प्रधान मंत्री की एक ओर अग्नि परीक्षा – मोदी कमेटी पर अमल कैसे हो?

चौतरफा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी यु पी ऐ सरकार को कहीं ठौर नहीं है. निरंतर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और विपक्षी हंगामों के चलते जांच-पड़ताल और ठोस  नतीजों की अपेक्षा सुनिश्चित करने में जुटी सरकार और कांग्रेस के दिग्गज सिपहसालार एक नई चुनौती से रूबरू होने जा रहे हैं.

महंगाई पर काबू पाने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गठित महंगाई- रोधी कमेटी ने द्रढ़ता के साथ निर्णय लिया है कि ’वायदा बाजार’  कारोबार तुरंत बंद किया जाना चाहिए यह एक एतिहासिक और महत्वपूर्ण  दूरगामी प्रगतिशील फैसला है, नाकेवल सत्तापक्ष  अपितु विपक्ष का प्रमुख दल भाजपा भी इस फैसले से यु  निश्चित ही द्विविधा में होगा. जहां तक वाम पंथ का सवाल है इसे तो मानो बिन मांगेमुराद मिली; क्योंकि विगत यु पी ऐ प्रथम के दौर से ही वाम ने  वायदा बाजार को महंगाई का एक बड़ा कारक सावित कर इसे समाप्त करने कि रट लगा राखी थी. तब प्रधानमंत्री जी ने कोई ध्यान नहीं दिया था .किन्तु विगत वित्तीय सत्र २००९-२०१० में   महंगाई से मची त्राहि -त्राहि को जब संयुक विपक्ष ने मुद्दा बनाया तो प्रधान मंत्री जी ने गत अप्रैल-२०१० में महंगाई पर रोक लगाने बाबत महंगाई-वीरोधी कमेटी गठित की. महाराष्ट्र , तमिलनाडु के मुख्यमंत्री सदस्य के रूप में शामिल किये गए और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को अध्यक्ष बनाया गया. विगत वर्षों में भी जब संसद और उसके बाहर सड़कों पर विभिन्न राजनैतिक दलों ने आवाज उठाई तो कोई भी इसी तरह की कमेटी बिठाकर मामले की आंच को धीमा किया गया, योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने भी पहले तो वायदा कारोबार के विरोध में रिपोर्ट वनाई किन्तु दिग्गज खाद्द्यान्न माफिया के प्रभाव ने रिपोर्ट को वायदा बाजार का समर्थन करते हुए दिखाने पर मजबूर कर दिया था. नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने महंगाई जैसे मुद्दे पर सुझाव देने में भले ही ११ महीने लगाए हों किन्तु वायदा बाजार का स्पष्ट विरोध करके अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूर्ण की है. देखना यह है कि अब इस रिपोर्ट को लागू करने में सरकार कितना समय लेती है . वैसे केंद्र सरकार को शायद न तो महंगाई की चिंता है और न घोटालों की.
देश को वैश्वीकरण की राह पर ले जाने वाले हमारे प्रधान मंत्री जी हर जगह विवश और ढीले नजर आ रहे हैं. उनका दर्शन था की कोई और विकल्प नहीं है सिवाय एल पी जी के. यदि विकल्प नहीं थे तो अब मोदी कमेटी के सुझाव पर तो  अमल  करो.
देश में भरी बेरोजगारी बढी है, परिणामस्वरूप चोरियां ,ह्त्या लूट ,डकेती और बलात्कार आम बात हो चुकी है. लोग न घर में सुरक्षित हैं और न बाज़ार में.
अधिकांश   विपक्ष और मुख्यमंत्री इस वायदा बाज़ार को बंद करने के पक्ष में हैं. वायदा कारोबार का मुद्दा सीधेतौर से महंगाई से जुड़ा है. कृषि जिसों में अरबों रूपये के वायदा सौदे हो रहे हैं. इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा में बड़े-बड़े औद्योगिक  घराने भी कूद  पड़े हैं . किसान वर्ग को इससे से रत्तीभर फायदा नहीं है. भृष्ट व्यपारियों ,बड़े अफसरों और सत्ता में बैठे मंत्रियों की इस सबमें हिस्सेदारी है.
आज देश घोटालेबाजों ,सट्टेबाजों के चंगुल में सिसक रहा है. आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. कहा जाता है कि महंगाई तो सर्वव्यापी और सर्वकालिक है. क्या बाकई यह सच है? नहीं..नहीं…नहीं…
विश्व कि महंगाई और भारत कि महंगाई में कोई समानता नहीं. विश्व के कई देशों में खाद्यान्न  कि भारी कमी है,  जबकि भारत में गेहूं-चावल के भण्डार भरे हैं और रखने को गोदाम नहीं, सो खुले में रखा -रखा सड़ रहा है. यदि दयालु न्यायधीश कहते हैं कि गरीबों में बाँट दो तो सरकार मुहं फेर लेती है.क्यों? शक्कर के भण्डार भरे पड़े हैं. कमी थी तो रुई और यार्न को निर्यात प्रोत्साहन क्यों? गरीब दाल-रोटी मांगते है आप उसे मोबाइल और इन्टरनेट का झुनझुना पकड़ा रहे हैं. भारत में महंगाई का मूल कारण मुनाफाखोरी और सरकार की जन-विरोधी नीतियाँ हैं मोदी कमेटी ने यदि वायदा बाजार को बंद करने की सिफारिश  की है तो केंद्र सरकार उस पर अमल क्यों नहीं कर रही? यदि सरकार इस रिपोर्ट को मानने से इनकार करती है तो देश के साथ और खास तौर से देश की निम्न वित्तभोगी जनताके साथ नाइंसाफी तो होगी ही , साथ ही भाजपा के उदारपंथियों पर उग्र-दक्षिणपंथ के नायक नरेंद्र मोदी की बढ़त में भी कोई नहीं रोक सकेगा.

