टिक टिक चलती तेज घड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है |
साफ और सुथरी सड़कें हैं
गलियों में भी नहीं गंदगी
यातायात व्यवस्थित नियमित
नदियों जैसी बहे जिंदगी
लोग यहां के निर्मल कोमल
नहीं लड़ाई झगड़े होते
हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में मिलजुलकर रहते
रातें होती ठंडी ठंडी
दिन में होती धूप कड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है|
वैसे तो नगरी छोटी है
लगता जैसे महानगर हो
कार मोटरें चलती इतनी
जैसे कोई बड़ा शहर हो
यहां मंत्रियों नेताओं ने
काया कल्प किया मनभावन
बिजली के रंगीन नज़ारे
शहर हो गया लोक लुभावन
भोर भोर सोने की रंगत
चांदी जैसी शाम जड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है|
घने घने पर्वत जंगल हैं
धवल नवल नदियों की धारा
दिख जाता पातालकोट सा
दिव्य मनोहर भव्य नज़ारा
बैगा और गोंड़ दिख जाते
अपने कंधे गठरी लादे
कितने भोले कितने निर्मल
निष्कलंक हैं सीधे साधे
ईश्वर के पथ पर जाने को
निर्मल मन ही प्रथम कड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है|
पर सेवा का भाव यहां के
जनमानस में भरा पड़ा है
भले साधना साधन कम हों
लोगों का दिल बहुत बड़ा है
नहीं धर्म आपस में लड़ते
जात पांत में नहीं लड़ाई
हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई
गाते मिलकर गीत बधाई
दीवाली से गले मिलन को
ईद राह में मिली खड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है |
यहां प्रगति का पहिया हरदम
काल समय से आगे चलता
जिसको जो भी यथा योग्य हो
अपनी महनत फल से मिलता
सब्जी गेहूं गन्ना सोया
यहां कृषक भरपूर उगाते
दूर दूर तक जातीं जिन्सें
धन दौलत सब खूब कमाते
खनिज संपदा और वन उपज
बहुतायत से भरी पड़ी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है|
नये नये निर्माण हो रहे
बसी नईं आवास बस्तियां
बड़े बड़े दिग्गज आते हैं
आती रहतीं बड़ी हस्तियां
राष्ट्र पथों का संगम होगा
रेलों का एक बड़ा जंक्शन
अलग और बेजोड़ दिखेगा
साफ स्वच्छ माँडल स्टेशन
यत्र तत्र सर्वत्र यहां पर
नव विकास की झड़ी लगी है
छिंदवाड़ा की बात बड़ी है|