कविता

प्रवक्ता ने मुझे जो आज दिया

प्रवक्ता ने मुझे जो,

आज दिया है सम्मान,

क्यो न हो गर्व मुझे,

ये क्षण तो है महान।

प्रवक्ता नहीं,

किसी विचारधारा की ग़ुलाम।

यहाँ मिलता है,

हर विचार और तर्क को स्थान।

व्याकरण सम्मत भाषा हो,

वर्तनी पर हो ध्यान,

विषय शैली कोई भी हो,

बस कथ्य मे हो जान।

सभी विषय और विधाओं के लिये,

यहाँ है विधान।

हर विधा हर विषय मिलेगा यहाँ ,

जिसमे हो आपका रुझान।

कहानी,लेख, व्यंग्य, कविताये हैं,

इसमे महान।

हर रचना सुरक्षित है ,

जब तक प्रवक्ता मे है जान।

जाने माने रचनाकार हों

या हों होनहार नौजवान,

सभी लेखक और कवि है,

प्रवक्ता पत्रिका की हैं शान।