विविधा

जंतर मंतर से उठते सवाल

अतुल तारे

बधाई डॉ. मनमोहन सिंह। बधाई श्रीमती सोनिया गांधी।

देशवासी आज चमत्कृत हैं। वे चमत्कृत हैं यह देखकर कि समूचे देश को भ्रष्टाचार का गंदा नाला बनाने वाले अचानक रातोंरात गंगोत्री की पवित्र धारा को अवतरित करने वाले भागीरथ कैसे बन गए? जिस देश की नब्बे फीसदी जनता भ्रष्टाचार के डंक से कराह रही थी वह ‘सास बिना ससुराल’ जैसे टाइम पास सीरियलों को भूल कर दो दिन से टेलीविजन पर भ्रष्टाचार का एक इवेंट मैनेजमेंट देख रही थी कि शायद अब बिन भ्रष्टाचार यह देश कैसे होगा? बेशक अन्ना हजारे एक आदरणीय व्यक्तित्व हैं। बेशक सामाजिक क्षेत्रों में उनके योगदान अनुकरणीय हैं प्रेरणादायी हैं। पर लोकपाल विधेयक को लेकर जंतर मंतर में 97 घंटे का थ्रिलर ड्रामा देश के सामने कई गंभीर सवाल छोड़ गया है। कांग्रेस के रणनीतिकार गद्गद् हैं। वे यह मान रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सीधे सीधे गांधी परिवार की उच्चाकांक्षाओं में नकेल डालने वाले बाबा रामदेव अब परिदृश्य से बाहर हैं। विपक्षी दल भी खामोश हैं। वे यह भी भ्रम पाल रहे हैं कि जनता अब टूजी थ्रीजी भूल जाएगी। आदर्श सोसायटी उसे याद नहीं आएगी। धोनी का वर्ल्डकप कॉमनवेल्थ की लूट पर भारी होगा। वह यह सोच कर अब प्रसन्न हैं कि जनता यह देख रही है कि भ्रष्टाचार के निर्णायक संघर्ष में अब वह अन्ना हजारे के साथ कदम ताल कर रही है। निश्चित रूप से भ्रष्टाचार की जंग का ट्वंटी ट्वंटी जो जंतर मंतर में खेला गया वह सौ फीसदी एक फिक्स मैच था, यह अब लगभग ध्यान में आ रहा है। पर यह बात फिलहाल पर्दे के पीछे है। और यही वह समय है कि जनता को अब और सजग और जागरुक होना है। कारण कांग्रेस यह समझ चुकी है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह अब पूरी तरह नग्न हो चुकी है। कालेधन को लेकर उसका चेहरा कालिख से पुता है। बाबा रामदेव की रामलीला मैदान में हुई रैली और लाखों का जनसैलाब हुंकार भर रहा था कि सिंहासन खाली करों कि जनता आती है। आस्था चैनल पर हुई लाइव रिकार्डिंग से 10 जनपथ एवं रेसकोर्स रोड भयभीत हुआ और देश में अघोषित आपातकाल लग गया। बाबा रामदेव की इससे बड़ी रैली झार (हरियाणा) में हुई और आस्था को निर्देश जारी हुए कि वे अपने चैनल पर धर्म की बाते करें राजनीतिक नहीं। बिग बॉस जैसी फूहड़ता और सच का सामना की बेहयाई न रोक पाने वाली सरकार यह देखकर डर गई कि अब देशवासी दो टूक सवाल करने के लिए तैयार हैं। लिहाजा आस्था पर रैली नहीं दिखाई गई। देश का कार्पोरेट हाउस बाबा रामदेव से भयभीत था ही लिहाजा अन्य चैनल भी इस रैली से दूर रहा। प्रिंट मीडिया ने भी मर्यादित दूरी रखी। वर्ल्डकप हो चुका था। आयपीएल शुरू होना था। बीच का समय देश के नीति निर्धारकों को माकूल लग रहा था। लिहाजा अन्ना हजारे जंतर मंतर पर अवतरित हुए। और अवतरित हुए ऐसे स्वयंसेवी संगठन और उनके पैरोकार जो सत्ता के समानांतर सत्ता चलाकर सत्ता को और स्वयं को पोषित करते हैं। अनशन की घोषणा हुई। अनशन शुरू। सरकार ने पहले ना फिर हाँ। फिर श्रीमती गांधी का भावुक पत्र। फिर वार्ता और समझौता। जनतंत्र जीत गया। अन्ना हजारे नायक थे ही महानायक बन गए। कांग्रेस को उनके नायकत्व से खतरा पहले भी नहीं था आज भी नहीं है। वे चुनाव जो नहीं लड़ने वाले। लिहाजा लोकपाल विधेयक को लेकर मांगे मानकर कांग्रेस की गति इस समय नौ सो चूहे खाकर हज को जाने जैसी है। पर वह खुद को यूं प्रस्तुत कर रही है कि वही एक है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है। पर क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष सिर्फ विधेयक तक या विधेयक की ड्राफ्ट कमेटी में सदस्य कौन हाेंगे इस पर तय होगा? देश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रांति का आंदोलन 1975 में एवं 1988-89 में वी.पी.सिंह का देखा है? क्या हुआ? जो बिहार भ्रष्टाचार की जंग का सर्वाधिक प्रमुख केन्द्र बना उसी बिहार में लालू राज चला। जो विश्वनाथ प्रताप सिंह राजा नहीं आंधी है गरीबों का गांधी है कहकर पूजे गए वे किस ्रप्रकार सत्ता से बेआबरु होकर बेदखल हुए? अत: भ्रष्टाचार को लेकर जो कुछ बीते दिनों देशभर में घटित हुआ उसका अधिकांश भाग भले ही संभवत: प्रायोजित हो स्क्रिप्टटेड हों, पर एक बात अवश्य समझना होगी वह यह कि सड़ांध मारती व्यवस्था को लेकर एक अंडर करंट है और यह करंट तुरंत प्रवाहित होगा अगर उसे कोई विद्युत सुचालक मिला। अन्ना हजारे में ये संभावनाएं हैं पर उन्हें अपने संघर्ष को विस्तार देना होगा। कारण देश की जनता सड़कों पर उतरने को तैयार है। उसे नायक चाहिए। एक ऐसा नायक जिसकी विश्वसनीयता असंदिग्ध हो और जो दीर्घकालीन रणनीति के साथ मैदान में आए। नेतृत्व करने वाले देश के राजनीतिक दलों को यह संदेश इस घटनाक्रम से पढ़ना होगा। अगर वे ऐसा करते हैं तो देश उनके योगदान को इतिहास में स्थान देगा अन्यथा वे अब स्वयं इतिहास बनेंगे यह तय है।

बहरहाल, अन्ना हजारे का दिल से अभिनंदन कारण वे संभावनाओं की एक किरण बनकर अवश्य उभर कर आए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए यह किरण एक प्रकाश पुंज बनेगी।