प्रधानमंत्री हैं राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के जिम्मेदार

-नितिन गडकरी

हमारे खिलाड़ियों ने हाल ही में सम्पन्न हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों – दिल्ली 2010 में विभिन्न क्षेत्रों में अपने शानदार प्रदर्शन से भारत को गौरवांवित किया है। खेल संस्कृति पैदा करने की भारत की क्षमता और एक खेल प्रधान देश बनने के बारे में सभी प्रकार की अनिश्चिताएं उस समय समाप्त हो गई जब पदकों की संख्या पहली बार 3 अंकों में पहुंची। उद्धाटन तथा समापन समारोह वास्तव में भव्य थे और इसके साथ-साथ सुरक्षा प्रबंध भी त्रुटिविहीन थे। मैं सभी भारतीय खिलाड़ियों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं और उन खिलाड़ियों का अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने पदक जीते हैं। मैं एथलीटों के विरूध्द कुछ ग्रुपों द्वारा आतंकी हमले करने की धमकियों की आसूचना रिपोर्टों के बावजूद राष्ट्रमंडल खेलों में पूर्ण सुरक्षा बरतने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों को सलाम करता हूं। मैं खेलों को पूरी तरह सफल बनाने में भाग लेने वाले कलाकारों, स्कूली बच्चों तथा अन्य सभी व्यक्तियों की भी प्रशंसा करता हूं, जिन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है।

बिड जीतने तक सब कुछ ठीक-ठाक प्रतीत होता था। उसके बाद हम कहां असफल हुए और वे सब कौन हैं, जिन्होंने हमें बदनाम किया ? सामान्य रूप से सारा विश्व और विशेष रूप से भारत की जनता यह जानना चाहती है।

भारत ने नवम्बर, 2003 में बिड जीती थी और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति बनाने में 16 महीने का समय लगा। इस समिति में राहुल गांधी, कपिल सिब्बल, ज्योतिर्आदित्य सिंधिया, अजय माकन, जितिन प्रसाद और संदीप दीक्षित सहित 35 सदस्य थे।

आधारभूत ढांचा समन्वय समिति की पहली बैठक 15 मार्च, 2005 को दिल्ली में हुई, जिसमें स्टेडियम तथा उनके अपग्रेडेशन और खेल गांव के निर्माण संबंधी आवश्यकताओं पर विचार किया गया और इन सभी कार्यों को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों से समझौता किए बिना पूरा करने के लिए सभी सरकारी निकायों जैसे कि शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली सरकार तथा अन्य एजेंसियों को 5 वर्ष से अधिक का समय दिया गया। उनके प्रस्तावों को मंत्रियों के एक ग्रुप द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई और बाद में केन्द्रीय मंत्रिमंडल का अनुसमर्थन प्राप्त हुआ। इन परियोजनाओं के लिए टेंडर मंगाने की प्रक्रिया में अनियमितताएं तथा गड़बड़ी हुई, जिनमें कई हजार करोड़ रूपए की राशि शामिल है।

राष्ट्रमंडल खेलों में कदाचारों तथा भ्रष्टाचार संबंधी पहली कहानी का 30 जुलाई, 2010 को पता चला जब यू.के. की एक कम्पनी ए.एम. फिल्मस् ने बिना किसी लिखित करार के भुगतानों का मामला उजागर किया। ऐसा आरोप है कि राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति ने ए.एम. फिल्मस् जोकि लंदन में एक भारतीय-स्वामित्व वाली फर्म है, को बिना टेंडर मांगे और बिना कागजी कार्यवाही किए गत वर्ष के दौरान क्वीन्स बैटन रिले उद्धाटन समारोह के लिये किए गये कार्यों हेतु 4,50,000 पाउंड से अधिक (30 मिलियन रूपये से अधिक) की राशि का भुगतान किया।

खेलों की विभिन्न परियोजनाओं, जिनमें स्टेडियम तथा अन्य आधारभूत ढांचा शामिल है, के लिए टेंडर देने तथा एअरकंडीशनर, ट्रेडमिल्स और टॉयलेट पेपर जैसे उपकरणों को किराए पर लेने या खरीदने के लिए ठेके देने में भ्रष्टाचार अपनाया गया प्रतीत होता है।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने खेलों के लिए बनाए जा रहे/नवीकरण किए जा रहे स्टेडियम पर होने वाले व्यय में भारी वृध्दि के बारे में भी प्रतिकूल टिप्पणी की है।

संसद और संसद के बाहर भाजपा नेताओं द्वारा लगाये गए भ्रष्टाचार के आरोपों और घटिया आधारभूत ढांचे संबंधी आरोपों और मीडिया द्वारा चलाए गए प्रतिकूल अभियान को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने खेलों में भाग लेने वाले राष्ट्रों को यह आश्वासन दिया है कि 3-14 अक्तूबर के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए स्टेडियम पूरे हो जाएंगे।

राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ के प्रेसीडेंट माइक फेनल घबराकर दिल्ली पहुंचे और एक प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने कहा कि ”हम (राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ) किसी प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। फेनल ने कहा ”भ्रष्टाचार की रिपोर्टों की पूर्ण जांच की जानी चाहिए और कानून के अनुसार उन पर कार्यवाही की जानी चाहिए।” फेनल ने खेलों तथा आधारभूत ढांचे के विकास संबंधी मामलों पर अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से भी मुलाकात की।

परंतु कहीं कोई सुधार नहीं हुआ। मुख्य स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के बिल्कुल सामने एक निर्माणाधीन पैदल पुल टूटकर गिर गया, जिसमें 27 लोग घायल हो गये और भारोत्तोलन क्षेत्र में एक फाल्स सीलिंग टूट गई। स्थिति से निपटने के लिए सेना की मदद ली गई।

इन सब बातों से उच्चतम न्यायालय ने उत्तेजित होकर टिप्पणी की कि राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं ने भ्रष्टाचार को जन्म दिया है और वह ”व्याप्त भ्रष्टाचार” के प्रति अपनी ऑंखें बंद नहीं रख सकता और उसने भारत सरकार की अन्तर्राष्ट्रीय खेल कार्यक्रम के लिए उसकी तैयारियों के लिए आलोचना की।

खेलों संबंधी सभी ठेकों के लिए टेंडर मंगाने की प्रक्रिया में धांधली और अनियमितताओं के अनेक आरोप है, जिनकी जांच की जानी चाहिए।

श्रीमती सुषमा स्वराज, श्री अरूण जेटली, श्री कीर्ति आजाद, श्री नवजोत सिंह सिध्दू तथा श्री अनुराग ठाकुर सहित वरिष्ठ भाजपा नेता संसद के दोनों सदनों में ये मामले उठाते रहे। वरिष्ठ भाजपा नेता, श्री विजय कुमार मल्होत्रा, पार्टी के महासचिव, श्री विजय गोयल एवं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष, श्री विजेन्द्र गुप्ता तथा खेल प्रकोष्ठ संयोजक, श्री महिन्दर लाल ने दिल्ली में खेलों संबंधी घोटालों के विरूध्द अभियान चलाया।

भाजपा के इन सभी नेताओं तथा सचिव श्री किरीट सोमैया ने खेलों में कुप्रबंधन के बारे में तथ्य एकत्रित करने के लिए अथक प्रयास किए और ”राष्ट्रमंडल खेलों में लूट संबंधी भाजपा की प्रथम सूचना रिपोर्ट” तैयार की। इसके साथ उन्होंने एक भारी भरकम अनुबंध भी तैयार किया, जिसमें सरकारी एजेंसियों और खेल निकायों द्वारा कर-दाताओं के धन की पूर्णतया बरबादी के प्रति दिखाई गई बेदर्दी एवं पूर्ण उदासीनता उजागर होती है। इसके परिणामस्वरूप खेल बजट जो शुरू में 2000 करोड़ रूपये का था बढ़कर 70,000 करोड़ रूपये की भारी भरकम राशि का हो गया।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व सीएजी, श्री बी.के. शुंगलु की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई है। अनेक सरकारी एजेंसियों को जैसे प्रवर्तन निदेशालय, मुख्य सर्तकता आयुक्त, सीएजी, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, राजस्व आसूचना, तथा अन्य एजेंसियां, भ्रष्टाचार, अनियमितताओं तथा कदाचारों आदि को विशिष्ट आरोपों की अपनी-अपनी जांच करने के लिए इसमें शामिल किया गया है।

अब शीला दीक्षित, सुरेश कलमाडी तथा अन्य लोगों द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में खुले में कीचड़ उछाला जा रहा है, जहां कलमाडी न केवल राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के 1620 करोड़ रूपये के बजट की जांच की मांग कर रहे हैं बल्कि दिल्ली सरकार के 16,000 करोड़ रूपये के बजट की जांच की भी मांग कर रहे हैं।

भाजपा की यह पुरजोर मांग है कि ये सभी जांच तथा छानबीन शीघ्रातिशीघ्र पूरी की जानी चाहिए, जिससे किसी तर्क संगत निर्णय पर पहुंचा जा सके ताकि दोषियों को बिना विलंब किए दंडित किया जा सके।

इस कार्य में अनेक एजेंसियों के शामिल होने की बात को ध्यान में रखते हुए हम मांग करते हैं कि मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च शक्ति प्राप्त समन्वय समिति गठित की जाए ताकि घोटालों का पता लगाने के लिए प्रभावी और समेकित प्रयास सुनिश्चित किये जा सके।