                             श्रीराम तिवारी

 

10 COMMENTS

  1. आदरणीय श्रीराम तिवारी की मोदी कमेटी की रिपोर्ट लागू करने के लिए संयुक्त विपक्ष को भाजपा और संसद के बाहर जोरदार संघर्ष करना चाहिए ताकि आम जनता पर महगाई का कुछ तो बोझ कम हो.

  2. पहली बार मोदी जी के द्वारा कोई अच्छा काम होने जा रहा है तो उसे होने दिए जाय.

  3. श्री नरेंद्र मोदी जी को गुजरात की जनता का जनादेश तीसरी बार भी प्राप्त हुआ है ,एक व्यक्ति की हैसियत से नहीं बल्कि गुजरात समेत सम्पूर्ण भारत की राजनैतिक तस्वीर को ध्यान में रखकर मैं दावे से कह सकता हूँ कि वे कतिपय भ्रष्ट कंग्रेशियों से तो बेहतर ही हैं,वाम पंथ कि राय और संघ परिवार कि राय ये दुनिया में दो अंतिम ध्रुव हैं .हमें व्यक्तिगत विचारों कि आजादी का भी अधिकार है ,जिससे बहुगुणित होते हुए किसी खास किस्म कि विवेचना उपरांत “न्यूनतम साझा कार्यक्रम ‘नामक नवनीत निकलता है और अब यही उपाय है कि यदि देश को भृष्टाचार,महंगाई और बर्बादी से बचाना है तो न केवल मोदी कमेटी किरिपोर्ट लागू करना होगी बल्कि मोदी जी के खंडित व्यक्तित्व पर प्रहार करना भी छोड़ना होगा.

  4. आदरणीय तिवारी जी,

    बात जब भी नरेन्द्र मोदी की आयेगी तब एक “नियोजित प्रोपेगैण्डा” के तहत साम्प्रदायिकता की बात आयेगी ही… दिक्कत यह है कि जब तक वामपंथी और कांग्रेसी, नरेन्द्र मोदी को “स्वीकार्य” नहीं मानते या बनाते, तब तक किसी भी आम सहमति का कोई सवाल ही नहीं उठेगा…

    नरेन्द्र मोदी अब लाखों युवाओं के लिये पूजनीय बन चुके हैं, उन्हें दरकिनार करके या सतत आलोचना करके जिस तरह एक बड़े प्रशंसक वर्ग के साथ “छुआछूत” का खेल हो रहा है, वह कभी भी आम सहमति बनने नहीं देगा…

