राजमाता की महंगी ‘नाक’

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एल.आर.गाँधी.

न रोटी की चिंता और न ही रोज़गार की – चिंता है सिर्फ और सिर्फ ‘राज’ की. कांग्रेस की महारानी को मध्यावधि चुनाव की चिंता सता रही है… और बढती महंगाई और भ्रष्टाचार से निरंतर गिरती कांग्रेस की साख ने महारानी की शुभ्चितक टोली अर्थात राष्टीय सलाहकार परिषद् (नाक) के माथे पर चिंतन रेखाओं का मकडजाल बुन दिया है. निरंतर चितन और मनन के बाद सोनिया जी की ‘नाक’ ने आखिर इंदिराजी के गरीबी हटाओ नारे की तर्ज़ पर ‘फ़ूड सिक्योरिटी’ बिल का ताना बाना बुना … और जोर शोर से सरकारी विज्ञापन की सुपारी मुंह में दबाये मिडिया के धुरंधरों ने सारे का सारा ‘क्रेडिट’ सोनिया जी को देने की मुहीम चलाई . पहले ‘नरेगा’ योजना सोनिया जी के ‘दूरदर्शी’ दिमाग की उपज के रूप में प्रचारित की गई. साथ ही यह भी लोगों को समझाया गया की इस योजना से कैसे देश की बेरोज़गारी तिरोहित हो गई है और नगरो और गाँव से लेकर झुग्गी झोम्पड़ी तक सभी बेरोजगारों को रोज़गार मिल गया.

आज ‘नरेगा ‘ में व्याप्त भ्रष्टाचार ने इस महत्वाकांक्षी योजना की हवा ही निकल दी .प्रचारित किया गया था की यह योजना ‘सोनिया जी’ के दिमाग की इकलौती और पहली लोकहितकारी योजना है. मगर सच्चाई बिलकुल इसके विपरीत है. रोजगार योजना असल में सत्तर के दशक की एक बहुत पुरानी और पिटी हुई योजना है. महाराष्ट्र सरकार ने १९७३ में ‘काम के बदले अनाज ‘ योजना चलाई थी जिसे सारे देश में गरीबी उन्मूलन योजना के रूप में आजमाया गया और नेहरु की अन्य पञ्च वर्षी योजनाओं की भांति इस योजना का भी ‘वही’ अंजाम हुआ … मुफलिस आवाम तक योजना का महज़ १०-१५ % मात्र ही पहुँच पाया. ऐसी योजनाओं का आगाज़ और अंजाम सभी को पता है … नहीं पता तो सिर्फ कांग्रेस की मल्लिका-ऐ-इटालिया को.

पिछले कुछ सालों में इन लोक लुभावनी योजनाओं पर ४०,००० करोड़ रूपए लुटा कर अब ‘फ़ूड सिक्योरिटी ‘ योजना से सरकारी खजाना लूटने लुटाने की योजना पर काम चालू है. देश के भूख से बेहाल गरीबों को सस्ती दरों पर अनाज मुहया करवाने के लिए सालों से पी.डी.एस योजना चलाई जा रही है … और इस योजना के तहत गरीबों के मुंह तक पहुँचने वाला निवाला रास्ते में ही ‘भ्रष्ट बन्दर’ लपक जाते हैं …. क्या हमारे ‘नेता’ लोग इस सच्चाई से अनजान हैं. फिर भी इसी भ्रष्ट तंत्र को… सोनिया जी की नई ‘फ़ूड सिक्योरिटी’ योजना को लूटने का जिम्मा सौंपने जा रहे हैं.

नेशनल सैम्पल सर्वे और सरकार के आंकड़ों से पी.डी.एस. में व्याप्त भ्रष्टाचार सबसे पुराना और सबसे बड़ा घोटाला उभर कर सामने आया है , देश का महा घोटाला २ जी घोटाला भी पी.डी.एस. के आगे बौना लगता है …… २००४-०५ और २००९-०९ के दो साल के आंकड़ों से महा लूट के सनसनीखेज़ तथ्य सामने आए हैं. २००४-०५ में सरकार ने देश के गरीब को सस्ते दामों खाद्यान मुहया करवाने के लिए , डिपुओं को ४१.५ मिलियन टन राशन दिया . मगर गरीब की रसोई तक पहुंचते पहुंचते रह गया महज़ १३.२ मिलियन टन . इस प्रकार दो तिहाई अर्थात २८ मिलियन राशन काले बाज़ार में पहुँच गया और उसी गरीब को जो २० रूपए रोज़ में जीने को मजबूर है यह राशन बाज़ार मूल्य पर खरीदना पड़ा. २००९-१० में आधे से अधिक राशन रास्ते में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. २जी की लूट तो सदी की एक लूट है मगर पी.डी.एस. की लूट तो हर साल बदस्तूर चली आ रही है. अब देश की ८५ करोड़ जनता जो २० रूपए प्रति दिन में पशु तुल्य जीने को मजबूर है., के लिए पहली नज़र में सोनिया जी की ‘नाक’ की ‘फ़ूड सिक्योरिटी ‘ बिल योजना चाँद में रोटी के ख्याल से कम नहीं ….मगर सरकारी डिसट्रीब्युशन सिस्टम से पहुँचते पहुँचते ‘ अमावस का चाँद ‘ हो जाएगी. इसमें कोई शक नहीं की फ़ूड सिक्योरिटी बिल से सोनिया जी और इनकी ‘नाक’ का कद मिडिया की कृपा से खूब बढेगा मगर … उससे कई गुना ज्यादा बढेगा ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ का भ्रष्टाचार. ….. विदेशी बैंकों में देश का काला धन और बढ़ जाएगा और उसके साथ ही भूखे पेट सोने वालों का प्रतिशत !!!!!

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