इन सभी प्रकार की जांचों के माध्यम से यह पता लगाया जाना चाहिए कि विभिन्न सौदों में कितना और किस प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ और इनमें शामिल एजेंसियों ने क्या भूमिका अदा की ताकि दोषी पाये गए व्यक्तियों के विरूध्द उचित कानूनी कार्यवाही की जा सके।

भाजपा सभी जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग प्रदान करेगी और भ्रष्टाचार और धांधली के सभी आरोपों की निष्पक्ष एवं अर्थपूर्ण जांच करने में इसके नेताओं द्वारा एकत्रित सूचना उपलब्ध कराएगी।

परन्तु इसके साथ-साथ मैं यह महसूस करता हूं कि शीघ्र ही उन लोगों की जिम्मेदारी निर्धारित की जाये, जिन्होंने इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की और जिन्होंने परियोजना प्रतिवेदनों में गंभीर त्रुटियों को अनदेखा करते हुए समय-समय पर निधियों का आवंटन किया और जो इन परियोजनाओं की अनुचित भारी लागत वृध्दि के लिए उत्तरदायी है।

अब समय आ गया है कि राष्ट्रमंडल खेलों में लूट में शामिल भागीदारों तथा इस गड़बड़ी को अनदेखा करके उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्रदान करने वालों के बीच सांठ-गांठ का पर्दाफाश किया जाए।

भारत के लोगों को यह जानने का पूरा संवैधानिक हक है कि इस राष्ट्रीय बदनामी के लिए असली अपराधी कौन है।

सच्चाई तभी समाने आएगी जब एक खुली विस्तृत जांच कराई जाए और वह एक संयुक्त संसदीय जांच के माध्यम से ही हो सकता है।

भाजपा मांग करती है कि राष्ट्रमंडल खेलों में करोड़ों की लूट संबंधी इस महत्वपूर्ण घोटाले की जांच शीघ्रातिशीघ्र एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करके कराई जाए।

प्रस्तावित संयुक्त संसदीय समिति के निर्देश पदों में अन्य बातों के साथ-साथ एक ऐसे त्रुटिविहीन तंत्र का बनाया जाना शामिल होना चाहिए, जिससे भविष्य में भ्रष्टाचार तथा घोटाला मुक्त अन्तर्राष्ट्रीय खेल कार्यक्रम आयोजित करने में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

(लेखक भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष हैं)

13 COMMENTS

  1. भाई रमेशकुमार जी .
    कामनवेल्थ गेम्स में जो भृष्टाचार हुआ ,उससे हमने वो प्रतिष्ठा खो दी जो १०१ मेडल प्राप्त करके हासिल की थी .इस बारे में सभी ओर से हाय तौबा मची है .जांचजारी है .जिस तरह इधर प्रवक्ता .कॉम और मीडिया के विभिन्न स्तरों पर आवाजें उठ रही हैं .उसी तरह वाएं वाजू की ओर से भी जो प्रकाशन हैं वे उसे लगातार छाप रहे हैं .विगत एक सप्ताह के -पीपुल्स डेमोक्रसी देशाभिमानी .लोक लहर .जनयुग .नया पथ .तथा तमाम वामपंथ प्रणीत अखवार यही प्रश्न उठा रहे हैं .आप किसी भी स्तानीय सीटू सेंटर से प्राप्त कर पढ़ें …

  2. तिवारी जी
    बामपंथी पार्टियाँ इस महा भ्रस्ताचार के मामले में चुप क्यों हैं ?
    क्या इस पर अप रौशनी डालेंगे ?
    या हम यह समझें की उनको उनका हिस्सा मिल गया है ?
    कृपया इस पर रौशनी डालें तो भारत की गरीब जनता को कुछ लाभ मिल सकता है .
    अगर बामपंथी चुप हैं तो इस पर अप कोई टिपण्णी क्यों नहीं kar रहे हैं.

    धन्यवाद

  3. डॉ राजेश कपूर से सहमत होना देश हित में है .हालाँकि कुछ मामलों में उनकी सोच बेहद कंजर्वेटिव हुआ करती है ..यदि व्यक्तिगत ईमानदारी में सर्व समावेशिता और सहिष्णुता को सहयोजित करे तो सोने में जैसे सुहागा .

  4. गडकरी जी आपने कांग्रेस सरकार द्वारा किये गक्भीर भ्रष्टाचार को उजागर करने का प्रयास किया है जो कि कज्या जाना चाहिए. पर भाजपा शासित राज्यों में होनेवाले भ्रष्टाचार के बारे में आपने क्या किया है ? भाजपाईयों के भ्रष्टाचार पर आपने क्या कार्यवाही की है या उसे रोकने के आप क्या उपाय कर रहे हैं ?
    नैतिक रूप से आप दूसरों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोल सकते हैं क्या ?
    हाए मेरे भारत, कोई ऐसा नहीं जो इसे पूरी बेशर्मी से लूटने वालों से बचाए ! क्या होगया है इस देश की जनता को जो विदेशी ताकतों के इशारों पर देश की भयानक लूट करने वालों के हाथ में सत्ता सौंप कर चुप बैठी हुई है. अरे कब जागोगे ? यूँ सोए रहे तो ये अमेरीका, इटली, इंग्लैण्ड के एजेंट इस देश को , हम सब को भिखारी बना डालेंगे.