  5. आज तक की वेबसाइट पर सीधी बात कार्यक्रम उपलब्ध है इसे देखे और बहस को आगे बढ़ाये जिससे कि शायद कोई एकजुटता बन पाए

  6. आज -तक के सीधी बात कार्यक्रम में डॉ. सुब्रमनियम स्वामी का रहस्योद्घाटन सनसनीखेज है . कहीं पर इसका विडिओ मिल नहीं रहा है . न्यूज़ चैनेल भी इस बात को नहीं दिखा रहे है , लगता है कि मीडिया बहुत दबाव में है या फिर मिली हुई है कृपया सभी लोग जिन्होंने यह कार्यक्रम देखा है वो इसे बहस का मुद्दा बनाये .शक का आधार यह है कि आधे घंटे के कार्यक्रम को महज २० minut में ख़त्म कर दिया और फिर चुप्पी साध ली .

    लगता है कि पूरी की पूरी राजनीती भ्रष्टाचार में डूबी है , नेताओं की इस पूरी पीढ़ी को देश को जबाब देना चाहिए कि क्यों वो भ्रष्ट हुए. अब तो आम लोगों को सभी प्रकार के पूर्वाग्रह छोड़कर,एकजुट होना चाहिए और एक पूर्ण पारदर्शी, जबाबदेह लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करना चाहिए वर्ना एक दिन ये लालची लोग लोकतंत्र का गला हमेशा के लिए घोंट देंगे .

  7. प्रस्तुत आलेख को प्रवक्ता .कॉम पर प्रकाशित हुए काफी दिन हो चुके हैं .उसके भी कई दिन बाद सुरेश जी की टिप्पणी आई और उसके तदनंतर मेने सुरेश जी की टिप्पणी का खुलासा भी कर दिया था किन्तु लगता है की किसी तकनीकी खामी के कारण मोडरेट नहीं हो पाया और इसी बीच भोसले जी ने भी बजाय आलेख पर कोई टिप्पणी करने के सिर्फ चिड़ाने बाले अंदाज में उक्त पंक्तियाँ नजरे इनायित कीं हैं.यकीन न हो तो निम्नांकित टिप्पणियों के प्रकाशन की तारीख ११-मार्च पर ध्यान दें.इस पर भी यकीन न हो तो प्रवक्ता .कॉम से कन्फर्म करें.यह सब मशक्कत का अभिप्राय ये है कि मेने तो श्री सुरेश जी के मंतव्य का जबाब तुरंत दे दियाथा अब यदि किसी तकनीकी कारन से भोसले जी को पढने में नहीं आया तो उसके लिए मैं क्या कर सकता हूँ?

  8. चिपलूनकर का कमेन्ट सो सुनार की एक लुहार की होता है, में नहीं समझता श्रीराम तिवारी इसका कोई जवाब दे पायेंगे.

  9. सवाल नरेंद्र मोदी का नहीं ,सवाल साम्प्रदायिकता का भी नहीं ,सवाल है महंगाई नियंत्रण ,इसके लिए गठित कमेटी में महाराष्ट्र ,तमिलनाडु और गुजरात के मुख्यमंती नामजद हुए थे ,इससे से कोई फर्क नहीं पड़ता की इन राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री रहते हैं या सत्ता से निवृत होते हैं ,इन राज्यों का जो भी मुख्यमंती होगा वो प्रतिनिधित्व करेगा.
    दूसरी बात है अमल करने की तो आपका और हमारा मकसद यही होना चाहिए कि इसे जल्द लागू किया जाये.यदि कांग्रेस और प्रधानमंत्री जी वायदा वजार और सट्टा बाजार पर नियंत्रण नहीं करते तो जनता कि अदालत तो है ही .उससे से पहले यदि सुप्रीम कोर्ट कि नजरे इनायत हो जाये तो भी ये मोदी कमेटी पर अमल संभव है.

  10. तिवारी जी,

    अमल-वमल क्या करना है… रिपोर्ट को देखने की जरुरत ही नहीं है, जब नरेन्द्र मोदी ने पेश की है तो प्रधानमंत्री उसे तुरन्त कूड़े में फ़ेंक देंगे…। ऐसी “साम्प्रदायिक” रिपोर्ट सही कैसे हो सकती है? 🙂 🙂

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