कविता

कविता : चलो अरुंधती राय बन जाएँ

-शिखा वार्ष्‍णेय

भूखे नंगों का देश है भारत, खोखली महाशक्ति है , कश्मीर से अलग हो जाना चाहिए उसे .और भी ना जाने क्या क्या विष वमन…पर क्या ये विष वमन अपने ही नागरिक द्वारा भारत के अलावा कोई और देश बर्दाश्त करता ? क्या भारत जैसे लोकतंत्र को गाली देने वाले कहीं भी किसी भी और लोकतंत्र में रहकर उसी को गालियाँ दे पाते?.वाह क्या खूब उपयोग किया जा रहा है अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों का……

हाँ हम काबिल हैं कितने

कुछ इस तरह दिखायें

उसी लोकतंत्र का ले सहारा

गाली उसी को दिए जायें

ले औजार भूखे नंगों का

अंग-अंग देश के चलो काटें

बैठ आलीशान कमरों में

सुलगता मुद्दा कोई उठाएं

अपनी ही व्यवस्था को कर नंगा

पुरस्कार कई फिर पा जायें

हो क्यों ना जाये टुकड़े देश के

अपनी झोली तो हम भर पाएं

उठा सोने की कलम हाथ में

चलो हम अरुंधती राय बन जायें