कविता ; हट धर्मिता – लक्ष्मी दत्त शर्मा

हट धर्मिता,

दब्बूपन व कायरता

अहिंसा व सत्य

सभी शस्त्र हैं

गांधी के

जिससे सुन्दर लगता हैं

गुलाब के फूल की तरह

कांटों में सजा गांधी

गांधी का महात्मा वाला स्वरूप

किसे पता है कि

इसमें छिपी है

पीड़ा, वेदना, सहनशीलता

अहिंसा व सत्य

की गहरी नींव

मां ने की शुरू करवायी थी

गांधी को महात्मा बनने की पहली

पाठशाला

पर मां तो मां है

मां बनने पर ही हो गई थी

गद्गद

बिलायत से पढ़ा

अंग्रेज गांधी बैरिस्टर

गांधी ही था

अग्रेजों की लातों के घाव

दिलपर रखकर अफ्रीका

की अंग्रजी काली हुकूमत

ने गांधी के घाव को

और पकाया

और बनाया महात्मा गांधी

जिसे हम कहते हैं अब

गांधी भारत का गांधी

भारत में पला

बिलायत में पढ़ा

अफ्रीका में कढ़ा

फिर बना गांधी

लेकिन हमारे पास

नत्थुओं की कमी नहीं थी

इसलिए ऐसे गांधी को

लेकिन अब गांधीगिरी की हदें

बस फिल्मों तक ही सीमित दिखाई देती है

गांधी की मूर्ति पर फूल मालाएं ही चढ़ती है

गांधी का असली मूलमंत्र

विदेशों में फल फूल रहा है ।

नल्सन मंडेला,….. कई को तर गया है

लेकिन हमारे देश में अब

गांधी बदनाम होने लगा है।

गांधी राजनीति बन गया है

कहीं गांधी हाथ हो गया है

तो कहीं गांधी फूल बन गया है

गांधी पर राजनीति का साया है

गांधी पर तभी तो हाथी आया है।

कभी गांधी साईकल पर निकल आता है

कभी खेतों खलिहानों की गाता है

गांधी आत्महत्या करने लगा है ।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,719 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress