राहुल भट्ट और हेडली का साथ-साथ!

rahul bhatt and david hedleyडेविड हेडली ने क्या गजब का दिमाग पाया है। उसने अमेरिका तक को बेवकूफ बनाया। उसके एजेंट बनने के बाद भी वह लश्कर के लिए काम करता रहा। वह मुंबई के 26 नवंबर 2008 के आतंकी हमले में सरकारी गवाह बनकर अमेरिका में राहत पा चुका है। उसने अभी तक पूछताछ के दौरान सरकारी वकील उज्जवल निकाम को ऐसी कोई भी जानकारी नहीं दी है जो कि नई कही जा सकती हो। उससे वीडियो लिंक के जरिए जो पूछताछ चल रही है उसमें दी जाने वाली जानकारी पहले ही सब सार्वजनिक थी। पूरे प्रकरण पर नजर डालने के बाद जो उल्लेखनीय बात नजर आती है वह है उसकी एकमात्र भारतीय, राहुल भट्ट के साथ दोस्ती।
राहुल भट्ट जाने माने फिल्म निर्माता महेश भट्ट का बेटा व पूजा भट्ट का भाई है। वह उससे बेहद प्रभावित था और मुंबई हमलों के पहले रेकी करने के लिए उसके साथ घूमा था। हेडली व राहुल दोनों के ही व्यक्तित्वों व इतिहास का अध्ययन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनकी मित्रता की एक बड़ी वजह यह रही होगी कि दोनों का ही बचपन एक जैसा बीता। जहां उनको अपने पिता से प्यार नसीब नहीं हुआ। तभी डेविड हेडली में तो उसे अपने पिता की छवि नजर आती थी। इसकी वजह हेडली व महेश भट्ट के बीच यह समानता भी हो सकती है कि दोनों के ही जीवन में तीन-तीन महिलाएं आयीं। उसके बावजूद उनका परिवार आदर्श नहीं बन पाया।
डेविड हेडली उर्फ दाउद गिलानी की मां, फिलेडेलफिया की सोशलाइट सेरिल हेडली का विवाह उसके पिता व पाक राजनयिक सैयद सलीम जीलानी से हुआ था। दाउद के पिता वाशिंगटन स्थित पाक दूतावास में थे। बाद में उन्होंने खबरें पढ़नी शुरु कर दी। उसकी मां सेरिल हेडली भी पाकिस्तानी दूतावास में नौकरी करती थी। जहां उसके पिता से उनकी मुलाकात हुई। उसकी छोटी बहन का नाम सईदा है जबकि उसका सगा भाई डेनियल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके युसूफ रजा जिलानी का प्रवक्ता रह चुका है। इस समय वह बीजिंग में प्रेस सलाहकार है।
वह 30 जून 1960 को पैदा हुआ और उसका पूरा परिवार लाहौर आ गया। अपनी विदेशी मां के कारण वह काफी गोरा चिट्ठा था। उसकी दोनों आंखों का रंग अलग था। उसे ‘गोरा’ कहकर बुलाया जाता था। उसके पिता चाहते थे कि उसकी मां इस्लामी रीति रिवाज को अपनाए। बुरका पहने, परदे में रहे, पर मां इसके लिए तैयार नहीं थी। वह बच्चों को उनके बाप के पास छोड़कर अमेरिका वापस लौट गई। बाद में उसका अपने पति से तलाक हो गया। उसके पिता ने चार शादियां और की। दाउद की भी अपनी मां से बिगड़ गई क्योंकि वह बेहद शराब पीती थी व उसके अनेक मर्दों के साथ संबंध थे।
दाउद के मुताबिक वह शुरु से ही भारत विरोधी माहौल में पला बड़ा हुआ। जब 1971 का भारत-पाक युद्ध हुआ तो उसका स्कूल भी बमबारी का शिकार हुआ। इससे भारत के प्रति उसके मन में नफरत और बढ़ गई। उसकी अपनी सौतेली मां से नहीं पटी और वह अपनी असली मां के पास अमेरिका लौट गया जो कि उस समय फिलेडेल्फिया में बार चलाती थी। वह उसकी इस काम में मदद करने लगा। वह पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाया।
