लोग भूल गये कि सांसद भी होता हैं क्या रामटेक गोटेगांव रेल लाइन के लिये होंगें सर्वदलीय प्रयास?

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प्रदेश परिसीमन आयोग के सह सदस्य भाजपा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते और इंका विधायक ठाकुर हरवंश सिंह की सांठ गांठ से विलुप्त मंड़ला लोकसभा और केवलारी विधानसभा क्षेत्र तो बच गये थे लेकिन आयोग द्वारा प्रस्तावित सिवनी लोकसभा और घंसौर विस क्षेत्र विलुप्त हो गये थे। नये परिसीमन के बाद जिले के सिवनी और बरघाट विस क्षेत्र बालाघाट लोस में तथा केवलारी और लखनादौन विस क्षेत्र मंड़ला लोस में शामिल कर दिये गये थे। लोस चुनाव के दौरान दोनों ही लोस क्षेत्रों के प्रत्याशियो ने सिवनी जिले के लिये बड़ी बड़ी बातें तो कहीं थीं लेकिन अब उन पर अमल नहीं हो रहा हैं। बालाघाट से भाजपा के के.डी.देखमुख और इंका के बसोरी सिंह मसराम चुनाव जीत गये हें लेकिन दोनो ही सांसद कहने को तो कभसी कभार जिले में आयें हें लेकिन उनका संपर्क मात्र कुछ इंकाइयों और भाजपाइयों तक ही सीमित रह गया हैं। जिले का आम मतदाता अब यह भूलने लगा है कि जिले में सांसद नाम की भी कोई चीज होती है। संसद में जिले का नाम ही समाप्त हो जाने से केन्द्रीय स्तर की कई योजनाओं से जिले को महरूम रहना पड़ रहा हैं। सबसे बड़ खामियाजा तो बड़ी रेल लाइन को लेकर हो रहा हैं। पिछले रेल बजट में छिंदवाड़ा नैनपुर बड़ी रेल की घोषणा तो की गयी थी जिसका श्रेय दोनों ही सांसदों ने लिया था लेकिन वित्तीय वर्ष समाप्त होने को आ रहा है अब तक इस लाइन पर एक तसला गिट्टी तक नहीं डली हैं और दोनों ही सांसद ऐसे चुप्पी साधे हुये हें मानो उनका इससे कोई लेना देना ही नहीं हैं। संसद में की गयी घोषणा के अमल पर ही जब सांसदों का यह रुख हैं तो फिर देश के पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा आम सभा में की गयी रामटेक गोटेगांव बड़ी रेल लाइन के संबंध में क्या उम्मीद की जाये? यहां यह उल्लेखनीय है कि इस नयी रेल लाइन के लिये जिले में पिछले तीन साल से लगातार कई प्रयास किये गये लेकिन राजनेताओं और दोनों ही पार्टियों के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते कोई कामयाबी नहीं मिल पायी हैं। औपचारिकता निबाहने के लिये तो कभी कोई दिल्ली प्रतिनिधिमंड़ल ले गया तो कभी कोई रेल मंत्री से मिल लिया लेकिन वैसा जन दवाब और राजनैतिक दवाब कभी नहीं बनाया गया जो ऐसे कामों के लिये आवयक होता हैं। जिले के विकास के लिये यह रेल लाइन जीवन रेखा का काम करने वाली सिद्ध होगी। क्या इस बार ऐसी अपेक्षा की जा सकती हैं कि इस नयी रेल परियोजना के लिये ऐसे सर्वदलीय प्रयास किये जायें कि आगामी रेल बजट में इस परियोजना के लिये बजट आवंटन हो सके?वरना यह योजना एक घोषणा बनकर ही रह जायेगी।

आशुतोष वर्मा,सिवनी

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