटा हुआ है और यह आयोजन देश की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है, दिल्ली में विदेशी पर्यटकों पर गोली चलाकर देश विरोधी ताकतों ने फिर से हमारी ताकत को, साहस को और सहन शक्ति को चुनौती दी है। लगता है कि वे भारत को कड़े कदम उठाने के लिए ललकार रहे हैं| ये सारी वारदातें कहाँ से संचालित होती है, कहाँ षड़यंत्र रचे जाते हैं और इन बदमाशों को कहाँ से हथियार मिलते हैं, यह सबको पता है| चंद सिक्कों के बदले मरने और मारने के लिए ये लड़ाके कौन भेजता है, यह भी किसी से छिपा नहीं है| भारत को अस्थिर बनाने की सारी योजनायें पाकिस्तान में बनती हैं और वही हमारी विश्व में बढ़ती प्रतिष्ठा से घबरा कर साजिशें रचता रहता है|

अमरीका भी इन मामलों में उसी से दोस्ती निभाता है| वह एक तरफ आतंकवाद से लड़ने की बात करता है और इसी छद्म संकल्प की आड़ में कभी इराक तों कभी अफगानिस्तान में फ़ौज उतार देता है पर दूसरी तरफ आतंकवाद की फसल उगाने और उसके लिए खाद पानी का इंतजाम करने के लिए आतंकवाद के जनक पाकिस्तान को अरबों डालर की हर साल मदद भी देता है। अमरीका कि यह दोगली नीति उसे भी खोखला कर रही है| वह भी एक बड़ा आतंकवादी हमला झेल चुका है, जिसमें उसका गर्व-स्तम्भ भरभरा कर ढह गया और उसकी सुरक्षा की सारी व्यवस्थाएं धरी की धरी रह गयी।आतंकवादियों ने उसी का जहाज इस्तेमाल किया और उसका गरूर भी तोड़ दिया, उसकी सत्ता को प्रबल चुनौती दे डाली| खुद अमरीकी रपट बताती है कि उस वक्त किस तरह सारे हुक्मरान जमीन के नीचे बनी खंदको में छुप गए थे।पर उसे अभी भी ठीक से होश नहीं आया है| आतंकवाद पर उसका दोहरा रवैया आखिर यही तो कहता है|

जहां तक भारत के मुकाबले पाकिस्तान का प्रश्न है, वह हर बार हर युद्ध में मुंह की खा चुका है| यह सच पाकिस्तान भी जानता है और अमरीका भी अच्छी तरह जानता है| अमरीका की चिंता सिर्फ यही है की भारत बड़ी शक्ति न बन जाये, उसके सामने खड़ा न हो जाये| साथ ही साथ अमरीकी व्यापारियों का हथियार भी बिकता रहे| इसके लिए वह जरूरी समझता है कि भारत को उलझाये रखो। पड़ोसियों को लड़ाते रहो, .ठीक वैसे ही जैसे आजादी के पहले हिन्दू मुसलमानों को अंग्रेज लड़ाया करते थे| पाकिस्तान के हालात इतने ख़राब है कि वह अमरीका कि भीख पर जीने को मजबूर है ,वरना वहां भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। कभी अपनी अकर्मण्यता के कारण, कभी कट्टर कठमुल्लाओ के दबाव में होने के कारण और ज्यादातर फ़ौज का शासन होने के कारण वहां विकास की बात ही नहीं होती, जनता भी अपना दबाव नहीं बना पाती। पाकिस्तान अमरीका से मिली खैरात का इस्तेमाल केवल भारत के खिलाफ करता है ,यहाँ की तरक्की के खिलाफ करता है, विकास के खिलाफ करता है क्योकि उसका तों विकास से कुछ लेना देना नहीं है, पर वह भारत को भी आगे बढ़ते नहीं देखना चाहता।

पाकिस्तान में तो फ़ौज के बूटो के नीचे लोकतंत्र कुचला जा चुका है और फ़ौज को ताकतवर रहना है तों भारत का हौवा दिखा कर छद्म युद्ध छेड़े ही रखना होगा। वहां के राजनीतिको को भी कुछ काम करने के बजाय यही विकल्प ठीक लगता है कि इस कायराना युद्ध से फायदे ही फायदे है। बिना कुछ किये फ़ौज के साये में सत्ता का लुत्फ़ भी उठाते है और इसके खर्चो का कोई हिसाब किताब नहीं देना होता है। इसी कारण वहा के सारे नेता विदेशी बैंकों में भारी दौलत और संपत्ति जमा कर रखते है| पता नही कब फ़ौज भगा दे और देश छोड़ कर कही और शरण लेनी पड़े। कई साल पहले पाकिस्तान के एक बड़े अधिकारी से मिलने का मौका मिला। वे आजादी के बाद अलीगढ से पढ़ कर वहां गए थे। देश के एक विभाग के सबसे बड़े पद पर थे। उन्होंने कहा कि मै भारत में होता तों क्या होता ? पाकिस्तान में तो हम सभी भाइयो की अलग अलग कई एकड़ में कोठियां है ,कई एकड़ का चिलगोजे का फार्म है और बाहर भी बहुत कुछ है, क्या उतना यहाँ होता ? वे रिटायर होने के बाद सब बेंच कर उसी पश्चिमी देश चले गए, जहां अपनी सम्पति होने का उन्होंने जिक्र किया था। उस वक्त जिया राष्ट्रपति थे तथा जुनेजो प्रधान मंत्री थे। कट्टर इस्लाम कानून लागू था। उनके बच्चे की शादी हुई| हमारे एक साथी गए थे, लौट कर उन्होंने जो फोटो दिखाए तथा जो वर्णन किया, वह पाकिस्तान का असली चेहरा जानने के लिए काफी था।