उसने पहली शादी की और कुछ समय बाद उसका तलाक हो गया। फिर वह वीडिया लायब्रेरी चलाने लगा जहां वह किराए पर कैसेट दिया करता था। इस दौरान वह नशीली ड्रग्स लेने लगा और उन्हें खरीदने के लिए खुद भी इस धंधे में लिप्त हो गया। वह इन्हें खरीदने के लिए पाकिस्तान जाने लगा। वहां उसकी मुलाकात अपने स्कूल के दोस्त तहव्वुर राणा से हुई जो कि तस्करी में उसकी मदद करने लगा। वह 1988 में तस्करी में पकड़ा गया और सजा से बचने के लिए उसने एजेंसी को अपने साथियों के बारे में जानकारी दी। वह तो बच गया पर चार लोग गिरफ्तार कर लिए गए। वह 1997 में दोबारा पकड़ा गया और उसने ड्रग्स इनफोर्समेंट एजेंसी से समझौता किया कि वह उनका मुखबिर बन जाएगा। उसने जो जानकारी दी उससे पांच लोग व ढाई किलो हीरोईन पकड़ गई।
उसने तीन शादियां कीं। इनमें लाहौर की रहने वाली शजिया जिलानी भी शामिल थी। उससे उसके चार बच्चे हैदर, ओसामा, सुम्मा व हाफसा हुए। जब 2005 में उनका झगड़ा हुआ तो उसकी बीवी ने न्यूयार्क पुलिस को बताया कि उसका पति लश्कर के साथ आतंकवादी प्रशिक्षण ले चुका है पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसकी पहली पत्नी पोर्शिया गिलानी ने भी उसके खिलाफ ऐसी ही शिकायत की थी। बाद में उसकी मोरक्को की मेडिकल छात्रा फैजा उथल्ला के साथ दोस्ती हो गई। उसने उस पर शादी का झांसा देकर संबध स्थापित करने का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने उसे बंद कर दिया पर लश्कर के सैन्य प्रमुख जकी उर रहमान लखवी व उसकी पत्नी शाजिया के पिता के हस्तक्षेप के कारण वह जेल से छूट गया। दाउद ने उथल्ला से अपनी शादी के बारे में शाजिया को कुछ नहीं बताया और हनीमून पर मुंबई चला आया। जब उसे यह पता चला कि दाउद तो शादीशुदा है तो उसने इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास को उसके जेहादी संबधों के बारे में जानकारी दी। बदले में उसे जवाब मिला कि तुम भाड़ में जाओ।
पाकिस्तान में वह लश्कर के संपर्क में आ चुका था, उसने उनके लिए भी काम करना शुरु कर दिया था वह डबल एजेंट बन चुका था। लश्कर की सलाह पर ही उसने अमेरिका जाकर अपना नया पासपोर्ट बनवाया जिसमें अपना नाम दाउद से डेविड और सरनेम बदल कर हेडली कर दिया। वहां ‘मां’ का नाम लिखवाया जा सकता है पर एफबीआई या किसी और एजेंसी ने उसका पिछला रिकार्ड चैक करने की जरुरत महसूस नहीं की। अब अपने अमेरिकी नाम, नागरिकता व गोरे रंग के कारण उसके लिए दुनिया में कहीं भी आना जाना बहुत आसान हो गया था।
