बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला

एमआईटी स्कूल आफ गर्वमेंट के छात्रों ने किया पत्रकारिता विश्वविद्यालय का भ्रमण

भोपाल 14 अक्टूबर। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो। मीडिया और शासन समाज के दिशावाहकों में से एक हैं। इसलिए इनको अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली में सकारत्मकता रखना बेहद जरुरी है।

वे यहां विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक भ्रमण के अन्तर्गत भोपाल आए पुणे स्थित एमआईटी स्कूल ऑफ गर्वमेंट के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो. कुठियाला ने छात्रों को मीडिया की मूलभूत जानकारी देते हुए कहा कि दोनों संस्थानों का मूल उद्देश्य समान है, जहाँ एमआईटी का उद्देश्य बेहतर शासन प्रणाली के लिए अच्छे राजनेता पैदा करना है, वहीं पत्रकारिता विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल पत्रकार बनाना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को अच्छा संचारक बनाना भी है। ताकि वे समाज के मेलजोल और सदभाव के लिए काम करें। प्रो. कुठियाला ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, उद्देश्य एवं लक्ष्यों के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण में अन्तर पहचानना बेहद जरूरी है। किसी भी वस्तु या सेवा के व्यवसायीकरण में बुराई नहीं है, समस्या तब शुरू होती है जब उसका व्यापारीकरण होने लगता है। वर्तमान मीडिया, इसी स्थिति का शिकार है। संवाद पर आधारित इस क्षेत्र का इतना व्यापारीकरण कर दिया गया है कि सूचना अब भ्रमित करने लगी है, उकसाने लगी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया की जिम्मेदारी केवल मीडिया के लोगों पर छोड़ना ज्यादती होगी, इसलिए जरूरी है कि समाज के अन्य वर्ग भी मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी समझे एवं निभाएं। कार्यक्रम के प्रारंभ में एमआईटी, पुणे के छात्रों ने अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर प्रो. कुठियाला का स्वागत किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी , जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डा. जया सुरजानी, गरिमा पटेल एवं कई शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन एमआईटी संस्थान की शिक्षिका सीमा गुंजाल एवं आभार प्रदर्शन एमआईटी के ओएसडी संकल्प सिंघई ने व्यक्त किया। (डा. पवित्र श्रीवास्तव)

3 COMMENTS

  1. आदरणीय कुठियाला जी ने बहुत अछि बात कही है की का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो।

    किन्तु वास्तिवकता में शासन में सकारात्मकता की बात होती है ही नहीं. लगभग सभी जगह शासन तंत्र में वोही कहा जाता है, लिखा जाता है और लिखवाया जाता है जो की उच्च स्तरीय अधिकारियो को पसंद होता है. अगर उच्च अधिकारी कहता है की किसी जानवर की छः टाँगे है तो मातहत कहेंगे की टाँगे सात हो सकती है किन्तु पांच नहीं होंगी.

  2. क्षेत्रसे अनभिज्ञ होते हुए भी, मुझे यह मौलिक बिंदु, कि, “सकारात्मक संचार की तीव्र ज़रूरत” बहुत बहुत समयोचित एवं आवश्यक प्रतीत हुआ। वास्तवमें हर चर्चा, हर बहस, हर वाद विवाद (संवाद पढिए), शासन, समाचार प्रस्तुति—– इत्यादि सत्य शोधन की दृष्टि और सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत हो।(दीनदयाल जी यही, मानते थे।)
    समस्या सुलझानेकी दृष्टिसे संवाद (वाद विवाद नहीं) हो। बहुतेरे वाद विवाद हार-जीत की भावना से किए जाते हैं। सामने वाले का सम्मान करते हुए, जब अपना पक्ष हम रखते हैं, तो वैमनस्य होनेकी संभावना कम हो जाती है।
    किंचित विषयसे हटकर टिप्पणी की है, पर सकारात्मकता के अभाव से, और वैमनस्यता के प्रभाव से माध्यम इतने ग्रस्त है, कि हरेक स्थान, हरेक विषय, हरेक समाचार आज केवल द्वंद्वसे प्रेरित है। वास्तवमें कुठियाला जी का यह केंद्रीय विचार हर क्षेत्रमें लागु होता है। हर कोई को शासक, पाठक, समाचार, संवाद, संस्थाएं, इसीसे प्रेरित होने चाहिए। २१ वी शती भारतके उदयकी राह, विश्वके
    सह-अस्तित्ववादी(जो और कहीं नहीं दिखता।) विचारके कारण ही देख रही है। दीर्घ और कुछ विषयातीत टिप्पणी का दोष स्वीकार है, पर आवश्यक।

  3. बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला (डा. पवित्र श्रीवास्तव)

    मीडिया सेवा अब व्यापारीकरण का शिकार है. सूचना अब भ्रमित करने लगी है. इसलिए समाज के अन्य वर्ग मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी निभाएं.

    डा. पवित्र श्रीवास्तव, कृपया मार्ग दर्शन करें कि:

    प्रो. कुठियाला की नज़र में यह जिम्मेदारी कैसे निभाएं और साधन कहाँ से लायें ?

    – अनिल सहगल –

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