राजनीति

जारी है चुनावी आचार संहिता उल्लंघन का दौर…

electioncommission3मशहूर उपन्यासकार जार्ज बर्नाड शॉ ने ठीक ही कहा था “चुनाव एक नैतिक सदमा है, इससे जुड़े हर किसी के लिए कीचड़ में सनना लाज़िमी है।” आज यही स्थिति हमारे आंखों के सामने मौजूद है, क्योंकि भारत में इन दिनों लोकसभा चुनावों का मौसम है। सारे नेता एक-दूसरे को बड़े प्यार से कीचड़ से नहला रहे हैं। एक दूसरे नेताओं के वक्तव्यों पर राजनीति हो रही है, मुद्दे उछाले जा रहे हैं, उपलब्धियाँ गिनाई जा रही हैं, वोट मांगे जा रहे हैं। और इन सब के बीच जारी है चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन का दौर…

सच पूछे तो आचार संहिता का उल्लंघन सारे राजनीतिक दलों के लिए एक मज़ाक बन कर रह गया है। आयोग भी असहाय है। और वैसे भी नियम कानून बनते ही हैं तोड़ने के लिए…

हालांकि पिछले दस वर्षों में भारत में चुनाव लड़ने के तौर-तरीक़ों में काफ़ी अंतर नज़र आ रहा है, चुनाव आयोग उम्मीदवारों और पार्टियों के ख़र्च पर कड़ी नज़र रख रहा है। चुनाव आचार संहिता को भी सख़्ती से लागू कराने की कोशिश की जा रही है, पर निर्वाचन आयोग इस कार्य में बहुत ज़्यादा कामयाब नहीं है।

हर दिन कहीं न कहीं आचार संहिता उल्लंघन के मामले सामने आ रहे हैं। इस वर्ष देश में आचार संहिता उल्लंघन के कितने मामले दर्ज हुए हैं, इसका सही आंकड़ा तो नहीं बताया जा सकता है। पर वर्ष 2004 के 14 वीं लोक-सभा चुनाव में निर्वाचन आयोग में आचार संहिता उल्लंघन के कितने मामले दर्ज हुए..? साथ ही आयोग ने इन मामलों में क्या कार्रवाई किया है, यह जानना भी दिलचस्प होगा। बहरहाल, इसका आंकड़ा हमारे सामने है। यह आंकड़े सूचना के अधिकार कानून द्वारा प्राप्त हुए हैं। 

क्र.सं.

राजनीति दल जिनके खिलाफ शिकायतें दर्ज हुईं।

शिकायतों की संख्या

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की गई कार्रवाई

1.

तेलगू देसम पार्टी

    4

तीन शिकायतें उचित कार्रवाई हेतु आंध्र-प्रदेश के सी.ई.ओ. को भेजी गई। एक शिकायत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि यह चुनाव बाद दर्ज हुआ था।

2.

इंडियन नेशनल कांग्रेस

   7

दो शिकायतें पंजाब व हिमाचल प्रदेश के सी.ई.ओ. को भेजी गई। रिपोर्ट में इसे बेबुनियाद पाया गया।

दो शिकायतें उचित कार्रवाई हेतु असम के सी.ई.ओ. को भेजी गई।

दो शिकायतें चुनाव बाद दर्ज हुए, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

और एक शिकायत में कार्रवाई करना ज़रुरी नहीं था।     

 

3.

कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (Marxist-Leninist)

     1

इस शिकायत को उचित कार्रवाई हेतु असम के सी.ई.ओ. को भेजा गया था।

 

4.

भारतीय जनता पार्टी

    6

एक शिकायत को उचित कार्रवाई हेतु असम के सी.ई.ओ. को भेजा गया था।

दो मामलों में सी.ई.ओ. से रिपोर्ट मंगवाकर उसकी जांच की गई, जांच करने के बाद कार्रवाई करने की कोई ज़रुरत महसूस नहीं हुई।

एक शिकायत, भाजपा द्वारा बनाए गए विज्ञापन से संबंधित था, इसमें यह पाया गया कि यह किसी एक व्यक्ति या दल के लिए नहीं था, इसमें सिर्फ सरकार की निंदा की गई थी, इसलिए आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

दो शिकायतों को उचित कार्रवाई हेतु उत्तर-प्रदेश के सी.ई.ओ. को भेजा गया था।

 

5.

डी.एम.के.(Dravida Munnetra Kazagam)

    1

जो शिकायत दर्ज हुई, उसे डी.एम.के.पार्टी को उनकी राय जानने के लिए भेजा गया, लेकिन पार्टी ने इस इलज़ाम को बिल्कुल ही नकार दिया। पार्टी द्वारा मिले जवाब को शिकायतकर्ता के पास भी भेजा गया। साथ ही शिकायतकर्ता को सबूत पेश करने के लिए कहा गया, पर शिकायतकर्ता ने कोई सबूत पेश नहीं किए।

6.

ए.आई.ए.डी.एम.के.

(All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam)

 

 

       2

एक शिकायत जो दर्ज हुई, उसे ए.आई.ए.डी.एम.के.पार्टी को उनकी राय जानने के लिए भेजा गया,पार्टी ने जवाब में बताया कि आयोग तभी कार्रवाई कर सकती है, जब एम.सी.सी. का उल्लंघन हो। और शिकायत में कहीं भी ये नहीं दर्शाया गया है कि एम.सी.सी का उल्लंघन हुआ है। ऐसे में मुद्दे को बंद करना ही सबसे बेहतर था

एक शिकायत जो दर्ज हुई, उसे पार्टी को उनकी राय जानने के लिए भेजा गया, लेकिन पार्टी ने इस इलज़ाम को भी नकार दिया। लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं था, इसलिए आयोग ने श्री एस.एस.चंद्रन पर एस.सी.सी. के उल्लंघन के जुर्म में पाबंदी लगा दी।

7.

समाजवादी पार्टी

   1

आयोग ने इस मामले की जांच की, और पुन: मतदान कराए गए।

8.

बहुजन समाज पार्टी

   1

इस शिकायत को रिपोर्ट हेतु उत्तर-प्रदेश के सी.ई.ओ. को भेजा गया था।

 

 

-अफरोज आलम साहिल

 

(लेखक युवा पत्रकार हैं)