वहां आम लोगों के शराब पीने पर पाबन्दी है लेकिन शादी के मौके पर देश के दोनों बड़ो कि मौजूदगी में दुनिया की सबसे महंगी शराब बह रही थी। शादी ख़त्म होने के बाद उस अधिकारी ने मेरे मित्र को पाकिस्तान घुमाने कि व्यवस्था की और उनके विभाग के बड़े अधिकारी उसकी सेवा में लगे। रोज दिन में दो से चार बार तक वह सब परोसा गया जो इस्लाम में हराम है तथा आम आदमी को जिसके लिए कड़ी सजा दी जाती है| मेरे यह कहने का मकसद यह है की भारत में रहने वाले जिन लोगो को पाकिस्तान में ज्यादा सुख तथा अच्छाइयां दिखती हो, वे यह भी जान ले कि वहा के सबसे बड़े लोग क्या क्या करते है । जहां भारत के खिलाफ केवल कायराना युद्ध लड़ कर इतना सब हासिल हो और जनता कोई सवाल नहीं करती हो ,आतंकवाद वहा का सबसे बड़ा रोजगार बन गया है तों क्या बड़ी बात है।

जब दुनिया यह सब जानती है, अमरीका सहित दुनिया के सभी देश यह सब जानते हैं और भारत सरकार भी यह सब जानती है तों फिर यह सहा क्यों जा रहा है? अमरीका, इंग्लॅण्ड सहित वे सभी देश जो सामूहिक रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात करते है, उन्होंने चुप्पी क्यों ओढ़ रखी है। सिर्फ इसलिए कि उनके लिए आतकवाद नहीं ,मानवता नहीं बल्कि उनके हित और उनका व्यापार ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन भारत क्यों सह रहा है ? क्या भारत कमजोर हो गया है ? क्या भारत किसी दबाव में है ? क्या भारत में इच्छाशक्ति कि कमी हो गयी है या भारत के वर्तमान नेता कमजोर साबित हो रहे हैं। क्या यहाँ अब कोई इंदिरा गाँधी जैसा नही है, लाल बहादुर शास्त्री जैसा नही है। या मन का विश्वास और खून की गरमी कमजोर पड़ गयी है। 1971 में एक सबक दिया तों अगले २० साल से अधिक तक या कारगिल तक देश काफी चैन से रहा।

सवाल है कि युद्ध में हथियार खर्च होता है ,वह हो रहा है ,पैसा खर्च होता है ,वह और ज्यादा हो रहा है , लोग प्राण गवांते है ,वह भी युद्ध के मुकाबले ज्यादा लोग मर रहे है। युद्ध में तो सिपाही लड़ कर कुछ लोगो को मार कर मरता है और जनता पूरी तरह सुरक्षित रहती है। पर इस युद्ध में तों सिपाही बिना लड़े ही मर रहा है और जनता भी मारी जा रही है ,बेगुनाह जनता । जब सब कुछ युद्ध से ज्यादा हो रहा है और इन परिस्थितियों से विकास भी प्रभावित होता है और जीवन भी प्रभावित हो रहा है तों फिर एक बार अंतिम लड़ाई क्यों नही। समझाने की कोशिश बहुत हो चुकी ,वार्ताएं बहुत हो चुकी ,बस और ट्रेन चल चुकी ,भारत पाक एकता की बाते हो चुकी ,विभिन्न वर्गों का आदान प्रदान हो चुका लेकिन कुत्ते कि पूंछ इतने वर्षो बाद भी टेढ़ी की टेढ़ी है तों अब रास्ता क्या है ? सरकार को बताना तों पड़ेगा कि सब्र का पैमाना कब भरा हुआ माना जायेगा और सरकार कब फैसला लेगी। सौ करोड़ से बड़ा यह देश जवाब का इंतजार कर रहा है। सरकार हार जाये पर भारत कि जनता बहुत बहादुर है। यह चिकोटी अब बहुत बुरी लगने लगी है। क्या भारत सरकार का थप्पड़ अब चलेगा ? नहीं तो कब चलेगा ? जनता अब अंतिम इलाज चाहती है। जनता कह रही है, रे रोक युधिष्ठिर को ना अब ,लौटा दे अर्जुन वीर हमें।

( डॉ. सी पी राय आगरा विश्वविद्यालय में शिक्षक और राजनीतिक ऐक्टिविस्ट हैं, उनसे फोन नम्बर 09412254400 पर सम्पर्क किया जा सकता है)