राहुल भट्ट और हेडली की बहुत गहरी दोस्ती हुई थी। जाने माने फिल्म निर्माता महेश भट्ट के इस बेटे की यदि अपने पिता के बारे में राय सुने तो स्तब्ध हो जाएंगे। उसका कहना है कि अगर उसके पिता ने उसे बेटे की तरह प्यार किया होता तो शायद वह हैडली की ओर आकर्षित नहीं हुआ होता। हेडली में उसे अपने पिता की छवि नजर आती थी। संपन्न परिवार से संबंध रखने के कारण राहुल तो पुलिसिया जांच पड़ताल से बच गया पर उसके जिम में काम करने वाला उसका दोस्त विलास परक के खिलाफ आज भी मुकदमा चल रहा है। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने राहुल के मोक्ष जिम में पहली बार आए हेडली को बढ़िया ग्राहक समझ कर उसकी अपने मालिक से मुलाकात करवा दी थी।
वैसे राहुल और हेडली दोनों में सबसे बड़ी समानता यह नजर आती है कि वे दोनों ही अपने पिता से खुश नहीं रहे। जहां हेडली अपने पिता को छोड़ कर मां के साथ रहने आ गया वहीं राहुल ने एक इंटरव्यू में यहां तक कह डाला कि मेरे पिता ने मुझे हरामी समझा। मैं खुद को गाडफादर का एंडी गार्सिया समझता था। उसके मुताबिक जब वह पैदा हुआ तो महेश भट्ट उसका नाम मोहम्मद रखना चाहते थे पर उनकी एंग्लो इंडियन बीवी व उसकी मां अड़ गई। उसने उनसे कहा कि तुम अपनी धर्मनिरपेक्षता कहीं और दिखाना। मेरे बेटे को बख्श दो।
अपनी मां की दूरदर्शिता को याद करता हुआ राहुल कहता है कि अगर मेरी मां ने यह जिद न की होती तो आज मैं अपने नाम के कारण ही इस कांड में जेल के सीखचों के पीछे होता। वह कहता है कि एक मामले में वो हेडली का बहुत शुक्रगुजार है क्योंकि उसके साथ नाम जुड़ने के बाद ही दुनिया को यह पता चला कि महेश भट्ट उसके पिता है। उसे इस बात की शिकायत है कि उसके पिता ने आज तक उसके लिए कुछ नहीं किया। बिग बास में भी उसके अपने दमखम पर काम मिला।
असल में महेश भट्ट का मुसलमानों के प्रति लगाव होने की बहुत वाजिब वजह है। उनके पिता नानाभाई भट्ट ब्राह्मण थे जबकि मां शीरीन मोहम्मद अली दाउदी वोहरा मुसलमान थी। उन्होंने महज 20 साल की उम्र में अपनी पहली शादी लौरीन ब्राइट नामक एंग्लो इंडियन महिला से की थी। जिसका नाम बदलकर किरन भट्ट रखा गया। इससे पूजा व राहुल पैदा हुए। कुछ समय उनका परवीन बाबी के साथ इश्क चला। फिर उन्होंने सोनी राजदान से शादी की। उनसे भी दो बच्चे शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट है।
यह सब देखकर लगता है कि कोई आगे चलकर क्या करेगा और क्या बनेगा यह तय करने में उसके पारिवारिक परिवेश की बहुत अहम भूमिका होती है। डेविड हेडली अमेरिका में पैदा होने के बावजूद ऐसा आतंकवादी बना जिसकी साजिश के कारण आतंकवादी हमलों में मारे गए 166 निर्दोष लोगों में से 10 उसके देश के नागरिक भी थे। वहीं जाने माने निर्माता निर्देशक होने के बावजूद भी महेश भट्ट अपने बेटे को यह निर्देशित नहीं कर पाए कि जिंदगी में सही राह कौन सी होती है।

1 COMMENT

  1. वायरस जब लग जाए तो छुटकारा मुश्किल है। महेश भटट्, राहुल भट्ट और हेडली उस वायरस के चपेट में है। उन्हें मानवता से मतलब नही। निर्दोषो की हत्या उनका धार्मिक उन्माद है। इस प्रकार का धार्मिक उन्माद देश के लिए खतरा है।

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