संदीप सृजन
पहलगाम हमले के बाद भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान की तरफ पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। पहलगाम आतंकी हमले ने भारत को आक्रामक जवाबी कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ पाया गया, जिसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया । इस टकराव में भारत की निर्णायक जीत और पाकिस्तान की शर्मनाक हार ने न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित किया, बल्कि एक नाजुक युद्धविराम के माध्यम से दोनों देशों को शांति की ओर ले जाने का प्रयास भी किया।
इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों, विशेष रूप से स्कर्दू, जकोबाबाद, सरगोधा और भुलारी जैसे हवाई अड्डों पर लक्षित हमले किए। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के हवाई रक्षा तंत्र और रडार सिस्टम को नष्ट कर दिया जिससे पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचा। इसके साथ ही, भारत ने अपनी S-400 वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग करके पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया। इस कार्रवाई ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि पाकिस्तान की रणनीतिक कमजोरियों को भी उजागर किया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य रणनीति का एक उत्कृष्ट उदाहरण था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने न केवल पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया बल्कि उनकी वायु रक्षा प्रणाली को भी ध्वस्त कर दिया। भारत ने लाहौर, सियालकोट, फैसलाबाद और मुल्तान जैसे शहरों में पाकिस्तान के रक्षा तंत्र को नष्ट किया, जिससे उनकी जवाबी कार्रवाई की क्षमता लगभग समाप्त हो गई। रहीम यार खान में हवाई अड्डे का रनवे भी भारतीय मिसाइल हमलों से क्षतिग्रस्त हो गया जिसने पाकिस्तान की वायुसेना को और कमजोर कर दिया।
भारत ने अपनी ब्रह्मोस मिसाइलों और अन्य उन्नत हथियारों का उपयोग करके सटीक हमले किए। इन हमलों ने पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जबकि नागरिक क्षेत्रों को न्यूनतम क्षति हुई। पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में भारत की S-400 प्रणाली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत किया और पाकिस्तान के हमलों को विफल कर दिया। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और आतंकी लॉन्च पैड्स की सटीक जानकारी प्रदान की, जिसके आधार पर भारत ने अपने हमलों को अंजाम दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए प्रभावी कूटनीति का सहारा लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मध्यस्थता में युद्धविराम की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें भारत की स्थिति मजबूत रही। भारतीय सेना की बहादुरी और रणनीतिक कौशल ने न केवल पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया, बल्कि भारत की क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थिति को और मजबूत किया।
पाकिस्तान की इस हार ने उसकी सैन्य और रणनीतिक कमजोरियों को पूरी दुनिया के सामने ला दिया। पाकिस्तान के हवाई रक्षा तंत्र और रडार सिस्टम भारतीय हमलों के सामने पूरी तरह विफल रहे। कई सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान ने अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के बजाय आतंकवादी संगठनों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, जिसका खामियाजा उसे इस युद्ध में भुगतना पड़ा। पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। इस युद्ध ने उसकी अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर दिया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने भोजन और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगी।
पाकिस्तान ने इस संघर्ष के दौरान कई भ्रामक वीडियो और सूचनाएं फैलाईं जिनका उद्देश्य भारतीय जनता को गुमराह करना था। हालांकि, ये प्रयास असफल रहे और उल्टे पाकिस्तान की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा। पाकिस्तान के सांसदों और पत्रकारों के बीच इस हार को लेकर गहरा असंतोष देखा गया। कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि पाकिस्तानी नेता और पत्रकार लाइव टीवी पर रो रहे थे, जो उनकी हताशा को दर्शाता है। पाकिस्तान की सेना ने बाद में स्वीकार किया कि उनके एक विमान को मामूली नुकसान हुआ था, और उन्होंने भारतीय पायलट को हिरासत में लेने की खबरों का खंडन किया। यह उनकी हार को स्वीकार करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका था। इन कारकों ने मिलकर भारत को इस संघर्ष में एक स्पष्ट विजेता बनाया।
10 मई 2025 को शाम 5 बजे से लागू हुए युद्धविराम ने इस तनावपूर्ण स्थिति को कुछ हद तक शांत किया हालांकि पाकिस्तान ने रात में गोलीबारी करके इस युद्धविराम का उल्लंघन किया, जिसके जवाब में भारत ने सख्त चेतावनी दी कि ऐसी हरकतों को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। इसके बाद, अमेरिकी मध्यस्थता के तहत दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच बातचीत हुई, जिसके परिणामस्वरूप 11 मई की सुबह सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति सामान्य होने लगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस युद्धविराम की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने बुद्धिमानी दिखाई हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बना रहा। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, सांबा, पुंछ, जम्मू, अखनूर और राजौरी जैसे क्षेत्रों में युद्धविराम के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है।
इस संघर्ष का प्रभाव केवल सैन्य और राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा। भारत में इस जीत ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ाया। बॉलीवुड और साउथ के सितारों जैसे जेनेलिया डी सूजा, अक्किनेनी नागार्जुन और समय रैना ने सोशल मीडिया पर भारतीय सेना की बहादुरी की सराहना की। X पर कई यूजर्स ने इस जीत को भारत की ताकत और पाकिस्तान की शर्मनाक हार के रूप में प्रचारित किया। दूसरी ओर, पाकिस्तान में इस हार ने आंतरिक असंतोष को बढ़ाया। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने पाकिस्तानी नेतृत्व और सेना की आलोचना की, जबकि कुछ ने भारत की सैन्य शक्ति को स्वीकार किया। इस हार ने पाकिस्तान की जनता में निराशा और हताशा की भावना को जन्म दिया, जो उनकी आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को और गहरा सकती है।
इस संघर्ष और युद्धविराम के दीर्घकालिक प्रभाव कई स्तरों पर देखे जा सकते हैं जैसे भारत की इस जीत ने दक्षिण एशिया में उसकी स्थिति को और मजबूत किया है। पाकिस्तान की सैन्य कमजोरी उजागर होने से उसकी क्षेत्रीय प्रभावशीलता कम हुई है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाएगा। यह नीति भविष्य में पाकिस्तान को और दबाव में डाल सकती है। इस हार ने पाकिस्तान के आंतरिक संकट को और गहरा दिया है। यदि पाकिस्तान अपनी सैन्य और आर्थिक नीतियों में सुधार नहीं करता, तो उसकी स्थिरता और खतरे में पड़ सकती है।.इस युद्धविराम में अमेरिका की मध्यस्थता ने वैश्विक शक्तियों की भूमिका को रेखांकित किया। भविष्य में, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और महत्वपूर्ण हो सकती है।
पहलगाम हमले के बाद हुआ भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव एक ऐतिहासिक घटना है, जिसने भारत की सैन्य और रणनीतिक श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से भारत ने न केवल पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि उसकी रणनीतिक कमजोरियों को भी उजागर किया। पाकिस्तान की शर्मनाक हार ने उसके आंतरिक और बाहरी संकटों को और गहरा दिया जबकि भारत की जीत ने राष्ट्रीय गौरव और आत्मविश्वास को बढ़ाया।
संदीप सृजन