  5. आपने जो भी लिखा है बो पूरी तरह से सत्य है और इन सब बातो का खुलासा होना ही चाहिए हम आपके साथ है

  6. श्री नितिन गडकरी जी को में संघ पोषित सीधा सादा gau prani smjhta tha kintu bhai bahut unchee cheej nikle …CWGpr aise patakni dee ki congress ke bahaane apno ko hi nipatwa diya.

  7. congres bhajpa dono barabar ke sajhidar hain …dilli men CWG ke safalta men to koi dandeh nahin kintu mahakhau congres or bhajpa dono bhrushtachaar men aakanth doobe hain .ek doosre pr keechad uchhal rahe hain .jaach ki mashshakkt jari hai .abhi intzar karna hoga ki dekhen ount kis karvat baithta hai.

  8. भारत के CWG खेलों का प्रबन्धन देख, विश्व के विभिन्न देश, भविष्य में किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय खेल कार्यक्रम का आयोजन भारत को केवल उस अवस्था में ही प्रदान करेगे जब कोई भी अन्य देश इसके लिए आगे नहीं आयेगा.

    हर भारतीय की साख मिट्टी में मिला कर रख दी है, कलमाडी, शीला, गिल, रेड्डी एंड कंपनी ने.

    धिक्कार है.

    – अनिल सहगल –

  9. नितिन गडकरी जी इस लेख के लिए आपको बधाई. मैंने आपका पूरा लेख तो नहीं पढ़ा लेकिन लब्बो लुआब यही है की cwg में जबरदस्त घोटाला हुआ. चूँकि आप अभी भी prabhavshaali vakta नहीं kahe ja sakte isliye आप par bharosa नहीं है. han ghotale par janta ko koi shak नहीं है. आप इस ghotale ko bhuna payenge isme भी mujhe shak है. ummed karta hoon की ye sakaar in ghotalon की bhent chadh jaye.

  10. एक विचित्र परिस्थिति बन रही है …

    क्या भाजपा के पास ठेके देने के अधिकार थे ? आशा है कि उत्तर ‘न’ होगा .

    क्या भाजपा के पास भुगतान के अधिकार थे ? आशा है कि उत्तर ‘न’ होगा .

    तब फिर यह सब अधिकार किसके पास थे ?

    निश्चय ही यह अधिकार दिल्ली राज्य में कांग्रेस की माननीय मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार और केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के पास थे .

    तब फिर भ्रष्टाचार की जाँच में अभी तक इन सरकारों के सम्बद्ध मंत्रियों, अधिकारियों एवं सुरेश कलमाड़ी (वह भी कांग्रेस के लोक सभा सदस्य हैं ) के साथ जुड़े लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ? दूरदर्शन के किसी चैनल पर क्या किसी ने कुछ भी इस विषय में सुना ?

    क्या यह जांच विपक्षी दलों एवं आम जनता के विरुद्ध होगी और निष्कर्ष में क्या सत्तारूढ़ सरकारें निर्दोष पायी जायेंगी ?

    अगर ऐसा हुआ तो यह विश्व इतिहास में एक अनूठी घटना होगी . यह घटना सिद्ध कर देगी कि देश विपक्ष चलता है . सरकार तो केवल मूक दर्शक होती है . सारे अधिकार विपक्ष के पास होते हैं . सरकार तो केवल हाँ में हाँ मिलाती है . सारे सरकारी अधिकारी विपक्ष के कहने पर कार्य करते और पैसे बाँटते हैं, सरकार के मंत्रियों को वह कुछ नहीं मानते . लोकतंत्र का एक नया रूप प्रस्तुत होगा और आने वाले समय में इस उदाहरण के चलते लोग विपक्षी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार होंगे . कोई सरकार में रहना ही नहीं चाहेगा . जैसे ही सरकार बनेगी लोग दल बदल कर विपक्ष में आ जायेंगे . किताबों में बच्चे विपक्ष के नेता का नाम पढ़ा करेंगें … जय जय विपक्ष .

    लेकिन अब विपक्ष राष्ट्रमण्डल खेलों के भ्रष्टाचार के आरोपों से कैसे बचेगा ? शायद जाँच दल भी विपक्ष की ही मानेंगे और हमारा विपक्ष बच जाएगा .

    जय जय विपक्ष …!

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