गौरवान्वित हो अपना भारत

proudindianboyअपना भारत कभी रहा था , आर्यों की संस्कृति का देश ।
ज्ञान लिये वेदों,गीता का , ऋषियों का देता संदेश ।।
मुस्लिम आए, मंदिर तोड़े , प्राच्य संस्कृति नष्ट करी ।
लादा तब इस्लाम सभी पर, बर्बरता उनमें थी भरी ।।
अत्याचारी अंग्रेज़ों ने , देशभक्त फाँसी लटकाए ।
समृद्धि लूट कर भारत की,सब कुछ अपने साथ ले गए ।।
भारत के ग्रंथों को चुराया , भेजा अपने देश को ।
अपनी भाषा आरोपित कर,वेषभूषा दी जन जन को ।।
भूल गए हम अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपना वेष ।
रची बसी अंग्रेज़ी सब में, उन्हीं का भक्त हुआ ये देश ।।
भारत के आध्यात्म को माने,आज करे सारा जग “योग” ।
भूले थे हम अपनी संस्कृति , बड़ा दु:खद है ये संयोग ।।
काश ! कभी वो दिन आ जाए, “इंडिया” बन जाए “भारत”।
स्वाभिमान से शीश उठाकर, देश करे सबका स्वागत ।।
विश्व-शान्ति का पाठ पढ़ाकर,प्रेमी हो सारा संसार ।
आतंकी कोई न रहे और , सारा विश्व बने परिवार ।।

– शकुन्तला बहादुर

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शकुन्तला बहादुर
भारत में उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मी शकुन्तला बहादुर लखनऊ विश्वविद्यालय तथा उसके महिला परास्नातक महाविद्यालय में ३७वर्षों तक संस्कृतप्रवक्ता,विभागाध्यक्षा रहकर प्राचार्या पद से अवकाशप्राप्त । इसी बीच जर्मनी के ट्यूबिंगेन विश्वविद्यालय में जर्मन एकेडेमिक एक्सचेंज सर्विस की फ़ेलोशिप पर जर्मनी में दो वर्षों तक शोधकार्य एवं वहीं हिन्दी,संस्कृत का शिक्षण भी। यूरोप एवं अमेरिका की साहित्यिक गोष्ठियों में प्रतिभागिता । अभी तक दो काव्य कृतियाँ, तीन गद्य की( ललित निबन्ध, संस्मरण)पुस्तकें प्रकाशित। भारत एवं अमेरिका की विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएँ एवं लेख प्रकाशित । दोनों देशों की प्रमुख हिन्दी एवं संस्कृत की संस्थाओं से सम्बद्ध । सम्प्रति विगत १८ वर्षों से कैलिफ़ोर्निया में निवास ।

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